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पाओलो फ्रेयरे ने उत्पीड़ियों की मुक्ति के लिए शिक्षा में बदलाव वकालत की थी

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hastakshep
05 Dec 2021
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पाओलो फ्रेयरे ने उत्पीड़ियों की मुक्ति के लिए शिक्षा में बदलाव वकालत की थी

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Paulo Freire advocated a change in education for the emancipation of the oppressed.

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"Paulo Freire: The Pedagogy of the Oppressed and the Liberation Struggle"

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पटना, 5 दिसम्बर। केदारदास श्रम व समाज अध्ययन संस्थान की ओर से विश्वविख्यात क्रांतिकारी शिक्षाशास्त्री पाओलो फ्रेयरे जनशताब्दी वर्ष के अवसर पर विमर्श का आयोजन केदारभवन में किया गया। विमर्श का विषय था “पाओलो फ्रेयरे : उत्पीड़ितों का शिक्षाशास्त्र और मुक्ति संघर्ष”

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विमर्श में शहर के बुद्धिजीवी, साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता, विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे वक्ताओं ने बताया कि पाओलो फ्रेयरे का शिक्षाशास्त्र अन्यया पर आधारित ढाँचे को बदलने की लिए शिक्षा में आमूलचूल बदलाव की जरूरत है।

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Brazilian educator and philosopher Paulo Freire, who was a leading advocate of critical pedagogy.

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शिक्षाविद अनिल कुमार राय ने बताया “एक विचार का नाम है उत्पीड़ितों का शिक्षाशास्त्र। पावलो फ्रेयरे ने कहा है कि शिक्षा राजनीति है। उत्पीड़ितों का शिक्षाशास्त्र की अबतक दस लाख प्रतियाँ बिक चुकी है। उत्पीड़कों का शिक्षा शास्त्र उत्पीड़ितों को हीनता का बोध कराता है। इसलिए उत्पीड़ितों का शिक्षाशास्त्र होना चाहिए। इस किताब से गुजरते हुए आपको शिक्षा के रूप दिखाई देगा।“

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पाउलो फ्रेइरे का शिक्षा दर्शन pdf

प्रसिद्ध शायर संजय कुमार कुंदन ने कहा “Paulo Freire (पाउलो फ्रेइरे) कहते हैं उत्पीड़क मानवता की गरिमा को नष्ट करता है ताकि शासन कर सके। पाओलो फ्रेयरे बताते हैं कि जब कोई शोषित व्यक्ति मुक्त होने की कोशिश करता है तो शोषक उसमें सबसे बड़ी बाधा बनते हैं। समाज का बड़ा हिस्सा शोषक का दिमाग रखता जिसकी वजह से तानाशाही को बल मिलता है। पाउलो बताते हैं कि शिक्षा में लोगों के अनुभव को शामिल करना चाहिए। एक विश्लेषणात्मक शिक्षाशास्त्र होना चाहिए। थोपने की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए। लोगों से संवाद करने की जरूरत है। पाओलो मानते थे ज्यादा सहिष्णुता की जरूरत है। हमें सुनना चाहिए। सांस्थानिक दबंगई से काम नहीं करना चाहिए। पाओलो फ्रेयरे हीगेल और कार्ल मार्क्स से प्रभावित थे।“

पाओलो फ्रेयरे को याद करने का अर्थ शासक वर्ग को चुनौती देना |

प्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी अनीश अंकुर ने कहा कि “पाओलो फ्रेयरे को याद करना जरूरी है। उत्पीड़ित भी वैसे ही सोचता है जैसे उत्पीड़क। इसको खत्म करने की जरूरत है। उत्पीड़कों की भाषा में उत्पीड़ित अपनी मुक्ति नहीं कर सकता। क्या यह महज संयोग है जिन-जिन देशों के क्रांतिकारी नेताओं ने अंग्रेज़ी की मुखालफत की उन सबकी हत्या कर दी गई। गिनीयबिसाउ के अमिल्कर कबराल का नाम उदाहरणस्वरूप लिया जा सकता है। पाओक्यूबाई क्रान्तिकारी चेग्वेरा और अमिल्कर कबराल तथा अलीजिरिया के फ्रांज फ़ैनन से बहुत प्रभावित थे। पाओलो फ्रेयरे को याद करने का मतलब शासक वर्ग को चुनौती देना।

बैंकिंग शिक्षा का पिता कौन है?

अनीश अंकुर ने कहा कि, “पाओलो ने कहा शिक्षा की बैंकिंग प्रणाली अन्याय और जुल्म की जड़ है। शिक्षा का काम है मनुष्यता को बहाल करना। नए उत्पीड़कों से सावधान भी करते हैं पाओलो। हमारे यहाँ जाति विरोधी आंदोलन को पाओलो का इस्तेमाल करना चाहिए जो नहीं हुआ। पाओलो फ्रेयरे कहते हैं नेता वही होगा जो समाज में नई चतेना पैदा करेगा।“

शिक्षाविद अक्षय कुमार ने अपने संबोधन में कहा "किसी भी नैसर्गिक चेतना क़ा सामाजिक-राजनीतिक चेतना में रूपांतरण होना चाहिये। शिक्षाशास्त्र को खंड में देखेंगे तो नहीं समझ पाएंगे। मूल्य व मान्यताओं में बदलाव की आवश्यकता है। शिक्षा एक राजनीतिक मसला है। अपने आसपास को समझे बगैर पाओलो फ्रेयरे को समझा नहीं जा सकता। 'अरवल के किसानों के करुण कहानी' पुस्तक में हमने इसको लागू करने की कोशिश की है। पाओलो फ्रेयरे मार्क्स के सिद्धान्तों से प्रेरित है। पाओलो फ्रेयरे मुख्यतः दर्शन है।"

पाउलो फ्रायर का उत्पीड़ितों का शिक्षाशास्त्र किससे प्रभावित था? (पाउलो फ्रेयर के शिक्षाशास्त्र के मूल विचार)

सामाजिक कार्यकर्ता सुनील सिंह ने विमर्श में हस्तक्षेप करते हुए कहा “पाउलो फ्रेयरे ने जो बातें की उसका ठीक से समझना जरूरी है। पाओलो फ्रेयरे को उत्पीड़ितों का शिक्षाशास्त्र फ़्रांज फ़ैनन से प्रभावित था। उन्होंने बताया कि ईसा मसीह व मार्क्स से प्रभावित तो रहा हूँ। पर उनदोनों पर सवाल भी खड़े कर सकता हूँ। पाओलो फ्रेयरे का बचपन बहुत मुश्किलों से गुजरा। लैटिन अमेरिका में उठापटक चल रहा था। ब्राजील में जो लोकप्रिय सरकार आई उसने रूस से सहयोग गस्थापित किया। उस सरकार ने जो जन शिक्षा अभियान चलाया उसमें पाओलो फ्रेयरे का महत्वपूर्ण योगदान रहा। लेकिन 1964 में सरकार को गिरा दिया गया। अब कोई बच्चा टेक्स्टबुक की किताब नहीं पढ़ता। रट कर के पढाई होती है। तर्क की जगह नहीं रहने दी जाती।“

स्कूल शिक्षक शाह जफर इमाम ने कहा “अब शिक्षा किसी दल के एजेंडा में नहीं है। आज जमीन व सामाजिक उत्पीड़न के बदले शिक्षा ज्यादा बड़ा मुद्दा है। व्यावहारिक बातों को करने में हमें पीछे नहीं रहना चाहिए। कहने-सुनने से अधिक अमल की तौफ़ीक़ अदा करें। सामाजिक न्याय की ताकतों ने हमारी जमीन छीन ली। पाओलो फ्रेयरे को हाशिये के बीच ले जाने की जरूरत है।“

सामाजिक कार्यकर्ता ग़ालिब खान ने कहा “भारत में पाओलो फ्रेयरे को लेकर क्या किया गया है उसे समझना चाहिए। एक और उनकी प्रमुख किताब है ‘कल्चरल एक्शन फॉर फ्रीडम’। केरल ने पाओलो फ्रेयरे को अपने यहां केरल शास्त्र साहित्य परिषद के माध्यम से लागू किया। ठीक ऐसी ही दरभंगा में माटी-पानी का प्रयोग है। हमें उसके सामाजिक सबकों से सीखने की जरूरत है। बिहार में भी पाओलो फ्रेयरे को काफी लागू किया। कम्युनिस्ट पार्टी का बहुत त्याग है, स्वप्न है उसका सम्मान होना चाहिए। कल्चरल मैपिंग भारत सरकार बीस जिले के अस्सी गांवों का मैपिंग करवा रही है। क्या हम लोग नौ पंचायत का कल्चरल मैपिंग करवा सकते हैं या नहीं?”

साक्षरता आंदोलन : भारत में पाओलो फ्रेरे का उपयोग

इसक्फ के महासचिव रवींद्रनाथ राय ने कहा “साक्षरता आंदोलन ने यह भ्रम पैदा किया वह पाओलो फ्रेयरे को उपयोग कर रहा है। पाओलो फ्रेयरे का उपयोग भारत सरकार ने चालाकी से किया यहां तक कि उनको बिना पढ़े हुए बेगुसराय के साक्षरता आंदोलन में भी किया गया। कई जगह हुआ है भले कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने नाम से न किया हो।“

शिक्षक व लेखक सर्वेश कुमार ने अपने अनुभवों को शेयर करते हुए कहा “जब हम उत्पीड़ितों के शिक्षाशास्त्र की बात कर रहे हैं कि कैसे इंटरैक्टिव लर्निंग के नाम पर इंटरैक्शन के तमाम रास्तों को बंद कर रहा है। ये डिजिटल व ऑनलाइन शिक्षा जिस ढंग से चला रहा है क्या एक सामान्य परिवार इसका खर्च सम्भाल सकता है? जो डिजिटल डिवाइड आ रहा है उसे कैसे पाटा जाए? यह देखना होगा। रूरल इकॉनोमी बसे 40 लाख लोगों को जो रिलीज किया जाना है अर्बन सेक्टर है वह किस तरह का होगा। सिक्युरिटीज एजेंसियां खुद तो 20-25 हजार के बदले मात्र आठ हजार पर रखा जाता है।“

सभा को बिजली कर्मचारियों के नेता डी.पी.यादव ने भी संबोधित किया।

विमर्श का संचालन केदारदास श्रम व समाज अध्ययन संस्थान के सचिव अजय कुमार ने किया।

सभा में शहर के बुद्धिजीवी, सामाजिक कायकर्ता मौजूद थे। अध्यक्षता चर्चित एटक नेता चक्रधर प्रसाद सिंह ने किया।

प्रमुख लोगों में थे नन्दकिशोर सिंह, एटक नेता गजनफर नवाब, अमरनाथ मदन प्रसाद सिंह, गजेन्द्रकांत शर्मा, ज्ञानचन्द् भारद्वाज, सर्वेश कुमार, कुलभूषण गोपाल, सुशील भारद्वाज, साधना मिश्रा, सोनी कुमारी, बी.एन विश्वकर्मा, कारू प्रसाद, डी. पी यादव, नीरज कुमार, रंजीत कुमार, गोपाल शर्मा, स्वराज प्रसाद शाही, विजय नारायण मिश्रा, गोपाल जी आदि।

Notes :

पाउलो फ्रेयरे (पाउलो फ्रेरे) या Paulo Freire (पाउलो फ्रेइरे)

ब्राजील के शिक्षक

पाउलो रेगलस नेव्स फ़्रेयर एक ब्राज़ीलियाई शिक्षक और दार्शनिक थे, जो आलोचनात्मक शिक्षाशास्त्र के प्रमुख अधिवक्ता थे।

जन्म : 19 सितंबर 1921, रेसिफ़, पेरनामबुको राज्य, ब्राज़ील

मृत्यु : 2 मई 1997, साओ पाउलो, साओ पाउलो राज्य, ब्राजील

शिक्षा : रेसिफ़ लॉ स्कूल, पेरनामबुको के संघीय विश्वविद्यालय

बच्चे : लुटगार्ड्स कोस्टा फ़्रेयर, मारिया डे फ़ातिमा कोस्टा फ़्रेयर, मोरे

जीवनसाथी : मारिया फ़्रेयर (m. 1988-1997), एल्ज़ा फ़्रेयर (m. 1944-1986)

माता-पिता : जोआकिम टेमिस्टोकल्स फ़्रीयर, एडेलट्रूड्स नेव्स फ़्रेयर

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