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पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के जन्म दिवस पर विशेष | राष्ट्र निर्माण में राजीव गांधी का अहम योगदान
Special on the birthday of former Prime Minister Rajiv Gandhi
Rajiv Gandhi's concept of nation building
लेखन कला में तारीख का अपना महत्वपूर्ण स्थान है। 20 अगस्त 1944 की तारीख का इतिहास में एक विशेष स्थान प्राप्त है, क्योंकि इसी दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी का जन्म हुआ था जिन्हें स्वतंत्र भारत का सबसे युवा प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ नये भारत का राष्ट्रनिर्माता होने का गौरव प्राप्त है।
राजीव गांधी के सपनों का भारत
राजीव गाँधी ने भारत के नवयुग की स्थापना के लिए अनेक संकल्पना की जो केवल संकल्पना ही नहीं थी वरन यह उन्नीसवीं सदी के भारत को इक्कीसवीं सदी भारत में बदलने की योजना थी। उन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण के लिए एक सतत योजना के साथ सतत संघर्ष किया जिसके परिणामस्वरूप अनेक जन-कल्याणकारी योजनाओं, सशक्त रणनीति और आधुनिक दृष्टिकोण तीनों को एक साथ सम्मिलित किया गया। यह कार्य इतना सरल नहीं था इसके लिए एक सशक्त व्यक्तित्व की आवश्यकता थी जो सौभाग्य से पूर्व प्रधानमंत्री जी में विद्यमान थी।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी जी के राष्ट्र निर्माण की संकल्पना को तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं, पहला अलगाववादी विचारों का उन्मूलन एवं राष्ट्रीय एकता का फैलाव, दूसरा लोक-कल्याणकारी कार्य और तीसरा आधुनिक भारत के निर्माण की दिशा में कार्य।
राष्ट्र निर्माण की दिशा में राजीव गांधी के प्रमुख कार्य
राजीव गाँधी ने राष्ट्र निर्माण की दिशा में सबसे प्रमुख कार्य भारत के कुछ राज्यों में उस समय तक उभर रहे उग्र एवं चरमपंथी विचारों पर विराम लगाना था जिससे इन राज्यों में होने वाली हिंसा को रोका जा सके। इस दिशा में कार्य करते हुए जुलाई 1985 में पंजाब समझौता किया गया, पंजाब समझौता अकाली दल के तत्कालीन अध्यक्ष हरचन्द लोंगोवाल और प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के बीच हुआ था। इस समझौते के बाद से पंजाब में चरमपंथी और उग्रवादी विचारधारों पर नियंत्रण लगाया जा सका। इसी क्रम में राजीव गाँधी ने आसाम में फैले चरम आन्दोलनों और अलगाववादी विचारों पर नियंत्रण लगाने का फैसला किया क्योंकि 1971 के बाद आसाम में चरमपंथी विचारधारा का फैलाव तेजी से हुआ और 1983 तक आते-आते वीभत्स हो गया जिससे आसाम में स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गयी थी। राजीव गाँधी ने आसाम में इन विचारों पर अंकुश लगाने के लिए 15 अगस्त 1985 को आसाम समझौता किया।
आसाम समझौते के फलस्वरूप राज्य में शान्ति बहाली हुई। इसी शान्ति बहाली की दिशा में आगे बढ़ते हुए राजीव गाँधी जी ने मिजोरम में भी शान्ति स्थापित करने का कार्य किया। राजीव गाँधी जी की दूरदर्शी नीति के चलते 30 जून 1986 को मिजोरम समझौता किया गया। दुनिया भर में मिजो समझौते की गिनती सशस्त्र विद्रोह को कागज-कलम से खत्म करने की सबसे सफल कोशिशों में की जाती है। मिजो शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर ने पूर्वोत्तर में शान्ति स्थापना का स्वर्णिम इतिहास रच दिया था।
राजीव गाँधी जी ने राष्ट्र को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किये। उन्होंने भारवासियों के लिए अनेक लोक-कल्याणकारी योजनाओं एवं नीतियों का क्रियान्वयन किया। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने सशक्त राष्ट्र के लिए सर्वप्रथम गरीबी उन्मूलन के लिए कार्य किया। एक राष्ट्रनिर्माता बतौर राजीव गाँधी यह जानते थे कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और अगर हमारे किसान उन्नत अवस्था में नहीं होंगें तो भारत का आर्थिक विकास पूर्ण नहीं होगा। देश के किसानों के विषय में उनका विचार था कि यदि किसान कमजोर हो जाते हैं तो राष्ट्र आत्मनिर्भरता खो देता है लेकिन अगर वे मजबूत है तो देश की स्वतंत्रता भी मजबूत हो जाती है, अगर हम कृषि की प्रगति को बरकरार नहीं रख पायें तो देश से गरीबी नहीं मिटा पायेंगे अतः हमारा सबसे बड़ा कार्यक्रम गरीबी उन्मूलन होगा जो हमारे किसानों के जीवन स्तर में सुधर लायेगा।
The aim of Rajiv Gandhi's poverty alleviation program was to uplift the farmers.
राजीव गाँधी का गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम का मकसद किसानों का उत्थान करना था, उन्होंने इस सम्बन्ध में केवल विचार ही व्यक्त नहीं किये वरन किसानों की स्थिति में सुधार के लिए कई योजनायें प्रारम्भ कीं, जिसमें 1985-86 में ग्रामीण क्षेत्रों में सिचाई व्यवस्था के लिए दस लाख कुओं के निर्माण की योजना प्रारम्भ की गयी थी।
इसके अतिरिक्त राजीव गाँधी जी ने 1988 में ही खाद्य प्रसंस्करण योजना प्रारम्भ की जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में रोजगार सृजित करना एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देना था।
राजीव गाँधी ने 1 अप्रैल 1989 को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम, ग्रामीण भूमिहीन कार्यक्रम योजना की शुरुआत की थी, ग्रामीण और सबसे पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को 90 से 100 दिन रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत की गयी थी। इस योजना को ग्रामीण स्तर पर लागू किया गया जो गरीबों को अनाज और काम-काज देने के लिए शुरू की गयी थी जो कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी जी की प्रमुख लोक-कल्याणकारी योजनाओं में से एक है। इसी लोककल्याण की कड़ी में राजीव गाँधी जी ने महिलाओं की स्थिति बेहतर बनाने की दिशा में 1987 में सती आयोग की स्थापना की जिसके तहत सती प्रथा पर रोकथाम की जा सकी और सतीप्रथा को अपराध घोषित किया गया।
देश को राजीव गांधी के बड़े योगदान
राजीव गाँधी ने लोककल्याण की भावना से सत्ता के केन्द्रीकरण को बल दिया ही साथ ही जनमानस की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए 1989 में सरकारी कर्मचारियों के लिए पाँच दिन कार्य के और दो दिन अवकाश के लिए सुनिश्चित किया।
राजीव गाँधी जी ने आधुनिक भारत के निर्माण की दिशा में कार्य करते हुए उन्नीसवीं सदी के भारत को इक्कीसवीं सदी का भारत बनाने के लिए तकनीक एवं संचार माध्यमों से लोगों को जोड़ना चाहा।
राजीव गाँधी के प्रयास के फलस्वरूप 1984 में ही भारतीय दूरसंचार की स्थापना के लिए सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट) की स्थापना की गयी जिसके बाद से लगातार गांवों में पीसीओ खुलने लगे।
राजीव गाँधी जी के संचार के क्षेत्र में सतत प्रयास के फलस्वरूप 1986 में एम.टी.एन.एल. की स्थापना हुई, उनका मानना था कि विज्ञान और तकनीक के अभाव में उद्योगों का विकास सम्भव नहीं है। राजीव गाँधी ने कम्प्यूटर तक लोगों की पहुँच बनाने के लिए कम्प्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटाया। उनके प्रयासों के फलस्वरूप रेलवे के टिकटों को कम्प्यूटरीकृत किया गया। राजीव गाँधी को भारत में कम्प्यूटर और संचार के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए उन्हें डिजिटल इण्डिया का आर्किटेक्ट और दूरसंचार क्रांति का जनक कहा जाता है।
राजीव गाँधी के राष्ट्र निर्माण की सकल्पना में न तो हिन्दू था न मुस्लिम था, न मंदिर थी न मस्जिद थी, न जाति थी न धर्म था अपितु उनका राष्ट्र निर्माण लोगों को प्रसन्नता देने वाला था, लोगों से लोगों को जोड़ने वाला था, उन्होंने पूर्व से चले आ रहे अलगाववादी विचारों को पंजाब, आसाम और मिजोरम में विचारशील शांतिवार्ता के माध्यम से समाप्त किया और एक स्वस्थ्य एवं सशक्त राष्ट्र की नीव डाली। राजीव गाँधी के राष्ट्र निर्माण का मूल उद्देश्य मानवीय मूल्यपरक था, उनका राष्ट्र निर्माण एक कुशल राष्ट्रनिर्माता के राष्ट्रीय भावनाओं का प्रतीक है जिनके त्याग और बलिदान से भारत 21 वीं सदी के श्रेष्ठ देशों की श्रेणी में खड़ा हुआ, ऐसे राष्ट्रनिर्माता की जयंती पर समस्त राष्ट्रवासियों को गौरवान्वित होना चाहिए। ऐसे राष्ट्रभक्त राष्ट्रसेवक को शत-शत नमन।
डॉ रामेश्वर मिश्र