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अपनी कलंकित छवि को चमकाने के लिए जी-20 का प्रयोग करना चाहते थे मोदी

Modi wanted to use G-20 to brighten his tarnished image. जी-20 में सब उलट-पुलट. आयोजन की व्यवस्था के मामले में भी मोदी विफल रहे। 

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hastakshep
13 Sep 2023
Modi wanted to use G 20 to brighten his tarnished image

अपनी कलंकित छवि को चमकाने के लिए जी-20 का प्रयोग करना चाहते थे मोदी

जी-20 में सब उलट-पुलट

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जी20 में भाजपा की उलटबाँसी

यह एक अनोखी उल्टी-पुल्टी दुनिया है। भारत में जब शासक दल की राजनीति का मुख्य एजेंडा सांप्रदायिक असहिष्णुता पैदा करना, नफ़रत फैला कर समाज को तोड़ना और सभी जन-प्रचार माध्यमों पर क़ब्ज़ा करके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है तब इसी देश में जी-20 सम्मेलन के घोषणापत्र में गाजे-बाजे के साथ धार्मिक सहिष्णुता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में संयुक्त राष्ट्र संघ की मूलभूत प्रतिबद्धता को दोहराया गया है। 

जी-20 सम्मेलन के घोषणापत्र क्या कहा गया

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घोषणापत्र में कहा गया है कि “हम संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव ए/आरईएस/77/318, विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता, संवाद और सहिष्णुता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने की इसकी प्रतिबद्धता पर ध्यान देते हैं। हम इस बात पर भी जोर देते हैं कि धर्म या आस्था की स्वतंत्रता, राय या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण सभा का अधिकार और सहचर्य की स्वतंत्रता का अधिकार एक दूसरे पर आश्रित, अंतर-संबंधित और पारस्परिक रूप से मजबूत हैं और उस भूमिका पर जोर देते हैं ये अधिकार धर्म या आस्था के आधार पर सभी प्रकार की असहिष्णुता और भेदभाव के खिलाफ लड़ाई में निभायी जा सकती है।’’

उलट-पुलट जाने का शब्दकोश में अर्थ होता है

शब्दकोश के अनुसार उलट-पुलट जाने का अर्थ होता है कि आप जिस काम को बहुत सोच-समझ कर करते हैं, वही ऐन आख़िरी वक्त में बिल्कुल बिखर जाए, सारी चीज़ें दिशाहीन नज़र आने लगे, क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा है, इसका कुछ पता ही न चले। पर जिसे हेगेलियन द्वंद्वात्मकता कहते हैं, उसमें ‘उलट-पुलट’ का मायने यह है कि किसी भी एक सुचिंतित प्रकल्प का उसके घोषित उद्देश्य के बिल्कुल विपरीत परिणाम निकलना — मसलन, स्वतंत्रता के सपने का आतंक में बदल जाना, नैतिकता का मिथ्याचार में, बेशुमार दौलत का बहुसंख्यक आबादी की ग़रीबी में तब्दील हो जाना। 

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मोदी चाहते थे कि वे जी-20 का प्रयोग भारत में 2024 के चुनाव को जीतने के लिए करेंगे ; इससे अपनी कलंकित छवि को चमकाएँगे ; अपनी डूबती हुई राजनीति को पार करायेंगे। 

पर जी-20 का सम्मेलन ख़त्म हो गया, हज़ारों करोड़ फूंक कर दिल्ली में भारी तमाशा हुआ, मोदी दुनिया के अनेक राष्ट्राध्यक्षों के विनयी सेवक बने हुए उनके चारों ओर मंडराते दिखें, लेकिन कुल मिला कर हासिल क्या हुआ ? हासिल वही हुआ, जिसे उलट-पुलट कहते हैं। इस सम्मेलन में जिस घोषणापत्र पर सर्वसम्मति बनी, उसकी एक भी पंक्ति मोदी की राजनीति का समर्थन नहीं करती है। अर्थात् आगामी चुनाव प्रचार में मोदी सिर्फ दुनिया के नेताओं के साथ अपनी तस्वीरें चमका पायेंगे, पर इस सम्मेलन में हुई एक भी बात का वे उल्लेख नहीं कर पायेंगे। 

उल्टे, सम्मेलन के घोषणापत्र ने नफ़रत के बाज़ार में मोहब्बत की दुकान खोलने की बात की ही ताईद की है। इसमें ‘धर्म या आस्था के आधार पर सभी प्रकार की असहिष्णुता और भेदभाव’ को ख़त्म करने की बात कही गई है जो ‘लव जेहाद’, ‘आबादी जेहाद’, ‘वोट जेहाद’ आदि-आदि नाना जेहादों के नाम पर मोदी और आरएसएस की मुसलमान-विरोधी राजनीति को एक सिरे से ठुकराती है। 

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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात भी मोदी की नीतियों के खुले विरोध से कम नहीं है। 

आँख मूँद कर कोरे उत्सव-धर्मी भाव से नाचने-कूदने की राजनीति इसी प्रकार अपनी कब्र खुद खोदा करती है। अंतिम खबर के अनुसार जी-20 सम्मेलन के स्थल भारत मंडपम में बारिश का पानी भर गया है। अर्थात् आयोजन की व्यवस्था के मामले में भी मोदी विफल रहे। 

—अरुण माहेश्वरी

Modi wanted to use G-20 to brighten his tarnished image.  

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