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Policemen were giving inhuman torture, women's organizations complained to the police commissioner, now will be investigated
लखनऊ, 28 सितंबर 2020. आज एडवा, ऐपवा, साझी दुनिया, भारतीय महिला फेडेरेशन सहित सामाजिक कार्यकर्ता नाइश हसन के साथ एक प्रतिनिधिमंडल पुलिस आयुक्त सुजीत पांडे से मिला तथा उन्हें मोहान पुलिस चौकी द्वारा स्थानीय निवासी फखरूद्दीन अली अहमद को दी गई अमानवीय प्रताड़ना से अवगत करवाया। पुलिस आयुक्त ने आश्वासन दिया है कि पूरे प्रकरण की जांच एडीशनल एसपी से करवाई जाएगी। प्रतिनिधि मंडल में एडवा से मधु गर्ग, नंदिनी बोरकर, एपवा से मीना सिंह, साझी दुनिया से अंकिता व सामाजिक कार्यकर्ता नाइश हसन शामिल थीं।
ज्ञापन का मूल पाठ निम्न है :
सेवा में,
पुलिस कमिश्नर लखनऊ।
विषय - मोहान पुलिस चौकी ( पारा - थाना) लखनऊ द्वारा स्थानीय निवासी को अमानवीय प्रताड़ना देने के संबंध में
महोदय,
हम लखनऊ के महिला संगठनों व सामाजिक कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया के माध्यम से फखरुद्दीन अली अहमद पुत्र स्वर्गीय मोहम्मद हबीब, निवासी E - 99, कनक बिहार सलेमपुर पतोर थाना पारा को मोहान चौकी द्वारा प्रताड़ित करने की जानकारी मिली। हमने उनसे मुलाकात की और उनकी पूरी दास्तां सुनी जो बताती है कि वहां पुलिस चौकी में तैनात पुलिस विनय सिंह, जितेंद्र दुबे, अशोक सिंह, भूपेंद्र अथवा मनोज यादव ने एक गिरोह के रूप में उनसे अवैध वसूली की है और 18 अगस्त से सितम्बर 20 के मध्य तक (लगभग एक महीना ) इन्हें एक धर्म विशेष का नाम देकर गालियां दी तथा अमानवीय यातनाएं दी है। इनके साथ ही एक स्थानीय दलाल योगेन्द्र प्रताप सिंह (टिंकू) भी शामिल है जो फखरुद्दीन को पैसे लेने के लिए धमकाता था।
विदित है कि फखरुद्दीन का फैब्रिकेटिंग का काम है और उनकी दुकान में जुबैर नाम का लड़का काम करता था जो इनकी पड़ोस में रहने वाली कश्यप परिवार की लड़की को लेकर चला गया। इस संबंध में पारा थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। मोहान पुलिस चौकी ने इन्हें पूछताछ के लिए बुलाया और फिर लड़के के ठिकानों पर छापा मारने के लिए इनसे अवैध वसूली करते रहे। इन्हें जमाती कहकर अपने जूते से यह कहकर थूक चटवाया की जमाती तो जूठा खाते हैं। इनके मुँह पर पेशाब किया। इन्हें गंदी साम्प्रदायिक गालियां देते हुए दाढ़ी नोची। फखरुद्दीन के बार - बार कहने पर भी कि जुबैर द्वारा किए किये कृत्य की उन्हें कोई जानकारी नहीं है, वह मात्र उनकी दुकान में काम करता था, किंतु मोहान चौकी की पुलिस पहले से ये मानकर बैठी थी कि लड़की को भगाने में फखरुद्दीन का ही हाथ है।फखरुद्दीन इतना डरे हुए है कि अपने घर से बाहर है। इनके पास पैसे का इंतजाम करने के लिए दलाल से फोन करते हैं, जिसकी रिकार्डिंग भी है।
महोदय, हम जानना चाहते हैं कि पुलिस को किसने यह अधिकार दे दिया कि वह कहीं छापा मारने के लिए पैसा वसूली करे ? यदि कोई लड़का किसी दुकान पर काम करता है तो उसके द्वारा किए गए कृत्य के लिए दुकानदार कैसे जिम्मेदार हो सकता है ? उल्लेखनीय है कि पारा थाने से ज्ञात हुआ है कि लड़का जुबैर व लड़की ने अदालत में अपने बालिग होने व मर्जी से शादी करने का भी बयान दे दिया है।
महोदय, मोहान पुलिस (चौकी पारा थाना ) ने स्थानीय गुंडों के साथ मिलकर एक गिरोह की तरह काम किया है और कानून को ताख पर रखकर एक निर्दोष व्यक्ति को अमानवीय रूप से प्रताड़ित किया है। इसके लिए इन सभी आरोपी पुलिस वालों व स्थानीय गुंडों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश करे तथा तत्काल प्रभाव से मोहान पुलिस चौकी के पुलिसकर्मियों को निलंबित करे जिससे लोगों के बीच पुलिस और कानून के प्रति विश्वास बना रहे।