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आईपीएफ ने पूछा – मोदीजी क्या महज छः राज्यों के 116 जनपदों में ही प्रवासी मजदूर हैं, जहां चुनाव होने हैं ?

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hastakshep
25 Jun 2020
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कोरोना संकट की आड़ में तानाशाही की ओर बढ़ रही सरकारें – दारापुरी

हज 116 जनपद में ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना (Pradhanmantri Garib Kalyan Rojgar Yojana) शुरू करने का मोदी जी का तर्क समझ से परे - दारापुरी

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आइपीएफ और मजदूर किसान मंच ने पीएम को पत्र भेज सोनभद्र, चंदौली व बुदेलखण्ड़ को शामिल करने की उठाई मांग

मनरेगा में चढ़े हाजरी और तीन माह और मिले मुफ्त राशन

कल 26 जून को पूरे प्रदेश में होगा मांग दिवस, भेजेंगे पत्रक 
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लखनऊ, 25 जून 2020 : कल प्रदेश में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान (Pradhanmantri Garib Kalyan Rojgar Yojana) की मोदी जी द्वारा शुरूआत करने से पूर्व आज आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट और मजदूर किसान मंच ने ईमेल से पत्रक भेज उनसे सर्वाधिक पिछड़े जनपद (Most backward districts) सोनभद, चंदौली व बुदेलखण्ड़ को इसमें शामिल करने की मांग की है। प्रधानमंत्री से मनरेगा में कराए जा रहे कामों की हाजरी चढाने और बकाया मजदूरी के तत्काल भुगतान व मुफ्त राशन को तीन माह और बढ़ाने की मांग भी की गयी है।

आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी व मजदूर किसान मंच के प्रदेश महासचिव डॉ. बृज बिहारी द्वारा भेजे इस पत्रक की प्रति मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव, ग्रामीण विकास को भी आवश्यक कार्यवाही हेतु भेजी गयी है।

पत्रक में कहा गया कि कोरोना महामारी के इस दौर में प्रवासी मजदूरों को रोजगार (Employment of migrant laborers in this era of corona epidemic) देने के नाम पर 20 जून को शुरू की गयी इस योजना को देश के महज छः राज्यों के 116 जनपदों में लागू करने की सरकार की घोषणा का क्या तर्क है वह समझ से परे है। हालत यह है कि देश के ज्यादातर जनपदों में प्रवासी मजदूर है जो काम न होने से जबर्दस्त संकटों का सामना कर रहे हैं। मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश में तो कई जगहों से काम न मिलने के कारण लगातार मजदूरों व उनके परिवारों द्वारा आत्महत्याओं की खबरें भी आ रही है। जानकारों के अनुसार केन्द्र सरकार द्वारा पचास हजार करोड़ की जो धनराशि का आवंटन किया भी गया है उससे हर गांव में लगभग दस मजदूरों को महज तीन दिन ही काम मिल सकेगा। कल उ0 प्र0 में ही शुरू हो रही योजना के लिए अखबारों के अनुसार सरकार ने 31 जनपदों के लिए 900 करोड़ रूपए आवंटित किए है जिससे महज प्रवासी मजदूर को एक दिन ही काम मिल सकेगा।

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पत्रक में कहा गया कि सोनभद्र और चंदौली जनपद की नौगढ़ व चकिया तहसील जिसे नीति आयोग तक ने देश का सर्वाधिक पिछड़ा क्षेत्र माना है जिसमें सोनभद्र जनपद तो 20 सर्वाधिक पिछड़े जिले में एक है। इस आदिवासी-दलित बाहुल्य क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, शुद्ध पेयजल, आवागमन के साघनों और उन्नत खेती का नितांत अभाव है। यहां जो बड़े उद्योग है भी तो उनमें स्थानीय निवासियों को रोजगार नहीं मिलता। परिणामस्वरूप इस क्षेत्र से बड़े पैमाने पर ग्रामीण मजदूर पलायन करते है और कोरोना महामारी में वह वापस लौटकर अपने घर आए है। यहीं स्थिति कमोवेश बुदेंलखण्ड़ के चित्रकूट, बांदा, ललितपुर व झांसी जनपदों की भी है। लेकिन इन सर्वाधिक पिछड़े जनपदों को आपकी सरकार ने इस योजना में शामिल ही नहीं किया। जो इस क्षेत्र के प्रवासी मजदूरों के जिंदा रहने के संवैधानिक अधिकार से ही उन्हें वंचित कर देता है।

पत्रक में कहा गया कि मजदूर किसान मंच की गांवस्तर पर करायी जांच में यह दिखा कि मनरेगा के तहत कराए जा रहे कामों में कार्यरत श्रमिकों की हाजरी जाबकार्ड पर दर्ज नहीं की जा रही है। कई श्रमिकों के पास तो जाबकार्ड तक नहीं है उन जाबकार्डो को प्रधान, पंचायत मित्र व ग्राम विकास अधिकारी द्वारा अपने पास रखा गया है। हफ्तों काम करने के बावजूद मजदूरों को मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है। जिन मजदूरों को भुगतान किया भी गया उनको किए गए काम के सापेक्ष कम मजदूरी दी गयी है। अभी भी बड़ी संख्या में रोजगार चाहने वाले मजदूर है पर उनको रोजगार उपलब्ध नहीं हो सका है। यहीं नहीं प्रवासी मजदूर जिनके परिवार के सामने जिंदा रहने का ही संकट हो गया है उन्हें भी रोजगार नहीं मिल रहा है। प्रवासी श्रमिकों के लिए सरकार की एक हजार रूपए और बारह सौ पचास रूपए का पंद्रह दिनों का राशन किट देने की घोषणा का भी लाभ नहीं मिल सका है। अब प्रदेश सरकार ने मुफ्त मिल रहे राशन को जुलाई माह से देने पर भी रोक लगा दी है। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप कर लोगों की जिंदगी बचाने के लिए पहल लेने का अनुरोध किया गया।

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