लखनऊ, 22 फरवरी। भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा आज विधानसभा में टैबलेट से प्रस्तुत वर्ष 2021-22 के पेपरलेस बजट की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे न तो कमरतोड़ महंगाई घटेगी, न प्रदेश में कोई नया उद्योग ही लगेगा। कोरोना काल में भारी संख्या में बेरोजगार हुए लोगों और बेरोजगारी से जूझ रहे युवाओं के सम्मानजनक रोजगार लिए कोई योजना बजट में नहीं है। न ही गरीबों के लिए ठोस राहत पहुंचाने की व्यवस्था है। लिहाजा विकास की ठोस योजनाओं से वंचित यह बजट महज 'कागजी' खानापूरी है।
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पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने सोमवार को बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए उक्त बातें कहीं।
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उन्होंने कहा कि प्रदेशवासियों को उम्मीद थी कि पेट्रोल-डीजल-गैस की कीमतों में जो आग लगी है, उससे प्रदेश सरकार अपने करों में कटौती कर राहत दिलाएगी। तेल के बढ़े दामों में बड़ा हिस्सा तो प्रदेश सरकार के टैक्स का है। इसके चलते महंगाई भी तेजी से बढ़ी है। मगर बजट प्रस्तुत करते हुए योगी सरकार ने प्रदेशवासियों की इन कठिनाइयों के प्रति संवेदनहीनता का ही परिचय दिया है। उन्होंने सवाल किया कि बीमारु राज्यों में शामिल यूपी की सेहत आखिर कब सुधरेगी? इसका कोई विजन बजट में नहीं है।
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उन्होंने कहा कि प्रदेश योगी सरकार से छुटकारा चाहता है। इसलिए हो सकता है कि अगले साल चुनाव बाद यह सरकार दोबारा सत्ता में न लौट पाए। इस मायने में यह योगी सरकार का आखिरी बजट हो सकता है।