नदी का दिल उचट गया है इंसानों के आडम्बर पूर्ण प्रेम से
The heart of the river is shaken by the pompous love of humans शायद नदी
भागीरथ की खोज में है
जिसके सहारे पा सके
फ़लक तक
वापसी के रास्ते
मगर
धरती स्तब्ध है
नदी का दिल उचट गया है इंसानों के आडम्बर पूर्ण प्रेम से
नदियाँ
उफान पर हैं
शोर करती
तमाम दायरे
उलाँघतीं
नदियाँ
राह के
सारे मंजर
बहाते हुए
दौड़ रही हैं
नदियाँ
हरगिज़
नहीं सुनना चाहती
पहाड़ पुल और
रास्तों की बातें
तट बहाती
किनारे के
ईंट गारे पत्थरों के
मकानों की
चीख़ों को
अनसुना कर
सड़क
गाँव गली
मुहल्ले में घुस कर
हर तरफ़ से अंधाधुंध
रास्ता खोजती
भाग छूटी हैं
क़ैद के हर फ़्रेम से
शायद
नदी का
दिल उचट गया है
इंसानों के
आडम्बर पूर्ण प्रेम से
शायद नदी
भागीरथ की खोज में है
जिसके सहारे पा सके
फ़लक तक
वापसी के रास्ते
मगर
धरती स्तब्ध है
कालचक्र का ये
क्या प्रारब्ध है
कितने धैर्य
धीरज से
वो हर बार सहेजती है
फूलों सा वंश
मगर हर बार
का
अतिक्रमण
लाता हैं विध्वंस
डॉ कविता अरोरा
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