#हस्तक्षेप #शब्द चुप्पियों का इक गाँव झुग्गी झोपड़ियों से काम काज को निकली ज़रा ज़रा सी छुकरियों में चुप्पियों का इक गाँव बसा है. डॉ कविता अरोरा 01 Jun 2023 Follow Us झुग्गी झोपड़ियों से Advertisment काम काज को निकली ज़रा ज़रा सी छुकरियों में चुप्पियों का इक गाँव बसा है. Advertisment भूख ने पेट की अंतड़ियों को Advertisment यूँ कसा है कि आवाज ही नहीं निकलती. Advertisment चेहरे पे गर्द, जिस्म सर्द बहुत कुछ सहता है. Advertisment दर्द का खुला है खाता मगर कोई रंग Advertisment नज़र नहीं आता. ये उफ़्फ़ नहीं करतीं Advertisment चाहे कहीं भी फिरा लो हाथ या चलते-फिरते काट लो चिकुटी क्योंकि इनकी संवेदनाओं की सारी सुइयाँ महज़ रोटियों में हैं अटकीं... डॉ कविता अरोरा #कविता अरोरा #कविता Read More हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें {{message}} {{message}} Advertisment अगला आर्टिकल