Advertisment

कोरोना महामारी का दूसरा दौर : बर्बादियों के जश्न का आगाज़ है यह

author-image
hastakshep
15 Apr 2021
New Update
दबंगों ने कोरोना वारियर को जबरदस्ती पिलाया सैनिटाइजर, हुई मौत, गोदी मीडिया में कोई डिबेट नहीं

Advertisment

Second Round of Corona Epidemic: It is the beginning of the celebration of waste

Advertisment

हम कोरोना महामारी के दूसरे दौर में हैं। यह बेहद खतरनाक और डरा देने वाला दौर है। 30 जनवरी को लगभग 14 महीने पहले जब केरल में कोरोना का पहला केस (First case of corona in Kerala) मिला था, तो, उसे भी सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया था। गंभीरता तब दिखी जब 24 फरवरी को, नमस्ते ट्रम्प खत्म हो गया, और मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार (Kamal Nath government in Madhya Pradesh) गिर गयी। सरकार बनाना, जन स्वास्थ्य से अधिक महत्वपूर्ण है भाजपा के लिये। थाली, लोटा, दीया-बाती के बाद सरकार कभी कभी वक़्त मिलता है तो गवर्नेंस भी कर लेती है। आज जब चहुंओर हाहाकार मचा है तो, अमिताभ बच्चन की कॉलर ट्यून बजा दी जा रही है।

Advertisment

आप को याद है -

Advertisment

● कोरोना राहत के लिये सरकार ने एक साल पहले एक इवेंट के रूप में ₹20 लाख करोड़ का राहत पैकेज घोषित किया था ?

Advertisment

पूछिये सरकार से -

Advertisment

◆ सरकार ने क्या-क्या किया उस पैसे से, इस बीमारी से लड़ने के लिये ?

Advertisment

20 लाख करोड़ का राहत पैकेज कम राशि नहीं है। अब सरकार नाम ही नहीं लेती इस पैकेज का।

◆ क्या यह पैकेज भी चहेते पूंजीपति डकार गए क्या ?

● पीएम केयर्स फ़ंड बना, सभी कॉरपोरेट का सीएसआर कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फ़ंड प्रधानमंत्री ने अपने फ़ंड में जबरन जमा करा लिया और जब उस पर सवाल उठाए गए, जांच की मांग की गयी, ऑडिट के डिटेल मांगे गए तो सरकार से पहले सरकार के समर्थक तड़प उठे।

पूछिये सरकार से -

◆ उस पैसे से देश के किस राज्य में इस महामारी से लड़ने के लिये सरकार ने क्या-क्या इंतज़ाम किये हैं?

● भारत सरकार ने एक आदेश जारी कर के कहा है कि, सीएसआर के लिये कॉरपोरेट अपना सारा अंश पीएम केयर्स में ही दे सकेंगी। राज्यों के मुख्यमंत्री राहत कोष में वे उसे नहीं दे सकेंगी।

पूछिये इन खून में व्यापार वाली मानसिकता की सरकार से -

◆ किस-किस राज्य को कितना-कितना अंश इस महामारी से लड़ने के लिये दिया गया है ?

◆ राज्यों के मुख्यमंत्री राहत कोष में सीएसआर का पैसा यदि कोई कॉरपोरेट देना चाहे तो, उस पर क्यों रोक है ?

◆ सारा धन एक ही फ़ंड में और वह भी एक पब्लिक फ़ंड नहीं है, में क्यों इकट्ठा हो रहा है ?

◆ क्या उसी से सरकार विधायकों की खरीद फरोख्त कर के अपनी सरकारें हार जानें के बाद भी बनवा रही है ?

● रेलवे को बेचने के एजेंडे में हर पल मशगूल रहने वाले और बिना सामान्य रेल यातायात के ही सबसे कम रेल दुर्घटना का दावा करने वाले पीयूष गोयल ने रेल के एसी डिब्बों को आपात स्थिति में कोरोना वार्ड में बदलने की खूबसूरत तस्वीरें सोशल मीडिया पर प्रसारित की थी।

पूछिए रेल मंत्री से -

◆ उन डिब्बों का क्या हुआ ?

◆ वे हैं या उन्हें भी बेच दिया गया ?

◆ वे थीं भी या वे भी जुमला थीं ?

आज स्थिति यह है कि अखबार उठाइये या मोबाइल, सब पर मौत की खबरें हैं। अस्पतालों की बदइंतजामी की खबरें हैं। वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, अस्पताल में बेड, दवाइयों और यहां तक कि टीकों की भारी कमी की खबरें हैं। हर व्यक्ति का कोई न कोई परिजन, मित्र, सखा, बंधु या बाँधवी इस महामारी से ग्रस्त है या त्रस्त है। मेडिकल स्टाफ की भी अपनी सीमाएं होती हैं। पिछली बार तो एम्स तक में पीपीई किट की कमी पड़ गई थी। इस साल स्थिति सुधरी है या नहीं पता नहीं।

जिस देश की संस्कृति में अभय दान और निर्भीकता सबसे बड़ा मानवीय तत्व समझा जाता रहा हो, वहां डर है, दहशत है, वहशत है और कदम कदम मुसीबत है। बस एक ही मशविरे आम हैं कि मास्क लगाइए, पर देश का गृहमंत्री और बड़े नेतागण, पता नहीं कौन सी सुई लगवाए हैं कि वे बिना मास्क के ही घूम रहे हैं। आम आदमी जुर्माना भरते-भरते मरा जा रहा है और इन्हें डर ही नहीं। कोरोना भी सहोदर पहचानता हो जैसे !

अब एक और आदेश आ गया कि, यदि कोई मास्क नहीं लगाएगा तो पुलिस कर्मी सस्पेंड हो जाएगा। मास्क, आप न लगाएं और सस्पेंड हों दारोगा जी ? ऐसा इसलिए कि सबसे आसान होता है सिपाही-दरोगा-पुलिस पर कार्यवाही करना। जब तक राजनीतिक रैलियों और धार्मिक आयोजनों में, मास्क न लगाने पर उनसे सख्ती नहीं की जाती तब तक यह इसे तमाशा ही समझा जाता रहेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र और उत्तर प्रदेश का सबसे चर्चित शहर है बनारस। जब 2014 में भाजपा ने अपने प्रत्याशी की तौर पर नरेंद्र मोदी की घोषणा संसदीय क्षेत्र बनारस के लिए की तो लोगों का समर्थन और उत्साह का सैलाब अपने चरम पर था, मोदी ने भी बड़े जोर-शोर से बनारस को क्योटो बनाने की घोषणा कर डाली। जापान के प्रधानमंत्री को बनारस बुलाकर गंगा आरती दिखायी गयी थी। हम लहालोट थे। गंगा आज तक साफ नहीं हुई। नमामि गंगे योजना का क्या हुआ, कुछ पता नहीं। पर जनता खुश थी, कि, कोई तो आया है बनारस का उद्धारक। हर हर महादेव के समवेत और पुरातन उद्घोष की जगह हर हर मोदी ने ले लिया। शिव भी सोचते होंगे यह क्या तमाशा चल रहा है। पर उस उद्धारक की हक़ीक़त आज कोविड की महामारी में पूरा शहर समझ गया है। बनारस का उल्लेख इसलिए कि वह प्रधानमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र है। यह महामारी, एक बड़ी चुनौती है, सिस्टम और केंद्र सरकार के साथ उत्तर प्रदेश में बैठी भाजपा के लिये। पर उत्तर मिलेगा भी ? शिव जानें।

Leadership is recognized only during the crisis period.

नेतृत्व की पहचान संकट काल में ही होती है। आयुष्मान भारत, मोदी केयर, और बगल में कोरोना पोजिटिव होने वाले की सूचना तुरंत देने वाले आरोग्य सेतु ऐप्प की अब चर्चा नहीं होती। न तो सरकार करती है और न ही रविशंकर प्रसाद जी। समर्थक तो शामिल बाज़ा हैं। वे खुद कोई चर्चा कहां करते हैं, जब तक कि पुतुल खेला वाली डोर न खींची जाय ! जब सब कुछ ठीक रहता है तो प्रशासन अच्छा ही दिखता है और वह सारा श्रेय ले भी लेता है। यह, प्रशासन के आत्ममुग्धता का दौर होता है।

पर नेतृत्व चाहे वह देश का हो, या प्रशासन का, उसकी पहचान संकट काल मे ही होती है। अब जब यही संकट काल सामने आ कर खड़ा हो गया है तो, लोकलुभावन नामों वाली यह सारी योजनाएं, खुद ही बीमार हो गयी हैं और फिलहाल क्वारन्टीन हैं।

यह योजनाएं आम जनता को दृष्टिगत रख कर लायी ही नहीं गयी थी। सरकार की एक भी योजना का उद्देश्य जनहित नहीं है, मेरा तो यही मानना है, आप को जो मानना है, मानते रहिये। आयुष्मान योजना, बीमा कंपनियों के हित को देख कर, मोदी केयर, अमेरिकी ओबामा केयर की नकल पर और आरोग्य सेतु, डेटा इकट्ठा करने वाली कम्पनियों को बैठे बिठाए डेटा उपलब्ध कराने के लिये लायी गयी थी। सरकार यही बता दे कि इन योजनाओं का कितना लाभ जनता को मिला है।

How much has been spent to improve the health infrastructure of the country out of the PM Cares fund?

आज सरकार के पास न तो पर्याप्त अस्पताल, बेड, दवाइयां और टीके हैं, और न ही एक ईमानदार इच्छा शक्ति कि वह राष्ट्र के नाम सन्देश (Message to the nation) जारी कर यह आश्वासन भी दे सके कि हमने पिछले एक साल में ₹20 लाख करोड़ के कोरोना राहत पैकेज, और जबरन उगाहे गए चोरौंधा धन पीएम केयर्स फ़ंड में से देश के स्वास्थ्य ढांचे को सुधारने के लिये, इतना खर्च किया है, यह योजना थी, इतनी पूरी हो गयी है, इतनी शेष है, और अब आगे का रोडमैप यह हैं।

विजय शंकर सिंह

विजय शंकर सिंह (Vijay Shanker Singh) लेखक अवकाशप्राप्त आईपीएस अफसर हैं

विजय शंकर सिंह (Vijay Shanker Singh) लेखक अवकाशप्राप्त आईपीएस अफसर हैं

Advertisment
सदस्यता लें