कल ऐसोचेम की सभा में मोदी (PM Narendra Modi at 100 years of ASSOCHAM meet) ने जब उद्योगपतियों से कहा — अर्थ-व्यवस्था में ऊँच-नीच चलती रहती है तो सारे लोग सन्न रह गये। सामने पसरे सन्नाटे को देख खुद मोदी ने सबको तालियाँ बजाने के लिये कहा और सरकारी अमलों ने तालियाँ बजा कर मोकाम्बो को खुश कर दिया।
कल ही फ़िक्की की सभा में आईएमएफ़ की मुख्य आर्थिक सलाहकार गीता गोपीनाथ ने कहा है — अगले छ: महीनों तक तो अर्थ-व्यवस्था में सुधार की कोई संभावना नहीं है।
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मोदी ने उद्योगपतियों को बताया कि सरकार ने कैसे उन्हें ढेर सारी रियायतें दी है, फिर भी सभा में मायूसी बनी रही।
मोदी ने लोगों के मनोभाव को भाँप कर कहा, आपको शायद भविष्य की चिंता सता रही है। इसी बिंदु पर उनका दार्शनिक अंदाज था —अर्थनीति में ऊँच-नीच तो चलती ही रहती है।
लोग विस्फारित आँखों से मोदी की इन मुद्राओं को ताक रहे थे। मोदी के कहने पर दो बार तालियाँ बजाईं, लेकिन अर्थनीति के प्रति मोदी की निष्ठुर बेपरवाही से हतप्रभ थे।
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उधर फ़िक्की की बैठक में निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman at FICCI meeting) उद्योगपतियों से कहती हैं, अपनी पशु वृत्ति को जाग्रत कीजिए, कूद पड़िए।
पियूष गोयल बोल रहे थे कि हमारे अफ़सर को पूछने पर वे कहते हैं -‘आल इज वेल’, तब आपमें इतनी उदासी क्यों हैं ? तो लोगों ने उन्हें और भी गहरी चुप्पी साध कर जवाब दे दिया।