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तो कांग्रेस ने तय कर लिया चुनावी एजेंडा!

So Congress has decided the election agenda! कांग्रेस की ओर से भविष्य का चुनावी एजेंडा तय हो गया.

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Rahul Gandhi

So Congress has decided the election agenda!

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10 अक्तूबर के कई अख़बारों सहित देश के सबसे बड़े राष्ट्रवादी अख़बार में 9 अक्तूबर को कांग्रेस के कार्यसमिति की बैठक में लिए गए निर्णय पर जो रिपोर्ट छपी है, उससे ऐसा लगता है कि कांग्रेस की ओर से भविष्य का चुनावी एजेंडा तय हो गया. रिपोर्टों में कहा गया है कि कांग्रेस की कार्यसमिति ने सोमवार को हुई बैठक में जातिवार जनगणना कराने के साथ ओबीसी, एससी-एसटी को आबादी के हिसाब से भागीदारी देने के एजेंडे पर मुहर लगा दी है. साथ ही बड़ा राजनीतिक दांव चलते हुए कांग्रेस ने आरक्षण की 50 प्रतिशत की मौजूदा अधिकतम सीमा को हटाने के लिए कानून लाकर आबादी के हिसाब से ओबीसी, एससी- एसटी की भागीदारी देने की बड़ी गारंटी दे दी है. राहुल गांधी ने कार्यसमिति में सर्वसम्मति से पारित इस प्रस्ताव को ऐतिहासिक करार देते हुए यह भी एलान किया है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने जातिवार जनगणना नहीं कराई तो सत्ता में आने पर काग्रेस जातिवार जनगणना कराने के बाद देशव्यापी आर्थिक सर्वे भी कराएगी. 

पीएम मोदी और भाजपा पर ओबीसी की भागीदारी के मुद्दे से ध्यान बंटाने का आरोप लगाते हुए राहुल ने कहा कि वे देश की सामाजिक- आर्थिक हकीकत का एक्सरे कराने से डर रहे हैं और इस मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए वे तमाम तरीके अपनाएंगे. उन्होंने यह भी एलान किया कि पार्टी सत्ता में आने पर महिला आरक्षण तत्काल लागू करने के लिए काम करेगी. 

मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में सोमवार को चार घंटे तक चली कार्यसमिति की बैठक में जातिवार जनगणना का अहम फैसला लेते हुए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया. इसमें कहा गया है जातिवार जनगणना देशभर में समुदायों की सही और सटीक सामाजिक- आर्थिक स्थिति को सामने लाने के लिए बेहद आवश्यक है. जो आंकड़े निकलकर सामने आयेंगे, वे समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए नीतियों के निर्माण में एक ठोस, डाटा-संचालित आधार प्रदान करेंगे. 

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राहुल ने कार्यसमिति की बैठक के बाद कांग्रेस शासित चारों राज्यों के मुख्यमंत्रियों: आशोक गहलोत, सिद्दारमैया, भूपेश बघेल और सुखबिंदर सिंह सुक्खू के साथ प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि ओबीसी, दलित, आदिवासियों की संस्थाओं और संपत्ति में कितनी हिस्सेदारी है, इसका जवाब जातिवार जनगणना और आर्थिक सर्वे से ही मिल सकता है. कांग्रेस शासित राज्यों में हम जातिवार जनगणना कराएँगे और केंद्र सरकार पर राष्ट्रीय स्तर पर जातिवार जनगणना कराने के लिए दबाव बनायेंगे. 

कार्यसमिति ने प्रस्ताव में यह भी गारंटी दी है कि कांग्रेस सत्ता में आएगी तो जनसँख्या के अनुरूप हिस्सेदारी के लिए ओबीसी, एससी, एसटी के आरक्षण की वर्तमान सीमा हटायेंगी. कार्यसमिति की बैठक के बाद प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर ओबीसी को किनारे करने का आरोप लागते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस के चार मुख्यमंत्री में से तीन ओबीसी के हैं, जबकि भाजपा के 10 में से केवल एक मध्य प्रदेश के सीएम ओबीसी वर्ग से हैं. उन्होंने कहा कि आरएसएस और पीएम मोदी ओबीसी वर्ग की स्थिति का सामाजिक एक्सरे कराने से न केवल डर रहे हैं, बल्कि पीएम कभी परिसीमन, कभी दक्षिण भारत तो कभी धार्मिक बंटवारे की बात उठा इसे भटकाने का प्रयास करत रहे हैं. 

इन्डिया में जातिवार जनगणना पर कांग्रेस के रुख का समर्थन से जुड़े सवाल पर राहुल गाँधी ने कहा कि एक-दो पार्टियों की राय अलग हो सकती है, लेकिन अधिकतर पार्टियाँ इसके पक्ष में हैं. जातिवार जनगणना के कांग्रेस की मांग को चुनावी फायदे के लिए उठाने के भाजपा के आरोपों पर राहुल ने कहा कि यह मुद्दा हमारे लिए राजनीति का है ही नहीं ! इसलिए हमलोग चुनावी नफा-नुकसान नहीं देख रहे है.

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बहरहाल इसी प्रेस कांफ्रेंस में राहुल ने मीडिया में दलित, आदवासी, पिछड़ों को लेकर एक ऐसा सवाल किया जो आज तक किसी अख़बार के मालिक, संपादक ही नहीं, सामाजिक न्याय के किसी स्थापित नेता ने भी नहीं पूछे होंगे. बतौर पत्रकार रवीश कुमार, ’राहुल गाँधी ने प्रेस कांफ्रेंस में वह सवाल कर दिया, इसका जवाब आजतक भारत के मीडिया ने नहीं दिया. समपदकों ने और मालिकों ने! एक सवाल यह भी है कि क्या राहुल के सवाल को मीडिया अपने पन्नों पर जगह देगा या सवाल को गायब कर दिया जायेगा ? राहुल का सवाल था कि मीडिया में दलित, आदिवासी और ओबीसी कितने हैं ? इस सवाल का जवाब सामने बैठे पत्रकारों से नहीं मिला, बल्कि इस सवाल का जवाब था कि मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व नहीं है. 

पिछले दस साल में मीडिया में अपर-कास्ट के वर्चस्व को लेकर कई सवाल आए हैं, मगर मीडिया ने कभी इसका उत्तर नहीं दिया. जहां तक मुझे याद है कि पहली बार राजनीतिक दल के किसी महत्वपूर्ण नेता ने मीडिया पर यह सवाल दागा है ? राहुल ने इस सवाल पर गोदी मीडिया को चुप करा दिया जो तरह - तरह से बीजेपी के सवालों को लेकर राहुल को घेर रहा था.

राहुल ने दिखा दिया कि उनका सवाल केवल बीजेपी से नहीं, मीडिया से भी है. राहुल गांधी अपने राजनीतिक कार्यक्रमों को लेकर पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और साहसिक होते जा रहे हैं. उन सवालों को उठा रहे हैं, जिन्हें उठाने से बचा जाता है और किनारे लगा दिया जाता है. गोदी मीडिया के किस मालिक की तरफ से इसका जवाब आयेगा, इंतजार कीजिये कल तक ‘!

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खैर! रवीश कुमार ने तो राहुल गांधी द्वारा मीडिया पर दागे गए सवालों का तफसील से ब्यौरा दिया पर, वह खुद कुछ खास सवाल लगता है गोल कर गए, जिनका सम्बन्ध संपदा, संसाधनों और संस्थानों के बंटवारे से जुडा है. राहुल गाँधी ने प्रेस कांफ्रेंस में बहुत ही शिद्दत के साथ सवाल उठाया कि देश के धन और संपदा (एसेट्स) में दलित, आदिवासी, पिछड़ों की कितनी हिस्सेदारी है. उन्होंने कहा देश में जो धन और असेट्स है क्या वह इन लोगों के हाथ में है ? कितने एसेट्स एससी के पास है? कितने असेट्स आदिवासियों के पास हैं और कितने एसेट्स ओबीसी के हाथ में हैं. इसी तरह देश के संस्थानों में कितने संस्थान दलितों के पास है? संस्थानों में आदिवासी और ओबीसी की कितनी हिस्सेदारी है? ये ऐसे सवाल हैं, जो शायद कंशीराम को छोड़कर अन्य किसी नेता ने उठाने का साहस अबतक नहीं किया !

बहरहाल जब 9 अक्तूबर को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक चल रही थी, उसी दरम्यान राजनीतिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माने जाने वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की घोषणा हो गयी. इन चुनावों में 16 करोड़ से ज्यादा मतदाता भाग लेंगे. इनमें छत्तीसगढ़ को छोड़कर बाकी चार राज्यों का चुनाव एक चरण में संपन्न होगा, जबकि छत्तीसगढ़ का दो चरणों में! शुरुआत 7 नवम्बर को मिजोरम की सभी 40 और छत्तीसगढ़ के पहले चरण की 20 सीटों के चुनाव से होगा. मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों और छत्तीसगढ़ के दूसरे चरण में शामिल शेष 70 सीटों पर 17 नवम्बर को वोट पड़ेंगे.राजस्थान की सभी 200 सीटों पर 23 नवम्बर को, जबकि 30 नवम्बर को तेलंगाना की सभी 119 सीटो पर चुनाव होगा. इनका चुनाव परिणाम तीन दिसंबर को आएगा. पांच राज्यों के चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही राजनीतिक पार्टियों के बीच दावे- प्रतिदावे की राजनीति शुरू हो गयी है, राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक़ चुनावी बिसात पर इन चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन देश में विपक्षी राजनीति की दिशा तय करेगा. इस लिहाज से 5 राज्यों का यह चुनाव 2024 से फाइनल से पहले विपक्षी इंडिया के लिए भी बेहद निर्णायक मान जा रहा है. और इसलिए छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश से लेकर तेलंगाना तक कांग्रेस पूरा जोर लगा रही है. 

यदि इन राज्यों में कांग्रेस प्रत्याशा के मुताबिक परिणाम देने में सफल हो जाती है 2024 के लिए इंडिया गठबंधन का मनोबल बढ़ जायेगा. बहरहाल भविष्य में चुनाव परिणाम जो भी आए 9 अक्तूबर को कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में पांच राज्यों का ही नहीं, शायद 2024 का भी चुनावी एजेंडा सेट हो गया है.

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लेकिन 9 अक्तूबर को कांग्रेस ने भविष्य का जो एजेंडा सेट किया है, वह अकस्मात् नहीं, बल्कि फ़रवरी 2023 में रायपुर में आयोजित कांग्रेस के 85 वे अधिवेशन में पारित प्रस्तावों और कर्णाटक चुनाव में इस्तेमाल किये गए गारंटियों और मुद्दों का परिणाम है. 

स्मरण रहे इस वर्ष 24-26 फ़रवरी तक चले कांग्रेस 85 वे अधिवेशन में जो अभूतपूर्व प्रस्ताव पेश किये उसे ढेरों राजनीतिक विश्लेषकों सामाजिक न्याय का पिटारा कहा था, जिसमे एक उच्च न्यायपालिका में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण पर विचार करने का भी प्रस्ताव था. उसमें 2010 में पारित महिला आरक्षण पर यू टर्न लेते हुए एक प्रस्ताव कोटा में कोटा लागू करने का था. रायपुर अधिवेशन में कांग्रेस ने दशकीय जनगणना के साथ – साथ एक सामाजिक-आर्थिक जनगणना कराने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया था. रायपुर अधिवेशन में कांग्रेस ने भारत के सबसे बड़े सामाजिक समूह ओबीसी के उत्थान के प्रति समर्पित एक मंत्रालय गठित करने का भी वादा किया था. पार्टी ने एससी,एसटी,ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के साथ शैक्षणिक संस्थानों में होने वाले भेदभाव को दूर करने के लिए, उनके शिक्षा सम्मान के अधिकार की रक्षा और सुरक्षा के लिए रोहित वेमुला अधिनियम नामक एक विशेष अधिनियम बनाने की प्रतिबद्धता भी जाहिर किया था. 

रायपुर में कांग्रेस ने सामाजिक न्याय का जो पिटारा खोला था उसमें एक प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय विकास परिषद् के तर्ज पर सामाजिक न्याय परिषद् गठित करने का वादा भी था. यही नहीं कांग्रेस पार्टी ब्लॉक, जिला, राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर वर्किंग कमिटी में 50 % स्थान दलित, आदिवासी, पिछड़े, अल्पसंख्यक और महिलाओं के लिए आरक्षित करने की भी प्रतिबद्धता जाहिर किया था.

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रायपुर अधिवेशन में कांग्रेस ने सामाजिक न्याय के प्रति जो प्रतिबद्धता दिखाया उससे कुछ कदम आगे बढ़ते हुए उसने कर्णाटक में कल्याणकारी स्थानीय आधे दर्जन गारंटियों के साथ एससी-एसटी, ओबीसी अल्पसंख्यक/ लिंगायत और वोक्कालिगा के आरक्षण को 50 से 75% करने का वादा किया. कहा जा सकता कि कांग्रेस रायपुर के 85वें अधिवेशन से सामाजिक न्याय की ओर लौटने का जो संकेत किया, वह क्षणिक नहीं स्थायी हो गया है, जिसमें कर्णाटक की ऐतिहासिक सफलता ने बड़ा योगदान किया है. अब कांग्रेस अपना सवर्णवादी चरित्र विलुप्त कर सामाजिक न्याय से नाता जोड़ चुकी है, इससे खुद सामाजिक न्याय के झंडाबरदार दलों के नेताओं में भी असुरक्षा पैदा होता दिख रहा है. 

कांग्रेस के कार्यसमिति की बैठक के बाद राहुल गांधी के बयानों में सामाजिक न्याय का बवंडर उठ गया है. ऐसे में खुलकर कहा जा सकता है कि 9 अक्तूबर को कांग्रेस ने भविष्य का चुनावी एजेंडा जाहिर कर दिया. अब दावे के साथ कहा जा सकता है कि कांग्रेस मूलतः उस सामाजिक न्याय की पिच पर खेलने का मन बना चुकी है जो उसके प्रतिपक्षी भाजपा को बिल्कुल ही रास नहीं आता

एच. एल. दुसाध

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(लेखक बहुजन डाइवर्सिटी मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.).   

 

 

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