Recovery notice given to Darapuri with political vendetta – Swaraj Abhiyan
लखनऊ 18 जून 2020, उत्तर प्रदेश में लोकतांत्रिक आंदोलनों की आवाज बने ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एस.आर. दारापुरी (National spokesman of All India People’s Front and former IG S.R. Darapuri) को आज दी गई वसूली की नोटिस की कड़ी निंदा करते हुए स्वराज अभियान ने इसे राजनीतिक बदले की भावना से की गई कार्यवाही करार दिया है.
स्वराज अभियान के नेता दिनकर कपूर ने प्रेस को जारी अपने बयान में कहा कि सरकार अदालत में दारापुरी के खिलाफ एक भी सबूत पेश नहीं कर पाई और उनको जमानत मिल गयी थी. बावजूद इसके सरकार और प्रशासन ने स्वयं निर्णय लेते हुए उन्हें दोषी करार दे दिया और वसूली की नोटिस थमा दी. उन्हें सुनवाई का अवसर न देना नैर्सिगक न्याय के सिद्धांत के भी विरुद्ध है.
उन्होंने कहा कि इस नोटिस के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में वाद दाखिल किया गया है, जिसमें कल ही सरकारी वकील ने 10 दिन की मोहलत मांगी और उसके आधार पर अदालत ने जुलाई में तारीख दी है. जब मामला माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है तब सरकार द्वारा दी गई वसूली नोटिस महज बदले की भावना से है और लोकतांत्रिक आवाज को दबाने का प्रयास है.
डॉक्टर अंबेडकर के सच्चे अनुयाई एसआर दारापुरी लंबे समय से उत्तर प्रदेश में दलितों, आदिवासियों, मज़दूरों और समाज के वंचित तबकों की आवाज को उठाते रहे हैं और उनके संवैधानिक अधिकारों के लिए कार्य करते रहे हैं. अपनी पत्नी की गम्भीर बीमारी के बावजूद उन्होंने प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की जिसमें माननीय न्यायाधीश द्वारा निर्देशित करने के बाद योगी सरकार को सद्बुद्धि आयी और उसने सरकारी व निजी चिकित्सालयों में ओपीडी खोलने का आदेश किया.
इसी तरह सोनभद्र में खनन माफियाओं और पुलिस प्रशासन गठबंधन द्वारा की गई आदिवासी रामसुंदर गोंड़ की हत्या के खिलाफ उनकी पहल के बाद ही एफआईआर दर्ज हो सकी. वह इन दिनों मुखर रहे हैं इससे बौखलाई सरकार ने उनके खिलाफ विधि के विरुद्ध और मनमर्जी पूर्ण नोटिस भेजी है. हद यह है कि इस वसूली नोटिस में व्यक्तिगत धनराशि तक तय नहीं की गई और सामूहिक संपूर्ण धनराशि दारापुरी जी को सात दिन में जमा करने के लिए कहा गया है.
अतः आइपीएफ नेता एस. आर. दारापुरी के उत्पीड़न को राजनीतिक सवाल बनाया जाएगा और सहमना संगठनों के साथ वार्ता कर प्रतिवाद किया जायेगा.
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