मान लो रेखाओं को सीता ने पार ही ना किया होता तो !

hastakshep
29 Jun 2021

 

जंगलों में

कुलांच भरता

मृग

सोने का है

या मरीचिका ?

जानना उसे भी था

मगर

कथा सीता की रोकती है

खींच देता है

लखन,लकीर

हर बार

धनुष बाण से

संस्कृति कहती

दायरे में हो,

हो तभी तक

सम्मान से

हाँ यह सच है

रेखाओं के पार

का रावण

छलेगा

फिर

खुद को रचने में

सच का

आखर

आखर भी जलेगा

मगर

इन खिंची लीकों पे

किसी को

पाँव तो धरना ही होगा

डरती सहमती

दंतकथाओं

का

मंतव्य

बदलना ही होगा

गर स्त्रीत्व को

सीता ने

साधारणतः

जिया होता

मान लो रेखाओं को

पार ही ना किया होता

तो

राक्षसी दंश से

पुरखे

कहाँ बचे होते

इतिहास ने भी

राम के गर्व ना रचे होते ...

डॉ. कविता अरोरा

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