अवर लेडी ऑफ इमैक्युलेट कंसेप्शन कैथेड्रल : जानिए सत्रहवीं सदी में भारत में बने चर्च के बारे में

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25 Dec 2022
अवर लेडी ऑफ इमैक्युलेट कंसेप्शन कैथेड्रल : जानिए सत्रहवीं सदी में भारत में बने चर्च के बारे में अवर लेडी ऑफ इमैक्युलेट कंसेप्शन कैथेड्रल : जानिए सत्रहवीं सदी में भारत में बने चर्च के बारे में

our lady of immaculate conception cathedral

क्रिसमस पर विशेष

पुदुचेरी में तीन सदी पहले फ्रांस के सम्राट लुई चौदहवें ने बनवाया चर्च

“..क्योंकि आज के दिन दाऊद के नगर में तुम्हारे लिए एक उद्धारकर्ता का जन्म हुआ है, जो प्रभु मसीह है।”( लूका 1:11 बाइबल) 

आज प्रभु परमेश्वर के पुत्र यीशु का जन्म दिन है। आइए आज आपको देश के प्राचीन गिरिजाघरों में से एक ‘अवर लेडी ऑफ इमैक्युलेट कंसेप्शन कैथेड्रल’ (Our Lady of Immaculate Conception Cathedral) के बारे में बताते हैं।

पुदुचेरी (Pondicherry) के व्हाइट टाउन की मिशन स्ट्रीट पर इस चर्च का निर्माण सत्रहवीं सदी के आख़िर में हुआ था। तब यहां फ्रांस का शासन था।

फ्रांस के सम्राट लुई चौदहवें ने इसे बनाने के लिए आर्थिक सहायता की थी।

सन 1691 में बना यह चर्च अगले साल पुर्तगालियों के हमले में ध्वस्त हो गया। दूसरी बार बना चर्च भी ज्यादा समय बना नहीं रह सका, तब इसका तीसरी बार निर्माण हुआ।

सन 1728 से 1736 के समय में एक बार फिर भव्य चर्च बन एक तैयार हुआ, लेकिन बाद में यह भी फ्रांस-इंग्लैंड के बीच हुए लंबे युद्ध की चपेट में आकर नष्ट हो गया।

तब सन 1771 में चौथी बार इसका निर्माण शुरू हुआ जो 1791 में ख़त्म हुआ।

पुर्तगाली स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण है अवर लेडी ऑफ इमैक्युलेट कंसेप्शन कैथेड्रल

इस चर्च का बाहरी रूप पुर्तगाली स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण है। यह चर्च आज भी शान से खड़ा है।

वर्तमान में इस चर्च “अवर लेडी ऑफ इमैक्युलेट कंसेप्शन कैथेड्रल” में तमिल और अंग्रेजी भाषा में पूजा अर्चना होती है।

वैसे पुदुचेरी का यह चर्च अंतिम तौर पर पेरिस के प्रसिद्ध Church of Val De Grace के मॉडल पर तैयार हुआ। पेरिस स्थित चर्च अब मिलिट्री हॉस्पिटल के प्रार्थनाघर के रूप में जाना जाता है।

प्रसंगवश : भारत में ईसाई धर्म का इतिहास

o ईसवी सन 52 में भारत आया ईसाई धर्म

भारत में ईसाई धर्म का प्रवेश ईसवीं सन 52 में हुआ। तब यीशु मसीह के बारह शिष्यों में से एक सेंट थामस केरल के तट पर पहुंचे थे।

थामस ने लोगों को ईसाई धर्म में प्रवृत्त किया। बाद में वे धर्म प्रचार के लिए चीन चले गए। लौट कर आए और चेन्नई में बस गए। यहां एक गुफा में कुछ लोगों ने उनकी हत्या कर दी। उनकी मृत्यु के स्थान पर बाद में पुर्तगालियों ने एक गिरिजाघर बनवा दिया।

जानिए भारत के प्राचीनतम गिरिजाघरों के बारे में

देश के सबसे प्राचीन चर्च में गोवा का ‘बेसिलिका ऑफ बोम जीसस’ माना जाता है। यहां सेंट फ्रांसिस जेवियर के अवशेष ( ममीकृत पार्थिव देह ) अब भी रखे हैं।

केरल में कोचीन स्थित सेंट फ्रांसिस चर्च भारत में यूरोपीय शैली के पहला चर्च माना जाता है। इस चर्च में पुर्तगाली यात्री वास्कोडिगामा का शव भी कुछ समय के लिए दफनाया गया था। बाद में उसके शव को ले जाकर लिस्बन (पुर्तगाल) में दफनाया गया।

O डॉ राकेश पाठक

dr rakesh pathak
डॉ राकेश पाठक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, संवेदनशील कवि और लेखक हैं।)

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