Advertisment

हिमाचल- निर्माणाधीन पेयजल योजना की पाईपें छत तोड़ कर घुसी घरों में

Himachal- Pipes of drinking water scheme under construction broke the roof and entered the houses. परलोग पंचायत में बड़ा हादसा बाल-बाल बचे तीन परिवार

author-image
hastakshep
07 Oct 2023
New Update
Pipes of drinking water scheme under construction broke the roof and entered the houses, major accident in Paralog Panchayat, three families narrowly escaped

निर्माणाधीन पेयजल योजना की पाईपें छत तोड़ कर घुसी घरों में,

Advertisment

परलोग पंचायत में बड़ा हादसा बाल-बाल बचे तीन परिवार

 

शिमला से गगनदीप सिंह

Advertisment

जिला मंडी, तहसील करसोग के अंतर्गत आने वाली परलोग पंचायत के शिर्मी गांव (Shirmi village of Parlog Panchayat under District Mandi, Tehsil Karsog.) में शुक्रवार की सुबह छह बजे अचानक अफरातफरी मच गयी। तीन सो मीटर ऊंची बेलूढांक से परलोग-बेलुधार उठाऊ पेयजल योजना की पांच ईंची दर्जनों पाईपें टूट कर घरों की छत फाड़ते हुए घरों से बाहर जा गिरीं। सुबह-सुबह ऊपर से आती पाईपों की आवाजें और ऊड़ती धूल देकर लोग घरों से बहार भाग गये। कुछ लोग घरों में भी थे जो बाल-बाल बचे। आती हुई पाईपों की स्पीड इतनी अधिक थी कि घरों की तीन-तीन दिवारें तोड़ कर पाईपें कई-कई मीटर दूर खेतों में जा गिरी। लोगों का कहना है कि इतना आधिक तो विस्फोट भी नहीं होता।

हादसे के समय मौजूद रामकृष्ण (30) का कहना है कि वह जिस कमरे में पाईपें घुसी उसी में सो रहे थे। पहली पाईप छत्त के ऊपर से गुजर कर दूसरे घर के आंगन में गिरी, छत हिली तो मैं तुरंत बाहर भागा। देखते-देखते दूसरी पाईपें छतों में घुसी, दिवारे फाड़ी और बाहर निकल गयी। अभी घर के अंदर जाने से भी डर लग रहा है। पहाड़ पर जंगल में और पाईपें बिखरी पड़ी है जो कभी भी हादसे में तब्दील हो सकती हैं।

पास ही मे लगते लगभग 50 साल पूराने मिट्टी के मकान की छत और दो दिवार फाड़ कर 20-20 फूट की पांच पाईपें खेतों में जा गिरी, दो पाईपों ने तीन दिवार फाड़ी और वह घर से लगभग बीस फूट दूर खेतों में जा गिरी। इनकी स्पीड का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इन पाइपों ने लगभग 15 से 20 इंच की तीन मोटी दीवारों को भेद दिया है। गनीमत यह रहा कि सुबह-सुबह रेश्मी देवी चुल्हे के पास बैठी आटा गूंध रही थी। संभलने का मौका तक नहीं मिला, एक पाईप उसके सिर के ऊपर से दिवार छेद कर बहार निकल गयी। खुदा न खास्ता अगर वह खड़ी होती तो उसका सिर धड़ से अलग होता। वह पूरे दिन से सदमे में है। 

Advertisment

उनका बार बार एक ही सवाल है कि अब हम कहां रहेंगे। एक-एक पत्थर जोड़ कर उन्होंने घर बनाया था। मुश्किल से पानी पहुंचाया। लकड़िया ढोई। खच्चरों के साथ खुद खच्चर बने। दरअसल शिर्मी गांव तक सड़क नहीं पहुंची है। अभी भी लोगों को एक घंटे की खड़ी चढ़ाई कर बाजार या अन्य कामों में के लिए जाना पड़ता है। पढ़ने वाले बच्चे दो-दो घंटे पहाड़ पार कर स्कूल जाते हैं। दो सिमेंट के कट्टे पहुंचाने के लिए 500 रुपये किराया लगता है। क्योंकि खच्चर के साथ यहां पहुंचने में 4 से 6 घंटे लग जाते हैं। 

परिवार की मुखिया शैरी देवी उनकी एक मात्र सुरक्षित बची रसोई में बैठ कर रोने लग जाती हैं। शाम होने लगी है और सोने के लिए उनके पास आज केवल खुला आसमान है। सर्दियां जोर पकड़ रही हैं। गांव के नीचे तेज सतलुज बहती है। पहाड़ों में बुजुर्ग तो रसोई में ही सोते हैं क्योंकि वह गरम रहती है। लेकिन उसके तीन बेटे, उनका परिवार घर में मौजूद तिरपाल को बाहर बिछाना शुरू कर चुके हैं। घर की रजाई, गद्दे, अनाज उस पर बेतरतीब रखा हुआ है। घर के अंदर से सारा सामान निकाल लिया है कहीं गिर कर सारा ही न दब जाए।

शैरी देवी ने कहा कि उनके पति गोवर्धन दास की उम्र 92 साल हो गयी है। तीन बेटों ने अब तक जितनी कमाई की वह दो मकान बनाने में लगा दी। एक अधूरा है और यह पक्का था। हमारा पुराना मकान भी चला गया और नया भी चला गया। यह सब पेय जल योजना के कारण हुआ है। हमने ठेकेदार और उसके कर्मचारियों को पहले ही कहा था कि इसको घर से दूर बनाओ। यह टूट कर हमारे ऊपर गिरेंगे। लेकिन किसी ने कुछ नहीं सुनी। हमें घर के बदले घर चाहिए चाहे सरकार बनाए या ठेकेदार बनाए। इससे कम कुछ नहीं चाहिए।

Advertisment

प्रशासन और ठेकेदार बेखबर और लापरवाह 

सुबह हादसा हुआ और शाम तक परिवार को कोई फोरी राहत नहीं मिली जबकि हिमाचल में इसका प्रावधान है। तत्तापानी चौकी को जब खबर मिली तो शाम को चार बजे हमारे साथ दो पुलिस वाले साथ गये। मौके का मुआयना कर और बयान दर्ज कर वापिस आ गये। अधिकारियों से संपर्क किया गया, स्थानीय विधायक से संपर्क किया लेकिन कोई नहीं आया। हार कर एक स्थानीय सोशल मीडिया चैनल मईनेट टीवी के साथियों ने वहां से सीधा लाईव किया। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दबाव बनाया। अंधेरा घिर आने पर जल शक्ति विभाग का एक जूनियर इंजिनियर वहां पहुंचा। उसने कुछ नोट्स लिये और आश्वासन दिया कि वह अपने उच्च अधिकारी को यह सब रिपोर्ट करेगा और कल कुछ कार्रवाई होगी।

लोगों का कहना है कि पाइपें वेलडिंग से जोड़ी गयी है लेकिन सैकड़ों पाईपों को जमीन पर लिटाते हुए ले गये कहीं पर भी सीमेंट से बुर्जियां नहीं लगाई गयीं ताकि उनको सहारा मिल सके। हम बार बार ठेकेदार को कर्मचारियों को बोलते रहे, क्योंकि ठेकेदार तो यहां आकर भी नहीं देखते।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

Advertisment
सदस्यता लें