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जनकल्याणकारी राजनीति करना हमारी आज की सबसे बड़ी जरूरत

हम राजनीति को गंदा बताकर राजनीति के सबसे जरूरी मुद्दों और अखाड़े से भाग नहीं सकते। राजनीति क्यों जरूरी है? राजनीति कोई विलासिता या दिखावे की बात नहीं है।

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hastakshep
27 Oct 2023
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OPINION DEBATE

जनकल्याणकारी राजनीति करना हमारी आज की सबसे बड़ी जरूरत

राजनीति क्यों जरूरी है?

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लुटेरे, शोषक, अन्यायी और पूंजीवादी सत्ता के टुकड़खोर लोग आजकल जनता द्वारा राजनीति करने को लेकर बहुत मुखर हो गये हैं। वे जनता द्वारा अपने बुनियादी सुविधाओं के मुद्दों को उठाए जाने को राजनीति बता रहे हैं। आजकल बहुत से लोग कहते सुने गए हैं कि राजनीति बुरी चीज है, लोगों को इससे दूर रहना चाहिए और इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहिए। 

मगर जहां सब कुछ राजनीति से ही तय हो रहा हो और जनविरोधी राजनीति की जा रही हो, जहां पर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सुरक्षा, न्याय और सब जगह खर्च होने वाले बजट को राजनीति तय करती हो, जहां सब कुछ अडानी, अंबानी और देश के बड़े अमीरों और धनपतियों के लिए ही किया जा रहा है और जहां सरकार इन अमीरों और पूंजीपतियों की ही पिछलग्गू और एजेंट बन गई हो, वहां पर हम चुप कैसे रह सकते हैं? वहां पर हम अंधे, गूंगे और बहरे कैसे बने रह सकते हैं? ऐसी परिस्थितियों में वहां पर जनपक्षीय और जनकल्याणकारी राजनीति करने की सबसे ज्यादा जरूरत है। हमारा इतिहास भी इस प्रकार की जनपक्षीय और जन कल्याणकारी राजनीति करने वालों से भरा पड़ा है।  

भारत के पहले प्रधानमंत्री     

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भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम अट्ठारह सौ सत्तावन का महासंग्राम अंग्रेजों की गुलामी खत्म करके, देश को आजाद कराने की बात कर रहा था। यह भी देश को आजाद कराने की राजनीति की सबसे पहली और बड़ी घटना है। उसके बाद राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने 1915 में काबुल में भारत की पहली आजाद सरकार बनाई थी जिसमें वह खुद राष्ट्रपति बने और बरकतुल्लाह खान भारत के पहले प्रधानमंत्री बने थे। वे भारत की आजादी और जनकल्याण की नीति और समाजवादी व्यवस्था की राजनीति की ही बात कर रहे थे।

हमारे शहीदों का सबसे बड़ा संगठन और सेना हिंदुस्तानी समाजवादी गणतंत्र संघ जिसके सर्वोच्च कमांडर चंद्रशेखर आजाद थे और जिसमें भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, पंडित किशोरी लाल शर्मा, यशपाल, बटुकेश्वर दत्त, यतींद्र नाथ, विष्णुशरण दुबलिस, शिव वर्मा, मन्मथनाथ गुप्त आदि  सैकड़ों क्रांतिकारी शामिल थे, उससे पहले उसमें बिस्मिल, अशफाक, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह, शचिंद्रनाथ सान्याल आदि शामिल थे, वे सब भी जनता के जनवाद, गणतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी व्यवस्था की राजनीति कर रहे थे।

इसके बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस, किसी भी तरह से भारत की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज बना रहे थे और एक भारत में एक जनतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, गणतंत्र की स्थापना के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा रहे थे और इसी प्रकार की राजनीति करने के लिए हिंदू और मुसलमानों की एकता का आह्वान कर रहे थे।

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गांधी, नेहरू, पटेल, अबुल कलाम आजाद और अंबेडकर आदि भारत को लुटेरे साम्राज्यवादी अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराकर भारत में धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, प्रजातांत्रिक, गणतंत्र की स्थापना के लिए राजनीति के मैदान-ए-जंग में थे। वे सभी प्रकार की गैरबराबरी, गुलामी, शोषण, हिंसा, भेदभाव और अन्याय का विनाश करने की राजनीति कर रहे थे।

वहीं दूसरी ओर भारत का कम्युनिस्ट खेमा जिसका नेतृत्व ईएमएस नंबूद्रीपाद, एम बासवपुनैया, बीटी रणदिवे, अहिल्या रांगणेकर, मुजफ्फर अहमद ऐ के गोपालन, ज्योति बसु और हरीकिशन सिंह सुरजीत, कैप्टेन लक्ष्मी सहगल, इंद्रजीत गुप्ता आदि कर रहे थे, जनता को बुनियादी समस्याओं को दूर कर सबको रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, जमीन और रोजगार देने की क्रांतिकारी राजनीति कर रहे थे और भगत सिंह आदि शहीदों की राजनीति और लक्ष्य को आगे बढ़ा रहे थे।

इसी के साथ-साथ भारत का समाजवादी खेमा भी भारत की आजादी और जनता के कल्याण की राजनीति कर रहा था जिसमें जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी नाथ ठाकुर, मधुदंडवते आदि शामिल थे। आज भी भारत का समाजवादी खेमा उन्हीं जन कल्याण और भारत की तमाम जनता के विकास की राजनीति कर रहा है।

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इस सब के खिलाफ भारत की सांप्रदायिक ताकतें हिंदू महासभा, आरएसएस, मुस्लिम लीग, जन संघ आदि ताकतें भारत की एकता तोड़ने के लिए, दो राष्ट्र के सिद्धांत, हिंसा, दंगे, नफरत, मारपीट, फासीवादी और हिटलरवादी राजनीति करके लुटेरे साम्राज्यवादी अंग्रेजों की मदद की और हिंदू मुस्लिम एकता को तोड़ने की, गंगा जमुनी तहजीब को मटिया मेट करने की और जनता को आपस में लड़ाने की, राजनीति कर रहे थे।

उपरोक्त तथ्यों और हकीकत की रोशनी में हम भारत में दो प्रकार की राजनीति देख रहे हैं- देश को एकजुट रखने, समता, समानता, सस्ता और सुलभ न्याय, आजादी, धर्मनिरपेक्षता, प्रजातंत्र, गणतंत्र और समाजवादी समाज की व क्रांतिकारी समाजवादी परिवर्तन की राजनीति और जनता को बुनियादी हक अधिकार दिलाने की रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सुरक्षा की राजनीति और साम्प्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की राजनीति।

वहीं दूसरी ओर सांप्रदायिक, जातिवादी, क्षेत्रवादी और भाषावादी, भ्रष्टाचारी ताकतें दंगे, अपराध, हत्या, हिंसा की राजनीति कर रही हैं और देश और समाज को बांट कर जनता की एकता को कमजोर करने वाली पूंजीवादी, साम्राज्यवादी और देशी विदेशी पूंजीपति लुटेरों के हितों को बढ़ाने वाली सांप्रदायिक और जातिवादी, उदारीकरण और निजीकरण  की जन विरोधी राजनीति। हमें इस जनविरोधी राजनीति का डटकर, संगठित और एकजुट होकर मुकाबला करना पड़ेगा। इस प्रतिरोध की राजनीति में जनता को और समस्त किसानों, मजदूरों, नौजवानों, छात्रों, महिलाओं, दलितों, शोषितों, पीड़ितों और वंचितों को भी शामिल करना पड़ेगा।

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इस प्रकार हम राजनीति को गंदा बताकर राजनीति के सबसे जरूरी मुद्दों और अखाड़े से भाग नहीं सकते। हमें अपने शहीदों की जनकल्याण के मुद्दों की, सबको रोटी, सबको शिक्षा, सबको स्वास्थ्य, सबको रोजगार, सबको सस्ता और सुलभ न्याय, सबको मकान, सबको जमीन, सबको पानी, सबको स्वच्छ हवा और सबके सर्वांगीण विकास की, राजनीति करनी होगी।

राजनीति कोई विलासिता या दिखावे की बात नहीं है। आज हमारे देश और दुनिया में सब कुछ राजनीति ही तय कर रही है, यानी कि पूंजीपतियों और सरमायेदारों के हितों को बढ़ाने वाली राजनीति और दूसरी तरफ किसानों मजदूरों मेहनतकशों नौजवानों छात्रों महिलाओं का कल्याण करने वाली राजनीति। हमें जनकल्याण की राजनीति और सबको सस्ता और सुलभ न्याय की राजनीति के मार्ग पर आगे बढ़ना होगा। हम इससे पीछा नहीं छुड़ा सकते। हम इससे मुंह नहीं चुरा सकते। सही और जनकल्याणकारी राजनीति करना आज की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है। हम किसी भी हालत में इससे मुंह नहीं चुरा सकते।

हमें समता, समानता, आजादी, धर्मनिरपेक्षता, जनता के जनवाद, सबको सस्ता और सुलभ न्याय और समाजवादी समाज की स्थापना की सबसे जरूरी राजनीति करनी पड़ेगी। यही आज की जनता का सबसे बड़ा काम और कर्तव्य है और यही भारत को बचाने की मुहिम है। हमारे बहुत से किसान, नौजवान, महिलाएं और मजदूर और बुद्धिजीवी इस राजनीति में लगे हुए हैं। आओ हम भी जनता की बुनियादी समस्याओं को हल करने की राजनीति के अभियान में और आंदोलन में शामिल हों और एक कदम भी पीछे नहीं हटें। यही आज की राजनीति का सबसे बड़ा हिस्सा और सबसे बड़ा कार्यभार है।

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हम जहां कहीं भी हों और जिस किसी भी अवस्था में हो, वहां समता, समानता, धर्मनिरपेक्षता, जनवाद, गणतंत्र, न्याय, आजादी, प्यार, मोहब्बत, भाईचारा और समाजवाद की जनकल्याणकारी राजनीति करें, इस राजनीति में भाग लें और ऐसी राजनीति की तरफदारी करें। मनसा, वाचा, कर्मणा और पैसे से इसमें शिरकत और सहयोग करें और पूंजीवादी, जातिवादी, सांप्रदायिक, क्षेत्रवादी, भाषावादी, जन विरोधी ताकतों का और इस राजनीति का, डटकर मुकाबला करें। इससे हम भाग नही सकते, इससे मुंह नही मोड सकते। यह आज की सबसे बड़ी जरूरत है और सबसे बड़ी राजनीति है। 

जनहितकारी राजनीति करना और जनता के कल्याण की राजनीति करना, आज की सबसे ज्यादा जरूरत है और जन कल्याणकारी राजनीति करना हमारा बुनियादी, जन्मसिद्ध अधिकार और आज की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है। आइए, अपने सारे यारों, दोस्तों और परिचितों को आज के इस सबसे जरूरी काम में और इस सबसे जनहितकारी राजनीति के अभियान में शामिल करें।

मुनेश त्यागी

Doing public welfare politics is our biggest need today.

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