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The real story of Hamas attack on Israel – Hamas is Netanyahu's foster child
इजरायल पर हमास के हमले की पर्दे के पीछे की असली कहानी
हमास ने इजरायल पर 7 अक्टूबर 2023 को हमला किया। यह तारीख बहुत ही महत्वपूर्ण है। ठीक पचास साल पहले 6 अक्टूबर 1973 को फिसीस्तीन पर हमला हुआ था। जिसकी कहानी हम किसी और दिन बताएँगे। लेकिन यह तारीख़ उस इतिहास को दोहराने के लिए चुनी गई।
हमास ने इजरायल पर हमला करने का जो फ़ैसला लिया ,वह हमास का फ़ैसला नहीं लगता.बल्कि वह सुनियोजित हमला है। इस योजना में इजरायल-अमेरिका आदि बड़ी ताक़तें शामिल हैं। हमास उनका बनाया मोहरा है।वह एक उग्रवादी संगठन है।
7 अक्टूबर को हमास ने ‘ऑपरेशन अल-अक्सा स्टोर्म’ शुरु किया और उसी दिन इस्रायली पीएम नेतन्याहू सेना को युद्ध के लिए तैयार रहने का आदेश देते हैं।
हकीकत यह है इजरायल ने युद्ध की तैयारियाँ जनवरी 2023 से आरंभ कर दी थीं। उनके इशारे पर दूसरी ओर हमास ने तैयारियाँ शुरु कीं। मेरा अनुमान है हमास-इजरायल युद्ध का ब्लू प्रिंट (Blue print of Hamas-Israel war) एक ही व्यक्ति-गिरोह-संगठन ने बहुत ऊँचे स्तर पर तैयार किया था। इस ब्लू प्रिंट की शिकार इजरायल और फिलीस्तीन की जनता हुई।
इजरायल में नेतन्याहू की सरकार सबसे भ्रष्ट सरकार है, जनता पर उसने अकल्पनीय ज़ुल्म किए हैं। वहीं दूसरी ओर हमास उग्रवादी संगठन है और फिलीस्तीन मुक्ति संघर्ष विरोधी संगठन है। जिसे हमास के सरप्राइज़ हमले के रुप में पेश किया जा रहा है, वह असल में हर स्तर पर सुनियोजित साँठगाँठ के तहत किया गया हमला है।
इस साँठगाँठ में इजरायल पूरी तरह शामिल है। यह हमला फिलीस्तीनियों के नरसंहार और गाजापट्टी को ख़ाली कराने के इरादे से कराया गया हमला है। यह कहना कि इस्रायली एजेंसियाँ नहीं जानतीं, यह हमला अचानक हुआ। यह सब बोगस बातें हैं।
7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर किया गया हमास का हमला सुनियोजित था। उसकी शिकार फिलीस्तीन - इजरायल की जनता हुई है। उल्लेखनीय है मोसाद कभी भी गुप्तचरी में फेल नहीं हुआ, वह दुनिया का सबसे शक्तिशाली जासूसी संगठन है। लेकिन इस बार वह फेल क्यों हुआ ? वह किसके आदेश पर फेल हुआ ? इन सवालों के उत्तर खोजे जाने चाहिए।
7 अक्टूबर का हमला इस्रायली- फिलीस्तीनी जनता के ख़िलाफ़ अब तक का सबसे संगठित हमला है। इसकी योजना हमास और इजरायल ने मिलकर बनायी।
मीडिया ने कहा हमास का हमला इस्रायली सिस्टम की असफलता है। यह बात सच नहीं है। हक़ीक़त यह है कि इस्रायली सिस्टम सफल रहा, उसने हमास के साथ मिलकर फिलीस्तीनी जनता पर हमला किया है। हमास के हमले को इजरायल समर्थित हमला कहना अधिक समीचीन होगा। क्योंकि पूरा गाजा पट्टी का इलाक़ा हमास के नियंत्रण में है और बाहर पूरी नाकेबंदी इजरायल की है। ऐसी स्थिति में दो से लेकर पाँच हज़ार तक रॉकेट कैसे इजरायल तक दागने में वह कैसे सफल रहा ? उसके पास अमेरिकी हथियार कैसे आए ?
प्रसिद्ध पत्रकार स्कॉट रित्तर ने लिखा है- हमास ने ये हथियार यूक्रेन के ज़रिए प्राप्त किए। एक अन्य चीज कही जा रही है कि हमास ने झूठा झंडा लगाकर हमला किया, यह बात भी ग़लत है। हमास के झंडे को मोसाद या इस्रायली सेना पहचानती है। हमास का झंडा इस्रायली सेना नहीं पहचान पायी यह बात गले नहीं उतरती। असल में इस हमले की आड़ में फिलीस्तीनी जनता को एक बार फिर से बड़ी राजनीतिक ताक़तों के हाथों बेच दिया गया।
यह तथ्य उल्लेखनीय है कि गाजापट्टी इलाक़े में ज़मीन में सेंसर लगे हुए हैं, ये सेंसर और किसी ने नहीं इजरायल ने लगाए हैं। इन सेंसरों के ज़रिए यह पता चल जाता है कि गाजा में ज़मीन पर क्या हो रहा है ? किस तरह की हरकतें चल रही हैं। समूचे गाजा के चारों ओर कांटे लगे हैं, इन पर अत्याधुनिक सैन्य टेक्नोलॉजी से लैस सैनिक बैठे रहते हैं। चारों ओर कैमरे लगे हैं। इन सबको लांघकर हमास ने इतना बड़ा हमला कैसे किया ? क्या इस्रायली सहयोग के बिना यह संभव है ?
संदेह के घेरे में इस्रायली पुलिस और सेना
इसी तरह हमास के हमले के समय इस्रायली सेना की निष्क्रियता संदेह पैदा करती है। गाजापट्टी के सीमावर्ती इस्रायली क्षेत्र में इस्रायली जनता चीख-चीखकर इस्रायली पुलिस-सेना आदि से मदद की गुहार लगा रही थी और छह घंटे तक जनता की मदद के लिए इस्रायली पुलिस और सेना में से कोई नहीं पहुँचा। सवाल उठता है छह घंटे तक इस्रायली पुलिस और सेना कहां नदारत रही ? यह सामान्य अनुपस्थिति नहीं है। दुनिया की सबसे ताकतवर सेना छह घंटे क्यों गायब रही ? किसके आदेश पर गायब रही ? सीमा का छह घंटे तक अतिक्रमण करने में हमास क्यों सफल रहा ? हमास जब सीमा अतिक्रमण कर रहा था तब इस्रायली सेना ने उनको रोका क्यों नहीं ? उन पर हमले क्यों नहीं किए ?
उल्लेखनीय है यासिर अराफ़ात के फ़तह मूवमेंट के ख़िलाफ़ सन् 1987 में हरकत अल-मुकवामा अल इस्लामिया नामक संगठन यानी इस्लामिक रेजिस्टेंस मूवमेंट यानी हमास नामक संगठन बनाया गया। इसकी आड़ में इस्लामिक बनाम फिलीस्तीन की जंग शुरु की गई और फ़तह आंदोलन को कमजोर किया गया।
हमास ने यासिर अराफ़ात और फ़तह मूवमेंट का शुरू से ही विरोध किया
हमास ने आरंभ से ही फिलीस्तीन लिबरेशन मूवमेंट का विरोध किया और उस काम के लिए उसे बाहरी शक्तियों से बड़े पैमाने पर फंड मुहैया कराए गए। अस्त्र-शस्त्र मुहैया कराए गए। उसकी सेना के गठन में इजरायल-सीआईए आदि ने मदद की। यासिर अराफ़ात और फ़तह मूवमेंट को ख़त्म करने के लिए हमास को विकसित किया गया। गाजा में हमास को ख़त्म करने बजाय उसे फलने-फूलने में इजरायल ने मदद की, जिससे वह धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवादी फिलीस्तीनियों पर निरंतर हमले कर सके, उनका जमकर विरोध कर सके।
प्रमाण देखें-
“Anyone who wants to thwart the establishment of a Palestinian state has to support bolstering Hamas and transferring money to Hamas,” he [Netanyahu] told a meeting of his Likud party’s Knesset members in March 2019. “This is part of our strategy – to isolate the Palestinians in Gaza from the Palestinians in the West Bank.” (Haaretz, October 9, 2023, emphasis added)
हमास-इजरायल क्यों एक हैं?
हमास-इजरायल का साझा लक्ष्य है धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवादी फिलीस्तीनियों का विरोध करना, उनको नेस्तनाबूद करना। इस बड़े षड्यंत्र को समझने की जरुरत है।
प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी
(प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी की एफबी टिप्पणी का किंचित् संपादित अंश साभार)
The real story of Hamas attack on Israel – Hamas is Netanyahu's foster child