Poor account holders paying the price of bank corporate fraud
NO BANK CHARGES: यह जमाकर्ताओं का पैसा है जो कि बैंक ऋण देने के लिए उपयोग करते हैं और उधारकर्ताओं से उन ऋणों पर ब्याज कमाते हैं। लेकिन अब बैंकों ने बैंक शुल्क के रूप में जमाकर्ताओं से ही शुल्क लेना शुरू कर दिया है।

बैंकों में जमा लोगों की बचत बैंकों की पूंजी का निर्माण करती है जो कि बैंक उधारकर्ताओं को देते हैं। बैंक उधारकर्ताओं को जारी किए गए ऋण पर ब्याज कमाते हैं। बैंक की व्यवस्था और संचालन मे होने वाले सभी खर्च इन कर्ज़ो पर लगे ब्याज अथवा जमकर्ताओं के पूंजी से आते हैं।
बचत खाता जमाकर्ताओं को अपनी बचत पर ब्याज मिलता है, और उधारकर्ता बैंकों से लिए गए उधार धन पर ब्याज का भुगतान करते हैं। इन दो ब्याज दरों के बीच का अंतर बैंकों की आय का मुख्य स्रोत है। उधार एवं बचत (जो बैंक जमाकर्ताओं को देते हैं) पर ब्याज की दर के बीच का जो अंतर है, वह बहुत अधिक है। बैंक आमतौर पर अपने बचत खाताधारकों को 3% से 4% (समय के साथ लगातार कम होते ) का ब्याज देते हैं जबकि ऋणों पर 8% से 14% (कुछ मामलों में अधिक) के बीच चार्ज करते हैं। उधार और जमा राशि पर लगे ब्याज दरों के बीच के अंतर से जो रकम बनती है उससे बैंकों ने हमेशा मुनाफा कमाया है।
चूंकि, बैंक ऋण देने के लिए जमा की गई बचत राशि का उपयोग करते है, इसलिए बैंक बचत की जमा राशि के बगैर नहीं चल पाएंगे । लेकिन जब बैंकों ने कॉरपोरेट्स को दिये किए गए कर्ज़ो की वजह से नुकसान उठाना शुरू कर दिया क्योकि उन्हें ब्याज मिलना तो दूर, मूल राशि भी वापस मिलना कठिन हो गई, तब बैंकों ने इसकी भरपाई के लिए बचत खाताधारकों से बैंक खाता रखने और बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने के नाम पे चार्ज के रूप मे उनको दंडित करना शुरू कर दिया । जमकर्ता शुल्क का भुगतान प्रत्येक बैंकिंग लेनदेन के लिए, यहा तक की न्यूनतम राशि न बनाए रखने के लिए भी कर रहे हैं । आम बैंकिंग सेवाएं जैसे कि नकद निकासी और बैंक शाखाओं और एटीएम पे नकद जमा, एसएमएस अलर्ट सेवा, डेबिट कार्ड का उपयोग, एटीएम से शेष राशि की पूछताछ आदि पर भी चार्ज लिया जा रहा हैं । इससे पहले बचत खाताधारकों के लिए ऐसी मूल सेवाओं पर कोई चार्ज नहीं था।
इसलिए , बैंक खाते जो बैंकों को ऋण देने के लिए धन प्रदान करते हैं और लोगों के लिए अपना पैसा रखने का एक सुरक्षित विकल्प था, अब उन्ही लोगों से ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफा कमाने का एक माध्यम बन गया है।
People with small savings are paying large amount to avail banking services, while people with big savings are being given all banking services for free.
इसके अतिरिक्त, बैंक अपने खातों में कम पैसे वाले ग्राहकों के साथ शोषण करते हैं। छोटी बचत वाले लोग बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने के लिए बड़ी राशि का भुगतान कर रहे हैं, जबकि बड़ी बचत वाले लोगों को सभी बैंकिंग सेवाएं मुफ्त में दी जा रही हैं।
‘नो बैंक चार्जेस’ अभियान यह मांग करता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए और कॉरपोरेट ऋणों से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए बैंकों द्वारा बचत खाताधारकों से लिए जा रहे शुल्क को तुरंत बंद करवाना चाहिए।
बैंक शुल्क हटाने की मांग करने के लिए, अपने बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक और वित्त मंत्री को www.fanindia.net द्वारा ईमेल भेजें
‘नो बैंक चार्जेस’ अभियान से जुड़े
इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए, संपर्क करे www.fanindia.net
आशीष कजला एवं शिवानी द्विवेदी
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