कोरोना पर अंशु शरण की दो गजब कविताएं
1.
## कोरोना ##
जिनका भविष्य सम्भावनाओं से भरा है
वे डर रहें हैं ।
जिन्होंने ताउम्र तकलीफें देखी
और जिनका जीवन कूड़े के ढेर या सड़क किनारे बीता हो
वे नहीं डर रहे हैं
वे तो हररोज मर रहे हैं ।
और सबसे बड़ी बात
राजधानियों को बसाने के बावजूद
इस संकट काल में
ये
भूखे और बे-दर रहे हैं ।
2.
*उपलब्धियाँ*
जो बच्चे खेल नहीं पाए
वो गुब्बारे बेच रहे हैं
जो बूढ़े पढ़ नहीं पाए
वो कलम बेच रहे हैं
जिसके पास छत नहीं
वो छाता बेच रहा है
और सरकार अपनी इन उपलब्धियों को दिखाने के लिए
चौराहों पर ट्रैफिक लाइट लगवा रही है |
अंशु शरण
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