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गांधी की पाती प्रियंका के नाम

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hastakshep
29 Jul 2020
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गांधी की पाती प्रियंका के नाम

प्रियंका गांधी के नाम खुला खत | Open letter to Priyanka Gandhi

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महासचिव कांग्रेस प्रभारी पूर्वी उत्तर प्रदेश।

भारत की भूमि से मैं गांधी बोल रहा हूं, क्योंकि भारत की भूमि के हर कण और भारत के जन मानस में विद्यमान हूं। देश को प्रजातंत्र के रूप में स्थापित करने का मेरा यह संघर्ष अनवरत चला और चलता रहेगा।

मैं हर दौर में, हर पीढ़ी से अपेक्षाएं रखता हूं, सरोकार की, सुधार की, सर्व हित की, सर्व कल्याण की।

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मैंने नफरत और शोषण के खिलाफ हमेशा उन ताकतों का विरोध किया है, जिनमें सांप्रदायिक या पूंजीवादी दृष्टिकोण व्याप्त रहा। आज फिर वर्तमान में भारत की दशा देखकर मेरी आत्मा कराह रही है ! साम्प्रदायिकता फिर से अपने विकराल रूप को सामने ला रही है !

मैं जनसेवा के दायित्वों को व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं में बदलते हुए देख रहा हूं। सत्ता ने जनता से विमुख हो 'व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं' को अपना लिया है ! यह मेरे भारत के लिए बहुत असहज स्थिति है।

मैं व्यथित हूं, कि जिस विरासत को मैंने जिम्मेदार हाथों में सौंपा था, जाने अब वह कंधे कहां लुप्त हो गए हैं?

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जिस सदाचार, आत्म बल और कर्तव्य परायणता की साधना स्वतंत्रता संग्राम के लिए की गई थी, 77 साल के बाद वह क्यों इतनी क्षीण होकर 21वीं सदी में विलुप्त हो गई।

मैं देख रहा हूं कि एक हताशा और वैमनस्य के माहौल ने इस उज्जवल देश को अपनी गिरफ्त में ले लिया है ! सुदूर गांव, कस्बे, नगर दर नगर किस प्रकार नागरिक एक हताशा के चलते अपने आप को व्यक्त करने के अधिकार से भी हिचकिचाना लगे हैं।

मेरा आग्रह है कि आप इसे पढ़ कर गंभीरता से विचार करें, और अपने दायित्व का निर्वहन करें।

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प्रियंका जी आपके कई खुले खतों में आप ने बताया कि आप कांग्रेस की एक सिपाही हैं और यह भी बताया कि प्रदेश की राजनीति में एक ठहराव के कारण आज युवा, महिलाएं, किसान मजदूर, परेशानी में हैं।

जैसा कि आपने बताया कि आप उत्तर प्रदेश से आत्मिक रूप से जुड़ी हुई हैं और यह भी मानती हैं, कि प्रदेश में राजनीतिक परिवर्तन की शुरुआत आमजन की पीड़ा और उनकी बात साझा किए बगैर नहीं की जा सकती है। इसलिए आप एक सीधा सच्चा संवाद करना चाहती हैं!

अपने खत में आपने बताया कि गंगा सच्चाई और समानता का प्रतीक है, और गंगा जमुनी तहजी़ब हमारी संस्कृति का प्रतीक। गंगा जी उत्तर प्रदेश का गौरव हैं।

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आप कहती हैं कि विपक्ष के कुछ लोग वर्तमान सत्ता के अघोषित प्रवक्ता बन गए हैं, और यह बात आपको समझ में नहीं आ रही है, कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं ! इसी तरह तमाम सारी बातें ऐसी हैं, जो अभी आपको समझनी होंगी।

उत्तर प्रदेश की जनता को बहुत सी उम्मीदें हैं और साथ में बहुत दिनों की हताशा ! प्रदेश के आने वाले विधान सभा का चुनाव यह सोचकर नहीं लड़ा जा सकता कि यह सिर्फ चुनाव है और जनता अपने आक्रोश से ही सत्ता हस्तांतरण कर देगी ! फासीवादी ताकतों के खिलाफ आपको विकल्प बनना होगा, जो जनता के सरोकार से जुड़ा हो, और जनता अपने प्रिय नेता से जुड़ाव महसूस कर सके।

बंटवारे की नीतियों को कभी जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर, वर्ग के नाम पर, इस देश में बार-बार उतरा गया, और उत्तर प्रदेश की राजनीति इसका शिकार रही है ! वर्तमान में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण एक महत्वपूर्ण समस्या है और एक विकराल दानव के रूप में सामने है।
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उत्तर प्रदेश को आपसे व्यापक रूप से बहुत आशाएं हैं ! कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों की समस्या हो, या 69000 शिक्षक भर्ती जोकि एक बहुत बड़ा घोटाला है, और तमाम सारे जनता के सरोकार से जुड़े हुए मुद्दे जिन पर आप ने मुखर होकर जनता को उम्मीद दिलाई है, उन्हें लगता है काफी समय बाद कोई उनका नेता है जो उनकी बात समझता है, और स्थितियां बदलना चाहता है। आम जनमानस की यह आशा बनी रहे, इसके लिए आपको कुछ ऐसे मापदंडों पर खरा उतरने का प्रयास करना चाहिए, जिससे आगे का मार्ग प्रशस्त हो सके।

इसी तरह आप को संगठन की शक्ति को समझना होगा, संगठन की शक्ति ने कांग्रेस को देशव्यापी सर्व सम्मत पार्टी बनाया था। स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के समय पर देश के हर हिस्से से लोगों ने कांग्रेस की नीतियों व उद्देश्यों पर विश्वास जताया था। उत्तर प्रदेश का योगदान कांग्रेस को स्थापित करने में सबसे महत्वपूर्ण है।

लेकिन आज की परिस्थिति में कांग्रेस की जो दुर्दशा है, इसके लिए जो लोग और जो कारण जिम्मेदार रहे हैं, उनको दूर करके पूरे प्रदेश में संगठन को मजबूत करने की बड़ी चुनौती भी है।

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साफ तौर पर दिखाई देता है कि कांग्रेस में आज कार्यकर्ता कम और नेता ज्यादा हैं, और अपनी गुटबाजी के कारण कांग्रेस संगठन को ग्राम स्तर तक नुकसान पहुंचा रहे हैं। बूथ, वार्ड स्तर तक कार्यकर्ता नदारद हैं।

पिछले कुछ दशकों से कांग्रेस पार्टी में ऐसे लोगों का बोलबाला रहा है जिनका कांग्रेस की नीतियों में ना तो पूर्ण विश्वास था, ना ही इतना धैर्य कि वह आम जन को पार्टी की नीतियों और उपलब्धियों समझाने का प्रयास कर पाते। ऐसे लोग कांग्रेस के मूल सिद्धांत "आमजन की सेवा" से ज्यादा अपनी "महत्वाकांक्षा" में लिप्त रहे।

इस आत्ममंथन और मनन के समय में कांग्रेस को फिर अपनी जड़ों तक लौटना होगा। बूथ, वार्ड, ग्राम स्तर तक आमजन की सेवा की भावना को पुनः स्थापित करना होगा। आप पर पार्टी के पुनरुद्धार की बड़ी जिम्मेदारी है।

कांग्रेस के मूल्य, सिद्धांत, दृष्टिकोण योजनाएं, जब तक आमजन मजदूर वर्ग, कामगार वर्ग, कर्मचारी वर्ग, किसान और सबसे महत्वपूर्ण युवा, विद्यार्थी वर्ग और महिलाओं तक नहीं पहुंचेगी तब तक पार्टी अपना धरातल नहीं तलाश कर कर पाएगी।

पार्टी को आज ऐसे कार्यकर्ताओं की जरूरत है जो संघर्ष करने का जोखिम उठा सकें, और पार्टी उन को उचित स्थान व सम्मान प्रदान कर पाए।

क्या आप अच्छे से समझती हैं कि कुछ पुराने कांग्रेसी नेताओं ने जिस प्रकार पार्टी को कार्यकर्ता आधारित बनाने के बजाय, चंद मैनेजरों के माध्यम से चलाने का प्रयोग किया, जिसके परिणाम पार्टी के लिए घातक हुए।

कांग्रेस ने विपरीत परिस्थितियों में देश को आजाद कराने में सत्याग्रह, भूख हड़ताल, अहिंसक आंदोलन जैसे औजारों को तराशा, और "इंसाफ के जप में" शांति प्रिय एवं सृजनात्मक विरोध के ज़रिए पूरे भारत में विश्वास अर्जित किया। आज वह आंदोलन की क्षमताएं कांग्रेस से क्यों विलुप्त हो गई हैं ?

आंदोलन प्रजातंत्र की एक लीला है। आंदोलन द्वारा एक ठोस राजनीतिक दिशा तय होती है। जिसका उदाहरण कुछ समय पहले रामलीला मैदान में देखा गया।

आपको चुनावी राजनीति से बाहर निकलकर संघर्ष की राजनीति को अपनाना पड़ेगा। क्या आप यह मानती हैं, कि वर्तमान समय में लोकतंत्र को बचाने की चुनौती आ खड़ी हुई है? क्या कांग्रेस ऐसी विकट परिस्थितियों में मूकदर्शक बनी रहेगी?

विगत में कांग्रेस ने जिस प्रकार का नेतृत्व स्वतंत्रता संग्राम में स्थापित किया था, और देश की जनता को अपने साथ जोड़ कर अहिंसावादी आंदोलन खड़ा किया था, ठीक वैसी ही परिस्थितियां कांग्रेस के सामने हैं, और एक सशक्त नेतृत्व की नितांत आवश्यकता है। यह निर्णय का समय है।

कांग्रेस को अपने संगठन को धरातल पर पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है। यह समय राजनीतिक विचारधाराओं की लड़ाई का नहीं, अब संघर्ष सैद्धांतिकता का है। भारत के भविष्य के लिए एक निर्णायक राह चुनने का समय है। बहुलतावादी देश में संसाधनों की प्रचुरता को संरक्षित करने का समय है। देश की व्यापकता को संकीर्णता से बचाने का समय है, कांग्रेस को देश के उत्तरदायित्व को समझते हुए ठोस निर्णय लेने का समय है।

प्रजातांत्रिक मूल्यों और लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुनः स्थापित करने की एक गंभीर जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी पर है क्योंकि अन्य क्षेत्रीय व प्रादेशिक राजनीतिक दल अपनी सशक्त भूमिका व योगदान से पूर्ण रूप से विमुख है, अपने विगत में किए गए कार्यों के चलते वह अपनी बात रखने से भी हिचकिचाते नजर आते हैं।

सत्ता की महत्वाकांक्षा कांग्रेस के लिए कोई समाधान नहीं हो सकता, बल्कि जरूरत उस विरासत को संभालने की है, जो देश के स्वतंत्रता संग्राम ने कांग्रेस को सौंपी थी।

वर्तमान सरकार के कुछ महत्वाकांक्षी निर्णयों से उपजे, आर्थिक संकट की स्थितियों पर वैश्विक महामारी की दोहरी मार ने देश के एक बड़े वर्ग की कमर तोड़ दी है। गांव से लेकर उन्नत शहरों तक अधिकतर जनसंख्या अब रोजी-रोटी व अन्य गंभीर समस्याओं से जूझ रही है, इसलिए समय कांग्रेस पार्टी या उसके नेतृत्व से अपनी वचनबद्धता मांग रहा है।

आपकी शुभचिंतक

                देश के जनमानस

                की एक आवाज।

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सारा मलिक, लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।

Sara Malik, सारा मलिक, लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। Sara Malik, सारा मलिक, लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।

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