ब्राह्मण सम्मेलन से भाजपा को नहीं हराया जा सकता

hastakshep
21 Sep 2021

इस विश्लेषण में बताया गया है कि UP का ब्राह्मण BJP के साथ क्यों गया ? साथ ही क्या ब्राह्मण सम्मेलन (Brahmin sammelan) करके विपक्ष उत्तर प्रदेश में भाजपा (BJP in Uttar Pradesh) को शिकस्त दे पाएगा?

क्या ब्राह्मण सम्मेलन करके विपक्ष यूपी में भाजपा को शिकस्त दे पाएगा? Will the opposition be able to defeat the BJP in UP by holding a Brahmin sammelan?

उत्तर प्रदेश में विभिन्न दलों द्वारा ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन (Brahmin sammelan organized by various parties in Uttar Pradesh) करके भाजपा को शिकस्त नहीं दी जा सकती है.

इस तरह के सम्मेलन सिर्फ और सिर्फ संसाधन और ऊर्जा की बर्बादी है.

उत्तर प्रदेश का ब्राह्मण भाजपा के साथ क्यों गया ? Why did the Brahmin of Uttar Pradesh go with the BJP?

दरअसल उत्तर प्रदेश का ब्राह्मण सिर्फ सम्मान पाने के लिए भाजपा के साथ नहीं गया है. और सिर्फ यह बता कर कि उस पार्टी में आपका सम्मान सुरक्षित नहीं है- हमारे पास आइये, भाजपा को नहीं छोड़ देगा.

दर असल यह समुदाय हिंदुत्व के आकर्षण (charm of hindutva) में बड़े स्तर पर भाजपा मे गया. क्या भाजपा के हिंदुत्व को नकारने के लिए आपके पास उसका वैकल्पिक फ्रेमवर्क है? जाहिर सी बात है नहीं है. और आप इसीलिए अपनी राजनीति को हिंदुत्व के इर्द-गिर्द ही बुन रहे हैं. 

विपक्ष के पास ब्राह्मणों के लिए क्या है, जो भाजपा उन्हें नहीं दे सकती?

आखिर ऐसे सम्मेलनों का आयोजन करने के पहले आयोजकों को यह बताना चाहिए कि ब्राह्मणों के लिए उनके पास ऐसी क्या दवा है जो भाजपा उन्हें नहीं दे सकती?

जब तक आप उस पर बात नहीं करेंगे ब्राह्मण कहीं जाने वाला नहीं है.

बेहतर तो यह होता कि ब्राह्मण को जाति के बतौर पार्टी से जोड़ने के बजाए उस समुदाय के बुनियादी सवालों पर बात होती और उनको यह समझाया जाता कि भाजपा किस तरह से उनके बुनियादी सवालों को नष्ट कर रही है, किल कर रही है.

फिर इस बात की संभावना ज्यादा होती कि वह सियासी तौर पर ऐसी बात करने वाली पार्टी से जुड़ पाते. या फिर उस दल के साथ खड़ा होने के बारे में संजीदगी से सोच पाते.

लेकिन जातिगत चेतना को केंद्र में रखकर सोचने वाले और उसी को अपने लूट का अंतिम अस्त्र मानने वाले सियासी दलों से इस से ज्यादा अपेक्षा भी कैसे की जा सकती है?

आप लाख कोशिश कर लीजिए इस फ्रेमवर्क में एक ब्राम्हण कहीं से भी की छिटक कर आपके पास आने को तैयार नहीं है.

अनामदास

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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