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हिमाचल बाढ़ 2023 : प्राकृतिक आपदा नहीं अवसर निर्मित आपदा है
बाढ़ 2023 - हिमाचल को अपना भविष्य दिखाई दे चुका है
पर मुनाफे की हवस क्या कोई हल निकालेगी?
जुलाई महीने में अब तक हिमाचल प्रदेश में 27 जगह बादल फटने की घटनाएं हो चुकी हैं। 500 से अधिक जगह पर भूश्खलन (लैंड स्लाई़ड) हुए हैं। प्रथमिक अनुमानों के आधार पर 8000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। ये नुकसान बहुत बड़ा है, क्योंकि पिछले 8 साल में जितना नुकसान मानसून के सीजन में हुआ था उतना मात्र कुछ दिनों में हो चुका है। 150 लोगों की मृत्यु हो चुकी है और 600 अधिक घर ढह चुके हैं। 4000 हजार घरों के नुकसान पहुंचा है, 1000 से अधिक पशुशालाएं तबाह हुई हैं। 1000 के करीब पशु मर चुके हैं। अब तक 1600 सड़कें क्षतिग्रस्त होने की खबरे हैं। पेय जल व बिजली के ट्रांसफार्मर भी सैकड़ों की संख्या में बंद पड़े हैं। लगभग 90 प्रतिशत पेय जल योजनाएं ठप्प हो गई थी। 1800 पेय जल योजनाओं के तो पंप तक पानी में बह चुके हैं।
प्रदेश के कई इलाकों में इस कदर बादल फटे हैं कि उसने 20-20 किलोमीटर तक क्षेत्र का भूगोल बदल दिया है। कुल्लू का सैंज बाजार अब शायद ही दोबारा उस जगह पर बस पाए। मनाली से कुल्लू तक बनाया गया हाईवे ऐसे दिखने लगा है जैसे यह नदी का ही हिस्सा हो।
प्रदेश के मुख्यमंत्री ने खुद माना है 50 साल में पहली बार हिमाचल में बारिश से हुआ भारी नुकसान हुआ है।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि 50 साल में पहली बार हिमाचल में बारिश से भारी नुकसान हुआ है। पानी के रास्ते में जो आया वो उजड़ गया। उन्होंने कहा कि मैंने अपने जीवनकाल में ऐसा पहले कभी नहीं देखा। इससे पहले 1971, 1988 और 1995 में ब्यास ने सब कुछ तबाह कर दिया था। लेकिन लोग 2023 की बाढ़ को सबसे अधिक खतरनाक मान रहे हैं। इस बार जो नुकसान हुआ, वह कई गुना अधिक है। नदी का रुख मुड़ने से पानी रिहायशी इलाकों तक पहुंचा, जो तबाही का कारण बना। नदी का तटीयकरण न होने से भी पानी रिहायशी इलाकों तक पहुंच गया।
कुछ लोग कह रहे हैं कि कुल्लू-मनाली कई साल पीछे चले गये हैं और आने वाले पांच साल तक इसकी भरपाई नहीं हो पाएगी। वह फिर वकालत कर रहे हैं कि सड़कें बनाई जाएं, बिजली प्रोजेक्ट ठीक किये जाएं, पर्यटन को फिर पटरी पर लाया जाए। लेकिन सही बात ये है कि जो इस साल हुआ वह हर साल होने वाला है। हिमाचल सहित तमाम हिमालयी क्षेत्रों का भविष्य यही होगा। यह कहने के पीछे पर्याप्त आधार मौजूद है।
हिमाचल की सबसे खतरनाक और डरावनी नदी कौन सी है?
ब्यास नदी में आई बाढ़ ने पिछले 50 सालों के सारे रिकार्ड तोड़ दिये हैं। क्षेत्र के लोगों में पहले से कहानियां प्रचलित हैं कि ब्यास जब भी अपने रूप में आती तो वह सब कुछ बाह कर ले जाती है। ब्यास सबसे खतरनाक और डरावनी नदी मानी जाती है। कुल्लू से लेकर मंडी तक यह बहुत संकरी है और दोनों किनारों पर सैकड़ों फुट ऊंचे पहाड़ खड़े हैं। लेकिन जितनी खूंखार ब्यास अब हुई है, बुजुर्ग बताते हैं कि पहले इतनी खूंखार कभी नहीं थी। इसके पीछे स्पष्ट कारण है चंडीगढ़ से मनाली तक बना हाईवे, उसके अंदर निकाली गई पांच से अधिक सुरंगें, बनाए गये फलाई ओवरब्रिज, ब्यास पर बने हुए कई बांध, 27 के करीब जल विद्युत परियोजनाएं। और इन के बनाते समय बरती गई कोताही। ब्यास व इसकी सहायक नदियों, तिर्थन आदि में डंप किया गया करोड़ों टन मलबा। सुरंगे जितनी बनी हैं उतनी ही लगभग विफल भी हुई हैं। पहाड़ों को खोद कर मलबा नदियों के किनारे डंप कर दिया गया और तमाम रोड़ नदियों के किनारे उनकी ही जमीन में बनाए गये। नदियां संकरी होती गईं और उन पर पांच-पांच मंजिला होटल खड़े होते गये। नदियों के अंदर बड़े-बड़े आलिशान घर बना दिये गए। पर्यटकों को लुभाने के लिए नदियों को पाट दिया गया।
जिला कुल्लू में करीब 20 बिजली प्रोजेक्ट हैं। इसमें अधिकतर का निर्माण पूरा हो गया है। कुछ का निर्माण चल रहा है। जिले में बाह्य सराज आनी-निरमंड से लेकर मनाली तक हर नदी-नालों पर प्रोजेक्ट बने हैं। इसमें 10 के करीब बड़े प्रोजेक्ट हैं, जिसकी उत्पादन क्षमता 100 मेगावाट से अधिक है। इतने ही माइक्रो प्रोजेक्ट हैं। उसमें एक से पांच मेगावाट तक बिजली पैदा हो रही है। इन प्रोजेक्टों में दस से 12 सुरंगों को निर्माण किया गया है। हजारों के हिसाब से हर भरे पेड़ों को काटा गया है। इसकी एवज में कुछ ही पेड़ों को लगाया जाता है। ब्यास में बाढ़ से हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड का लारजी में 126 मेगावाट का प्रोजेक्ट पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। इसमें बिजली उत्पादन पूरी तरह से ठप है।
10 जुलाई को ब्यास, पार्वती, तीर्थन तथा सैंज नदी में आई बाढ़ से प्रोजेक्ट पूरी तरह तहस-नहस हो गया है। पावर हाउस में बाढ़ का पानी और मलबा घुसा है। प्रोजेक्ट को 658 करोड़ का नुकसान आंका गया है।
थुनाग का बाजार अवैध मलबे से तबाह हुआ है। सराज विधानसभा क्षेत्र के थुनाग बजार में बर्बादी का मुख्य कारण सड़क निर्माण का फेंका मलबा और सड़क निर्माण के दौरान काटे पेड़ की अवैध डंपिंग है। बादल फटने के कारण थुनाग नाले के साथ मलबा और पेड़ कहर बनकर टूट पड़े। इससे पूरा बाजार तबाह हो गया।
2022 में रैनगलू हेलीपैड से तांदी गांव तक जब सड़क निर्माण किया तो उस समय कटिंग का मलबा हर कहीं नाले में फेंक दिया। रविवार को भारी बारिश के चलते जो सड़क निकाली थी, वह सड़क टूट गई और भूस्खलन हुआ। भूस्खलन अपने साथ कई पेड़ और डंपिंग की मिट्टी और लकड़ी को भी अपने साथ ले आया। इसके लिए वन विभाग और ठेकेदार जिम्मेदार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस समय सड़क का निर्माण किया उस समय अवैध रूप से कई पेड़ काटे गए।
बाढ़ से हिमाचल में कितना हुआ नुकसान?
स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (SDMA) के अनुसार प्रदेश में 4986 करोड़ रुपए से ज्यादा की सरकारी व निजी संपत्ति भारी बारिश से तबाह हो गई है। अकेले जल शक्ति विभाग की 1448.44 करोड़ रुपए, लोक निर्माण विभाग की 1621.65 करोड़ और बिजली बोर्ड की 1482.72 करोड़ रुपए की संपत्ति बर्बाद हुई। SDMA के अनुसार, साल 2022 में करीब 2500 करोड़ रुपए की संपत्ति को नुकसान हुआ था। साल 2021 में 1118.02 करोड़ रुपए, साल 2020 में 853.61 करोड़, साल 2019 में 1170.56 करोड़ तथा साल 2018 में 1520.63 करोड़ रुपए की संपत्ति बारिश में तबाह हुई थी। बीते सालों में जितनी संपत्ति पूरे मानसून सीजन में तबाह हुई, उससे कहीं ज्यादा इस बार 8 से 11 जुलाई के बीच 4 दिन की बारिश में तबाह हुई है लेकिन यह अनgमान अभी अधुरा है। मुख्यमंत्री का अनुमान 8000 करोड़ रुपये का है लेकिन आंकड़े इससे भी अधिक जाने वाले हैं। बहुत सारे क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर अभी तक सरकारी विभाग की रिपोर्ट नहीं आई है। और सरकारी रिपोर्ट में सरकारी नुकसान को ही अधिक प्राथमिकता दी जा रही है, क्योंकि निजी संपत्ति का मुआवजा भी सरकार को ही देना है।
सबसे अधिक तबाही उन नदियों के किनारे हुई है जहां पर हाईड्रो प्रोजेक्ट्स लगे थे और जहां पर नए-नए हाईवे बने थे। इस साल किरतपुर-मनाली हाईवे, कालका शिमला हाईवे और पठानकोट-कांगड़े हाईवे लगभग हर रोज मौत की खबरें सुनते रहे हैं। किरतपुर-मानली हाईवे पर लिखते हुए अमर उजाला लिखता है कि इस फोरलेन के निर्माण के लिए पहाड़ों का 90 डिग्री पर बेतरतीब कटान, खुली ब्लास्टिंग, अवैध डंपिंग, बेइंतहा माइनिंग ने पहाड़ों को तो खोखला किया ही, साथ ही नदी-नालों के रास्ते भी बंद कर दिए हैं। इस परियोजना के निर्माण के लिए लाखों टन मिट्टी पहाड़ों से निकाली गई, लेकिन उसे प्रदेश के बिलासपुर, मंडी, कुल्लू जिले के नदी-नालों और झील के किनारे डंप कर दिया। फोरलेन तो बनकर तैयार हो गया, लेकिन इन नदी-नालों को मक डंपिंग ने हमेशा के लिए बंद कर दिया। हालांकि, कोर्ट के आदेशों के बाद अवैध डंपिंग को हटाने की कागजी कार्रवाई तो हुई, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बहुत अलग है। किरतपुर से मनाली तक इस फोरलेन के लिए फोरलेन और टूलेन को मिलाकर कुल 21 टनल, 30 मेजर पुलों का निर्माण किया गया है। इनके निर्माण के लिए ब्लास्टिंग हुई, पहाड़ कटे और कहीं न कहीं कच्चे पहाड़ इनके निर्माण के बाद और कमजोर हो गए हैं।
अपदा में अवसर ढूंढने वाली केंद्र सरकार ने यहां भी अपना खेल खेला। हिमाचल एक कर्जदार राज्य है। विपक्ष की सरकार प्रदेश में होने के चलते केंद्र द्वारा कोई राहत पैकज जारी नहीं किया, कोई राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं की और प्रदेश सरकार द्वारा मांगी गई आर्थिक सहायता भी राजनीति की भेंट चढ़ती जा रही है। प्रदेश सरकार ने 2000 करोड़ रुपये का मामलू पैकज मांगा था लेकिन उसके लिए टीमें तो भेजी गयी लेकिन देखना होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है। प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच बयानबाजी का दौर खत्म हो चुका है। लेकिन प्रदेश की जनता अब मुआवजे की बाट देख रही है।
FAQs
साल 2023 में जो हुआ वह हिमाचल का भविष्य है। यह बाढ़ से हुआ है। मानसून की थोड़ी बहुत तैयारी रहती है। लेकिन जब यह दुर्घटना किसी दिन किसी बड़े भूकंप से होगी और ये बांध, सड़क, सुरंग, विद्युत परियोजनाएं जब पूरे उत्तर भारत के लिख खतरा बनेगी तो संभलने का मौका तक नहीं मिलेगा। इस बार बांधों से छोड़ा गया पानी, बाढ़ से ज्यादा खतरनाक साबित हुआ है। इसके साथ नदियों में पड़े हुए निर्माण कार्यों के मलबे ने बाढ़ की मारक क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया था।
गगन दीप सिंह
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">Himachal Pradesh: Couple killed in landslide, 3 feared dead as rain triggers flash flood <a href="https://t.co/q27nZDkiXV">pic.twitter.com/q27nZDkiXV</a></p>— alriyaan (@alriyaan009) <a href="https://twitter.com/alriyaan009/status/1683036364210679810?ref_src=twsrc%5Etfw">July 23, 2023</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>
<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">DEADLY FLOOD IN MANALI, HIMACHAL PRADESH, INDIA. <a href="https://t.co/AMxagWRxJ2">pic.twitter.com/AMxagWRxJ2</a></p>— SOURAV JANA (@souravjana85) <a href="https://twitter.com/souravjana85/status/1681007667366748162?ref_src=twsrc%5Etfw">July 17, 2023</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>
Himachal flood 2023: Not a natural disaster but an opportunity-created disaster