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मऊ के पूर्व जिलापंचायत सदस्य राम प्रताप यादव से रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने की मुलाकात
Rihai Manch General Secretary Rajiv Yadav met former District Panchayat member of Mau, Ram Pratap Yadav
लखनऊ 21 अगस्त 2020. सूबे में जातिगत-राजनीतिक द्वेष के चलते हो रहे उत्पीड़न को लेकर रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने मऊ के पूर्व जिलापंचायत सदस्य राम प्रताप यादव से मुलाकात की. रिहाई मंच ने रामप्रताप यादव के साथ पुलिसिया दुर्व्यवहार को जनप्रतिनिधि के लोकतांत्रिक-मानवाधिकार के हनन का गंभीर मसला बताया. रिहाई मंच द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पिछड़ा आयोग व अन्य को भेजे पत्र में रामप्रताप यादव ने आरोप लगाया है कि जातिगत आधार और राजनीतिक द्वेष के चलते उनका उत्पीड़न किया जा रहा है.
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने भेजे पत्र में कहा है कि रामप्रताप यादव जनप्रतिनिधि हैं. जैसा कि वे बताते हैं कि जब से भाजपा की सरकार बनी है हमारे यहां एक सामंतवादी नेता हैं जो यह चाहते हैं कि किसी बैकवर्ड का बेटा या यादव का बेटा इस कस्बे में न उभर जाए और उनकी राजनीति को चुनौती न बन जाए इसलिए वे इस तरह के प्रयास करते हैं. उनके साथ हुए पुलिसिया उत्पीड़न पर वे साफ कहते हैं कि वे जाति के अहीर हैं अहीर के नाते ये उत्पीड़न किया जा रहा. पूरे प्रदेश में जो यादवों के खिलाफ सरकार ने माहौल बनाया है उसका ये असर है. बीजेपी के एमपी, एमएलसी सब इसमें हैं. इन सामंती तत्वों द्वारा बाजार में भी उत्पीड़न किया जाता रहा है जिसके खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई उसकी वजह से उनके खिलाफ ये कार्रवाई की गई.
उन्होंने ये भी कहा कि उनके कस्बे में यह चिन्हित किया जाता है कि अल्पसंख्यक कौन हैं, दलित कौन हैं, पिछड़े कौन हैं उनको दबाने का काम प्रशासन से करवाया जाता है. जिस तरह से इस मामले में उनको ऊपर से दबाव के चलते थाने ले जाया गया और वहां बाद में जेल भेजने की बात आने पर उनके द्वारा पूछने पर कि क्यों जेल भेजेंगे तो बताया गया कि उन पर मुकदमा दर्ज है यह मानवाधिकार हनन का गंभीर मसला है.
राम प्रताप जनप्रतिनिधि हैं और एक नागरिक के तौर पर बिना वारंट घर से उन्हें थाने ले जाना उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है. पुलिस द्वारा बेटों को घटना का दोषी मानते हुए पिता को थाने ले जाना और थाने में उनको हाजिर करवाने के नाम पर देर रात बैठाए रखना नागरिक अधिकारों का हनन है.
राम प्रताप यादव ने रिहाई मंच से संपर्क कर अपनी व्यथा बताई. रामप्रताप कहते हैं कि उनको साजिशन मुल्जिम बनाकर जेल भेजने की कोशिश थी, जिससे उनका सामाजिक-राजनीतिक हनन हो. जेल भेजकर वे राजनीतिक छवि धूमिल करना चाहते थे. एक नागरिक और जनप्रतिनिधि के बतौर वे पुलिस की इस कार्रवाई को अपने मान-सम्मान पर ठेस पहुंचाने वाली कार्रवाई कहते हैं. पुलिस द्वारा यह कहने कि उस पर बहुत दबाव है, को वे मानते हैं कि राजनीतिक द्वेष के चलते उनके साथ यह कार्रवाई कर उनकी समाज में छवि धूमिल की गई. इस पूरे प्रकरण से राम प्रताप और उनका परिवार अपने को असुरक्षित महसूस कर रहा है.
उत्त्तर प्रदेश में राजनीतिक-जातिगत द्वेष के चलते जनप्रतिनिधियों का लगातार उत्पीड़न किया जा रहा है. जनपद मऊ की नगर पंचायत चिरैयाकोट की अध्यक्ष लीलावती देवी के बेटे पूर्व जिलापंचायत सदस्य चिरैयाकोट रामप्रताप यादव जो उनके प्रतिनिधि भी हैं, के आवास पर पिछली 6 जुलाई 2020 की शाम साढ़े चार बजे के करीब थानाध्यक्ष चिरैयाकोट रूपेश सिंह आए और उन्होंने उनसे उनके बेटे आकाश प्रताप यादव और ड्राइवर के बारे में पूछा. पूछने पर कि क्यों वे पूछ रहे हैं तो थानाध्यक्ष ने कहा कि उनके लड़कों ने मारपीट की है. जिसपर रामप्रताप यादव ने कहा कि वे घर में नहीं हैं आने पर उनको आपके पास भेजता हूं. दस मिनट बाद थानाध्यक्ष फिर आए और कहा कि उनके ऊपर अधिकारियों, नेताओं का बहुत दबाव है थाने चलना ही होगा. जिस पर राम प्रताप यादव ने कहा कि वे क्यों थाने जाएं, थानाध्यक्ष नहीं माने और उन्हें थाने ले गए. थाने जाने पर उन पर दबाव बनाया गया कि वे लड़कों और ड्राइवर को थाने में हाजिर करवाएं.
दबाव की बात पूछने पर राम प्रताप कहते हैं कि नहीं मालूम उन पर किस बड़े अधिकारी का दबाव था या फिर किस भाजपा नेता का दबाव है वो नाम तो स्पष्ट नहीं कर रहे थे.
रामप्रताप यादव ने बताया कि थाने में जब उनको जेल भेजने की बात होने लगी तो उन्होंने पूछा कि किस आधार पर उन्हें जेल भेजने को कहा जा रहा तो उन्हें बताया गया कि उनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज है. जब उन्होंने पूछा कि मैं घर पर था और थानाध्यक्ष ने मुझे उनपर ऊपर से दबाव है कहकर लाया तो उस वक्त तो क्यों नहीं बताया कि मुकदमा दर्ज किया गया है. बातचीत के बाद पुलिस ने कहा कि मारपीट में उनके जो लड़के और ड्राइवर हैं वे आ जाएं तो उन्हें छोड़ देंगे. रात 8 बजे के करीब ड्राइवर पिंटू और पंकज थाने में हाजिर हुए.
रामप्रताप यादव बताते हैं कि सुबह के करीब 4-5 बजे उन्हें थाने से छोड़ा गया जबकि आधिकारिक रूप से रात 11 बजे छोड़ने की बात कही गई. फिलहाल रामप्रताप यादव और उनके भाई जय प्रताप यादव जो ग्राम मनाजित के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि हैं जमानत पर हैं.
रिहाई मंच ने मांग की है कि इस मामले की जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए यह मानवाधिकार, लोकतांत्रिक अधिकार और जनप्रतिनिधि-नागरिक के अधिकारों के हनन का गंभीर मसला है. रिहाई मंच ने मुख्य न्यायधीश सर्वोच्च न्यायालय, मुख्य न्यायधीश उच्च न्यायालय, इलाहाबाद, राज्यपाल, उत्तर प्रदेश, पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, गृह मंत्रालय, उत्तर प्रदेश, राज्य मानवाधिकार आयोग, राज्य पिछड़ा आयोग, जिलाधिकारी, मऊ, पुलिस अधीक्षक, मऊ को पत्र भेजा है.
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