Professor Anand Mohan Chakraborty, father of ‘organic superbug’
नई दिल्ली, 04 अप्रैल : भारत में विज्ञान की परंपरा काफी समृद्ध रही है। यहाँ कई ऐसे वैज्ञानिकों ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपनी खोज के माध्यम से समूचे विश्व को न केवल अचंभित किया, अपितु समय-समय पर उसका नेतृत्व भी किया। ऐसे ही एक असाधारण वैज्ञानिक थे प्रोफेसर आनंद मोहन चक्रवर्ती। इन्होंने सर्वप्रथम किसी जीवधारी का पेंटेंट कराकर विज्ञान के इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया था। आज उनके जन्मदिवस के अवसर पर दुनिया उन्हें याद कर रही है।
आनंद मोहन चक्रवर्ती की जीवनी | Anand Mohan Chakraborty’s biography in Hindi
आनंद मोहन चक्रवर्ती का जन्म 04 अप्रैल, 1938 में बंगाल के सैंथिया में हुआ था। एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे आनंद मोहन सात भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उन्होंने अपनी शिक्षा कोलकाता के रामकृष्ण मिशन विद्या मंदिर और सेंट जेवियर्स कॉलेज से प्राप्त की। वर्ष 1958 में उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज से बीएससी की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद 1965 में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।
अपनी पीएचडी के तुरंत बाद आगे शोध कार्य के लिए अमेरिका के इलिनॉय विश्वविद्यालय चले गए, और बाद में अमेरिका स्थित जनरल इलेक्ट्रिक रिसर्च ऐंड डेवेलपमेंट सेंटर में शामिल हो गए। वर्ष 1979 में उन्हें इलिनॉय विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया और 1989 तक विशिष्ट प्रोफेसर के रूप में उसी विभाग की सेवा जारी रखी।
Ananda Mohan Chakrabarty invention | आनंद मोहन चक्रवर्ती का आविष्कार | Pseudomonas (स्यूडोमोनास)
1971 में जनरल इलेक्ट्रिक रिसर्च ऐंड डेवेलपमेंट सेंटर में काम करने के दौरान प्रोफेसर आंनद चक्रवर्ती ने आनुवंशिक रूप से ‘स्यूडोमोनस’ जीवाणु विकसित किया। स्यूडोमोनस जीवाणु (Pseudomonas putida superbug) “तेल खाने वाले बैक्टीरिया” (ananda mohan chakrabarty oil eating bacteria) है।
उन्होंने प्लास्मिड ट्रांसफर तकनीक का उपयोग करके तेल के क्षरण के लिए आवश्यक जीन को स्थानांतरित करने के लिए आनुवंशिक क्रॉस-लिंकिंग की एक विधि का आविष्कार किया। परिणामस्वरूप एक नई स्थिर जीवाणु प्रजाति का उत्पादन किया गया, जिसे अब ‘स्यूडोमोनस पुतिदा’ के रूप में जाना जाता है।
‘स्यूडोमोनस पुतिदा’ जीवाणु ने अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के समुदाय का ध्यान आकर्षित किया।
प्रोफेसर आनंद मोहन चक्रवर्ती ने जीवाणु पर अमेरिकी एकाधिकार के लिए आवेदन किया। इससे पहले, लुई पाश्चर को दो बैक्टीरिया का एकाधिकार प्राप्त था, और चक्रवर्ती के पास एक ही जीवाणु के लिए यूनाइटेड किंगडम का एकाधिकार था। इसके बावजूद, उन्हें संयुक्त राज्य के विशेष अधिकारों से वंचित किया गया।
Father of Patent Microbiology
चक्रवर्ती की अमेरिकी एकाधिकार शक्ति के लिए लड़ाई विज्ञान के क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय थी। आखिरकार नौ साल बाद अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। इस तरह, उन्होंने आनुवंशिक रूप से संशोधित सूक्ष्मजीवों और अन्य जीवन-रूपों के जैव-पेटेंटिंग (Biological patent,Bio-patenting) के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त किया और उनके इस पेंटेंट को ‘फादर ऑफ पेटेंट माइक्रोबायोलॉजी’ के रूप में जाना जाता है।
प्रोफेसर आनंद मोहन चक्रवर्ती ने स्यूडोमोनस पुतिदा जीवाणु की खोज के अलावा कई उपलब्धियां हासिल की हैं। जिसमें कैंसर पैदा करने वाले एंटी-पेप्टाइड आधारित एंटी-कैंसर, एंटी-वायरल और एंटी-पैरासिटिक ड्रग्स का विकास शामिल हैं। उन्होंने शक्तिशाली एंटीनोप्लास्टिक गुणों के साथ स्यूडोमोनास एरुगिनोसा से एक बैक्टीरियल पेरीप्लास्मिक प्रोटीन अज़ूरिन की भी खोज की।
प्रोफेसर आनंद मोहन चक्रवर्ती ने कैंसर और कई अन्य बीमारियों के लिए टीके, थेरेपी और डायग्नोस्टिक्स विकसित करने के लिए भारत और शिकागो में दो स्टार्टअप कंपनियों की स्थापना भी की।
प्रोफेसर के एक पेंटेंट “कोशिका मृत्यु को नियंत्रित करने के लिए साइटॉक्सिक कारक” से पता चला कि विभिन्न रोग जनकों में कैंसर-रोधी गुण वाले साइटोटोक्सिक कारक होते हैं जिनका उपयोग कैंसर के दौरान संक्रामक रोग और एपोप्टोसिस संबंधी स्थितियों को रोकने में किया जा सकता है।
प्रोफेसर आनंद मोहन चक्रवर्ती संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन समिति के संस्थापक सदस्यों में से एक थे जिन्होंने इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीगीईबी) की स्थापना की। वे नाटो औद्योगिक सलाहकार समूह के सदस्य थे और आइंस्टीन इंस्टीट्यूट फॉर साइंस हेल्थ और कोर्ट्स (ईआईएनएसएसी) के निदेशक मंडल के भी सदस्य थे, जिसे अब राष्ट्रीय न्यायालय और विज्ञान संस्थान (एनसीएसआई) के रूप में जाना जाता है।
साइंटिस्ट ऑफ द ईयर 1975
प्रोफेसर आनंद मोहन चक्रवर्ती को वर्ष 1975 में संयुक्त राज्य अमेरिका के औद्योगिक अनुसंधान संगठन द्वारा ‘साइंटिस्ट ऑफ द ईयर’ के रूप में सम्मानित किया गया था। इसके बाद उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मनित किया गया जिनमें इनवेंटर ऑफ द ईयर अवार्ड, पेटेंट वकील एसोसिएशन 1982, पब्लिक अफेयर्स अवार्ड, अमेरिकन केमिकल सोसाइटी 1984 आदि शामिल हैं। वर्ष 2007 में जेनेटिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनके अहम योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
Ananda Mohan Chakrabarty Death
10 जुलाई 2020 को प्रोफेसर आंनद मोहन चक्रवर्ती की मृत्यु हो गई। प्रोफेसर आनंद मोहन चक्रवर्ती भारतीय मूल के एक प्रतिष्ठित अमेरिकी माइक्रोबायोलॉजिस्ट और वैज्ञानिक थे जिन्होंने आनुवंशिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया। उनका जीवन और उनकी वैज्ञानिक उपलब्द्धियाँ, विज्ञान जगत की आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरक उदाहरण हैं।
(इंडिया साइंस वायर)