भारत के विपक्षी दलों की दयनीय स्थिति
जस्टिस मार्कंडेय काटजू
जी 20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले विदेशी नेताओं को भारत के राष्ट्रपति द्वारा रात्रि भोज के निमंत्रण में ‘इंडिया’ के स्थान पर ‘भारत’ शब्द के प्रयोग पर कांग्रेस तथा भारत के अन्य विपक्षी दलों द्वारा कड़ी आपत्ति जताना भारत के विपक्ष की दयनीय स्थिति को दर्शाता है। वास्तव में यह कोई मुद्दा ही नहीं है, बल्कि बात का बतंगड़ बनाना है I
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है:
''इंडिया, यानी भारत, राज्यों का एक संघ होगा।''
''India, that is Bharat, shall be a union of states ''.
इस प्रकार, ‘भारत’ शब्द का उपयोग भारतीय संविधान में किया गया है, और इसलिए यह असंवैधानिक शब्द नहीं है, और कोई भी अपने विकल्प पर इंडिया या भारत शब्द का उपयोग कर सकता है। तो फिर इतना हंगामा और शोर शराबा किस बात का है ?
इसके अतिरिक्त, जैसा कि मैंने बार-बार कहा है, हर राजनीतिक गतिविधि को परखने की कसौटी यह है कि क्या यह लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाती है, और उन्हें बेहतर जीवन देती है ? चाहे देश को इंडिया कहा जाए या भारत, इसका भारतीय लोगों के जीवन पर कोई अंतर नहीं पड़ेगाI इसलिए वास्तव में यह मुद्दा अप्रासंगिक और नगण्य ( trivial ) है।
ऐसे नगण्य मुद्दों को उठाने से विपक्षी दल डूबते हुए आदमी की तरह तिनके का सहारा लेते नजर आते हैं।
ऐसा लगता है कि उनका गठबंधन 'इंडिया' एक ढोंग, नाटकबाज़ी, दिखावा, और ढकोसला ही हैI गठबंधन के किसी नेता, या हाल की मुंबई बैठक में इसके द्वारा गठित कोर कमेटी के नेता, की भी कोई घोषणा नहीं की गई है, न ही इसकी अगली बैठक की तारीख की घोषणा। मैंने गठबंधन को नौटंकी (stunt ) बताया है।
इंडिया गठबंधन तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के हालिया बयान, जिसमें उन्होंने सनातन धर्म को एक बीमारी कहा था जिसे खत्म करना होगा, पर पूरी तरह से असमंजस में है। इसके कुछ सदस्यों ने इस बयान से खुद को अलग कर लिया है, लेकिन किसी ने भी इसकी निंदा और भर्त्सना नहीं की, और राहुल गांधी ने इसका जिक्र तक नहीं किया है, बल्कि चुप्पी साधे हैं।
भारत की 80% आबादी हिंदू है, और अधिकांश हिन्दू सनातन धर्म और हिंदू धर्म को पर्यायवाची मानते हैंI भारत के अधिकांश लोग भावुक होते हैं, और उनकी भावनाएं आहत हुई हैंI इसलिए मुझे नहीं लगता कि विपक्ष 2024 के संसदीय चुनावों के बाद लोकसभा में अपनी सीटों की वर्तमान संख्या को बरकरार रख पाएगा।
(जस्टिस काटजू भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश हैं।)
'Bharat' instead of 'India': Justice Katju said the pathetic opposition is making a fuss