हुआ है ऐलान फिर एक बार
ताजी़म में हम कसर नहीं छोड़ेंगे।
हाथ से हाथ जो जुड़े फिर एक बार
तमाशा बनाने में हम कसर नहीं छोड़ेंगे
हम जो बताएंगे वही सुनना, समझना होगा
तुम्हारी बात तुम्हारे खिलाफ करके छोड़ेंगे,
और करो हिम्मत और जोड़ो बाजु़ओं में दम,
तुम्हारी हिमाकत मिला देंगे हम अपनी कठपुतलियों का नाच,
तुम्हारे मंसूबे को शर्मनाक करके छोड़ेंगे।
तुम जो लगाए हुए हो उम्मीद की लाश अपने सीनों से
हुआ है ऐलान फिर एक बार
ताजी़म में हम कसर नहीं छोड़ेंगे
जाड़े की सर्द रात, ठिठुरते हुए तुम्हारे कांपते हुए बूढ़े हाथ
बिजली तुम्हारी काटेंगे, पानी तुम्हारा रोकेंगे
तुम्हारे धरने को कर्बला बनाकर छोड़ेंगे
हुआ है ऐलान फिर एक बार
ताजी़म में हम कसर नहीं छोड़ेंगे
जोड़ देंगे तुमको तुम्हारे ही सवाल से
हर सवाल तुम से ही पूछेंगे, ना तुम्हारा सवाल सुनेंगे
ना तुम को जवाब देंगे, कहां से आए हो कौन है पीछे तुम्हारे,
तुम्हारा रास्ता तो क्या, तुम्हारी आवाज तक को रोकेंगे
हमने लगा दी है ख़रीदी हुई आंखें
अब कौन देखेगा अपनी बीनाई से तुम्हें
तुम्हारे कपड़ों से तुमको कभी खालिस्तानी, कभी पाकिस्तानी, बनाकर छोड़ेंगे,
तुम्हारी जमीन ले लेंगे, आसमान ले लेंगे
तुमसे तुम्हारा आज ले लेंगे, तुम्हारा इतिहास ले लेंगे,
तुम क्या पूछोगे हमसे सवाल हम तुम्हारा दिमाग़ ले लेंगे
तुम्हारे वजूद को सुन्न और बहरा बनाकर छोड़ेंगे
हुआ है ऐलान फिर एक बार
ताजी़म में हम कसर नहीं छोड़ेंगे।
सारा मलिक

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