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पूरी दुनिया की समाजवादी और वामपंथी ताकतें फिलिस्तीन के साथ खड़ी हैं

Socialist and leftist forces of the whole world stand with Palestine. इस विवादित मामले में दुनिया की दो बड़ी ताकतों और देशों द्वारा की गई प्रतिक्रियाओं को देखना बेहद जरूरी है।

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hastakshep
17 Oct 2023
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Socialist and leftist forces of the whole world stand with Palestine

Socialist and leftist forces of the whole world stand with Palestine

पूरी दुनिया की समाजवादी और वामपंथी ताकतें कर रही हैं फिलिस्तीनियों के स्वतंत्र देश की वकालत 

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गाजा पट्टी में इजराइल ने मानवीय त्रासदी पैदा कर दी

फिलिस्तीन और इजराइल विवाद (Palestine and Israel dispute) में अब तक 4000 बेगुनाह लोगों की मौतें हो चुकी हैं, जिनमें 2500 से ज्यादा फिलिस्तीनी और 1300 से ज्यादा इसराइली मारे जा चुके हैं और 10 लाख फिलिस्तीनियों को उत्तरी गाजा से अपना घर छोड़ने को मजबूर होना पड़ा है, कई हजार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। इन मारे जाने वालों में सबसे बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की है। इस युद्ध में इसराइल ने गाजा पट्टी में बिजली, पानी, ईंधन और दवाइयां पर रोक लगा दी है और उन्हें बंद कर रखा है और वह अब गाजा पट्टी पर चारों ओर से घर कर हमला करने पर उतर आया है। उसने गाजा पट्टी में मानवीय त्रासदी पैदा कर दी है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Israeli Prime Minister Benjamin Netanyahu) का कहना है कि वह हमास को सबक सिखा कर रहेगा और पश्चिम एशिया की शक्ल बदल कर रख देगा।

इस विवादित मामले में दुनिया की दो बड़ी ताकतों और देशों द्वारा की गई प्रतिक्रियाओं को देखना बेहद जरूरी है। जहां एक तरफ दुनिया की लुटेरी पूंजीवादी ताकतें, साम्प्रदायिक और दुनिया को अपने प्रभुत्व में लेने वाली ताकतें जैसे अमेरिका, फ्रांस, इंग्लैंड, जर्मनी, स्पेन आदि देशों ने इन हमलों में और इस लंबे समय से चल रहे विवाद में, इजराइल का साथ देने की बात कही है और अमेरिका और इंग्लैंड ने तो इस झगड़े को, इस विवाद को निपटने की बजाय वहां अपनी हथियारबंद सेना भेज दी है।

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जबकि दूसरी ओर जो दुनिया की प्रगतिशील, जनवादी, धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी ताकतें हैं और दुनिया की दो महाशक्तियां रूस और चीन ने इन हमलों में मारे गए निर्दोष नागरिकों के साथ और उनके परिवारों के साथ सहानुभूति व्यक्त की है और पूरी दुनिया की शांति प्रिय जनता का आह्वान किया है कि फिलीस्तीन को यूएनओ के प्रस्तावों के हिसाब से उसकी जमीन दी जाए, इसराइल ने जो वहां अवैध रूप से कब्जा किया है, उसको लौटाया जाए और एक स्वतंत्र फिलीस्तीन देश की मान्यता दी जाए।

यहीं पर यह देखना है कि जहां अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन हमलावर और फिलिस्तीन की जमीन कब्जाने वाले इजरायल के साथ खड़े हुए हैं। आज तक अमेरिका ने इस 75 साल से चल रहे विवाद को निपटाने की कोई कारगर कोशिश नहीं की है, बल्कि वह अपने स्वार्थों के वशीभूत अंधा होकर फिलिस्तीन में कब्जा करने वाले इजरायल के साथ हैं, जबकि दुनिया के पूरे समाजवादी मुल्क जिनमें पूर्व यूएसएसआर और वर्तमान रूस, चीन, क्यूबा वियतनाम, उत्तरी कोरिया और दुनिया की सारी शांतिप्रिय ताकतें शामिल हैं, उन्होंने इस विवाद के शांतिपूर्ण और शीघ्र समाधान की कोशिशें की हैं।

वर्तमान विवाद को सुलझाने में राष्ट्रपति पुतिन और चीनी सरकार की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने मांग की है कि वर्तमान युद्ध में तुरंत युद्ध विराम होना चाहिए और उन्होंने ईरान और सीरिया और सऊदी अरब की सरकारों से आग्रह किया है कि वे इस युद्ध को फैलने ना दें और इस युद्ध का शांतिपूर्ण हल होना चाहिए। 

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक राजनीतिक समझौते की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। इसी मामले में चीन की भूमिका भी बड़ी सकारात्मक रही है। उसने बहुत लंबे समय से विवाद में रहे ईरान और सऊदी अरब के नेताओं के बीच इस मामले को सुलझाने की पहल की है और उन दोनों के बीच मुलाकात कराई है ताकि इस विवाद का शांतिपूर्ण हल निकल सके।

भारत भी इस विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करता रहा है और प्रधानमंत्री नेहरू, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेई ने और उसके बाद यूपीए की सरकार ने फिलिस्तीनियों को उसका देश देने की मांग की है। हालांकि भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री ने इस वर्तमान विवाद में इजराइल का साथ देने की बात की है, जो एक आश्चर्यचकित करने वाला रुख है। बाद में उनकी सरकार ने कहा है कि वे इस मामले का शांतिपूर्ण हल चाहते हैं और फिलीस्तीन को एक सम्मानित और आजाद मुल्क की मान्यता मिलनी चाहिए।

इस प्रकार हम देख रहे हैं कि दुनिया के लुटेरे मुल्क, पूंजीवादी ताकतें एवं सांप्रदायिक ताकतें जहां इजराइल और फिलीस्तीन के विवाद को हल करने के लिए कोई कोशिश नहीं कर रही हैं, कोई पहल नहीं कर रही हैं, बल्कि वे हमलावर और कब्जा करने वाले आक्रमणकारी इजराइल का साथ दे रही है जबकि दूसरी ओर समाजवादी ताकतें पहले यूएसएसआर और अब रूस, चीन और पूरी की पूरी समाजवादी और धर्मनिरपेक्षता ताकतें फिलिस्तीन के साथ हैं। वे फिलीस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र देने की मांग कर रही हैं और पश्चिम एशिया में शांति स्थापना करने की कोशिश और मांग कर रही है और वे इजरायल द्वारा फिलिस्तीन की अवैध कब्जाई गई जमीन को वापस करने की मांग दोहरा रही हैं।

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इस वर्तमान संघर्ष में भी जहां अमेरिका इंग्लैंड फ्रांस आदि पूंजीवादी देश, आक्रमणकारी इजराइल को बढ़ावा दे रहे हैं, वहीं रूस और चीन पूरी दुनिया की शांतिप्रिय ताकतों से और मुख्य रूप से ईरान, इराक, जॉर्डन, सीरिया, सऊदी अरब और तमाम मुस्लिम देशों से आग्रह कर रहे हैं और जोर डाल रहे हैं कि फिलिस्तीन और इजरायल के इस लंबे समय से चल रहे विवाद को जल्द से जल्द और शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाए और यहां किसी भी प्रकार से युद्ध की स्थिति में आने से बचें।

इस प्रकार पूरी दुनिया देख रही है कि दुनिया की लुटेरी पूंजीवादी और सांप्रदायिक ताकतें फिलीस्तीन पर कब्जा करने वाले इजरायल के साथ खड़ी हैं, जबकि पूरी दुनिया की धर्मनिरपेक्ष, जनवादी, वामपंथी और समाजवादी ताकतें इस विवाद के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दे रही हैं और एक स्वतंत्र फिलीस्तीन देश की पुरजोर मांग कर रही हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि दुनिया की पूरी ताकत समाजवादी, वामपंथी, धर्मनिरपेक्ष और जनवादी ताकतें फिलिस्तीन के साथ है और एक स्वतंत्र फिलीस्तीन की मांग कर रही है। यह उनका विश्व शांति काम करने का सबसे बड़ा काम है। इन सभी देशों और ताकतों की भूरि-भूरि प्रशंसा की जानी चाहिए। सच में वे सभी बहुत बहुत बधाई के पात्र हैं।

मुनेश त्यागी

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार व प्रसिद्ध अधिवक्ता हैं।) 

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