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कोरोना से लड़ने के लिए पीएम मोदी के जनता कर्फ्यू आइडिया से हैरान हैं वैज्ञानिक और डॉक्टर, शर्मिंदा हैं अपनी पढ़ाई पर !

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hastakshep
21 Mar 2020
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प्रधानमंत्री का कोरोना वायरस महामारी से सम्बंधित देश को संबोधन (Modi speech today) - पढ़ें पूरा पाठ

Scientists and doctors are shocked by PM Modi's public curfew idea to fight Corona, embarrassed at their studies!

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नई दिल्ली, 21 मार्च 2020. प्रोग्रेसिव मेडिकोस एंड साइंटिस्ट्स फोरम (Progressive Medical and Scientists Forum) (PMSF) कोरोना वायरस के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश (Prime Minister Narendra Modi's message to the nation) से निराश है और इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है।

नवजीवन की एक खबर के मुताबिक फोरम ने एक बयान जारी कर कहा कि कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा सिर्फ संयम बरते की अपील करना निराशाजनक है।

फोरम के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर हरजीत भट्टी ने पीएम के जनता कर्फ्यू के आह्वान (PM's call for Janata curfew) पर कहा कि पूरा देश और खासतौर से मेडिकल जगत इस आह्वान से भौंचक है।

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पीएमएसएफ ने प्रधानमंत्री के इस बयान का जिक्र किया है जिसमें उन्होंने कहा कि,

''कोई कैसे संयम का अभ्यास करता है? भीड़-भाड़ से दूर रहकर, घरों से बाहर निकलने से बचकर... आप (अन्यथा) न केवल अपने लिए, बल्कि अपने परिवार के प्रति भी अन्याय करेंगे।"

संगठन ने इस बारे में याद दिलाया है कि देश के 90% कार्यक्षेत्र असंगठित क्षेत्र है और इन लोगों के पास घरों में रहने की विलासिता नहीं है।

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पीएमएसफ ने कहा है कि मजदूर के लिए जिंदा रहने लिए दिहाड़ी कमाना जरूरी है।

बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री कम से कम कुछ ऐसे कदम उठाने की घोषणा तो कर ही सकते थे:

जन धन खातों के माध्यम से गरीब परिवारों को घर में रहने के दौरान वित्तीय सहायता

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एफसीआई के गोदामों में जमा अतिरिक्त स्टॉक से इस संकट काल के दौरान गरीबों को मुफ्त राशन

लोगों को अफवाहों से दूर रहने की सलाह

अपने भक्तों द्वारा गोमूत्र सेवन और गोबर स्नान जैसे मूर्खतापूर्ण नुस्खों का प्रचार न करने के लिए कहना

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चूंकि भारत सरकार ने अभी तक निजी लैब के साथ कोरोना वायरस के टेस्ट करने का कोई प्रयत्न नहीं किया है, पीएमएसएफ ने भारतीय चिकित्सा संधान परिषद यानी ICMR के इस दावे पर सवाल उठाया है कि जिसमें कहा गया है कि इस वायरस का सामुदायिक प्रसारण नहीं हुआ है।

पीएमएसफ ने कहा कि,

"सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है, कि देश भर के विभिन्न अस्पतालों के ICUs में भर्ती किए गए सांस के गंभीर मरीजों से लिए गए 500 रैंडम नमूनों में कोरोना के निगेटिव रिजल्ट के आधार पर, ICMR दावा कर रहा है कि भारत में अभी तक कोई सामुदायिक प्रसारण नहीं हुआ है।"

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फोरम का कहना है कि ज्यादातर गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के पास जनस्वास्थ्य यान सरकारी इलाज और परीक्षण की कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में फोरम ने प्रधानमंत्री को कुछ देशों के प्रधानमंत्रियों और सरकारों द्वारा द्वारा उठाए गए कदमों की याद दिलाई।

स्पेन ने अपने सभी निजी अस्पतालों को ’राष्ट्रीयकृत’ करने का आदेश दिया है

फ्रांस ने परफ्यूम और इत्र निर्माताओं को आदेश दिया है कि वे हैंड सैनिटाइजर बनाएं और लोगों को मुफ्त में उपलब्ध कराएं

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चीन की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी को रातोंरात दुनिया के सबसे बड़े मास्क निर्माता में बदल दिया गया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सभी निजी कंपनियों को अपने कर्मचारियों को बिना वेतन काटे छुट्टी देने के बिल पर दस्तखत कर इसे लागू किया

ऐसे कदमों के मुकाबले भारत में सरकार की प्रतिक्रिया न सिर्फ बेहद निराशापूर्ण है बल्कि अपर्याप्त और गैर-जिम्मेदार भी है।

इससे पहले डॉ. भट्टी ने ट्वीट किया था,

“यदि मोदी जी हमें 22 मार्च की शाम 5 बजे तक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल इंफ्रास्ट्रक्चरल सपोर्ट (पब्लिक + प्राइवेट), मैनपावर, टेस्टिंग किट, बेहतर संगरोध और अलगाव वार्ड उपलब्ध करवाते हैं तो हम डॉक्टर्स और नर्स हमारे पीएम #JantaCurfew के लिए ताली बजाएंगे और थाली पीटेंगे।“

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