Advertisment

पेरिस समझौते के लक्ष्य पूरे होने से बच सकती हैं लाखों जानें – लैंसेट

author-image
hastakshep
10 Feb 2021
New Update
पर्यावरण असंतुलन जिम्मेदार कौन ?

Climate Change

Advertisment

Paris agreement targets may be saved from reaching millions of lives - Lancet

Advertisment

एक स्वस्थ जनसँख्या अपने आस पास के पर्यावरण और जलवायु के बारे में काफ़ी कुछ कहती है। आप अपने शरीर का ख्याल अगर सही मायने में रख रहे हैं, तो आप पृथ्वी और पर्यावरण का ख्याल रख रहे हैं।

Advertisment

इसी बात की तस्दीक ये ताज़ी रिपोर्ट करती है। लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ जर्नल के एक विशेष अंक में स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट काउंटडाउन के एक ताज़ा शोध में जलवायु परिवर्तन से लड़ाई में स्वास्थ्य को प्राथमिकता बनाने से होने वाले लाभों पर प्रकाश डाला गया है।

Advertisment

शोध के अनुसार यदि देश पेरिस समझौते के अनुरूप योजनाएं अपनाते हैं तो जन स्वास्थ्य पर बेहद सकारात्मक असर हो सकते हैं। 

Advertisment

दुनिया की आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाले नौ देशों पर किया गया है शोध

Advertisment

अध्ययन में नौ देशों पर शोध किया गया है और ये वो देश हैं जो दुनिया की आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं और 70 फ़ीसद कार्बन उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार हैं। यह देश हैं ब्राज़ील, चीन, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका।

Advertisment

पेरिस हस्ताक्षरकर्ता देश इस वर्ष COP26 से पहले अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों को बेहतर और संशोधित कर रहे हैं क्योंकि तय कार्यक्रम के अनुसार उन्हें इसका प्रस्तुतीकरण पिछले साल करना था। वर्तमान में, यह राष्ट्रीय लक्ष्य इतने मज़बूत नहीं कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।

इस शोध पत्र के लेखक इस बात पर जोर देते हैं कि बेहतर आहार, स्वच्छ हवा, और व्यायाम के माध्यम से जीवन और पृथ्वी को बचाया जा सकता है।

शोध के मुख्य लेखक और स्वास्थ्य और जलवायु पर लैंसेट काउंटडाउन के कार्यकारी निदेशक, इयान हैमिल्टन, जो कि यूसीएल एनर्जी इंस्टीट्यूट में चेंज एंड एसोसिएट प्रोफेसर भी हैं, कहते हैं, “हमारी रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन से लड़ाई के उस फायदे पर नज़र डालती है जिसे अमूमन ध्यान में नहीं रखा जाता।”

वो आगे कहते हैं, “कार्बन शमन की बातें सभी करते हैं लेकिन उसके फायदे जल्दी नहीं दिखते। मगर स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रित करने से नतीजे जल्द मिलते हैं। इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने से जन स्वास्थ्य को बेहतर करने में बड़ी सफलता मिल सकती है।”

शोध में शामिल सभी नौ देशों के बीच, पेरिस समझौते के अनुरूप परिदृश्य बनने पर जहाँ 5.8 मिलियन लोगों की जान बेहतर ख़ुराक मिलने से बच सकती है, वहीँ  स्वच्छ हवा और व्यायाम के साझा असर से 2.4 मिलियन जीवन बाख सकते हैं। शोध में पाया गया है कि सभी देशों को आहार में सुधार से सबसे अधिक लाभ होता है जबकि तीन-स्वास्थ्य मेट्रिक्स में से प्रत्येक का प्रभाव एक देश से दूसरे देश में भिन्न होता है।

बेहतर ख़ुराक से सबसे ज़्यादा फायदा जर्मनी में होने की उम्मीद है जहाँ प्रति लाख जनसंख्या पर अच्छी ख़ुराक 188 मौतों को टाल सकती है। जर्मनी के बाद आता है अमेरिका, जहाँ 171 मौतें टल सकती हैं, और उसके बाद आता है चीन जहाँ 167 मौतें टल सकती हैं।

यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि शोध में पाया गया कि लाल मांस खाने से जुड़े जोखिम की तुलना में फल, सब्जियां, फलियां और नट्स को एक साथ ले पाने से ज़्यादा स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी होती हैं।

द लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ के प्रधान संपादक डॉ एलेस्टेयर ब्राउन कहते हैं, “COP26 से पहले अब यही वक़्त है तमाम देशों के लिए अपनी जलवायु प्राथमिकताओं और लक्ष्यों का पुनरावलोकन करने का।”

आगे इसी विशेषांक में, विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूर्व महानिदेशक मार्गरेट चैन कहती हैं,

“एक स्वस्थ जनसंख्या भविष्य की स्वास्थ्य आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर तरह से तैयार होगी। इस शोध के नतीजो के आधार पर देशों को अपनी कोविड -19 रिकवरी योजना (COVID-19 Recovery Plan) भी बनानी चाहिए।"

Advertisment
सदस्यता लें