नई दिल्ली, 22 अगस्त 2021. सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू (Justice Markandey Katju) ने कहा है कि हिंदू कट्टरवाद की निंदा जरूर की जानी चाहिए, लेकिन जैसे ही आप मुस्लिम कट्टरवाद की निंदा करते हैं, आप सांप्रदायिक हो जाते हैं।
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जस्टिस काटजू ने अपने सत्यापित फेसबुक पेज पर एक संक्षिप्त पोस्ट लिखी, जिसमें उन्होंने कहा है कि धर्मनिरपेक्षता को दोतरफा यातायात (two-way traffic) होना चाहिए।
उन्होंने लिखा -जब मैंने समाज का ध्रुवीकरण करने और मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार के लिए भाजपा की आलोचना की, और जब दलितों को नीचा दिखाने के लिए और गाय को गौमाता कहने पर ज्यादातर मैंने हिंदुओं को मूर्ख कहा (चूंकि एक जानवर इंसान की मां नहीं हो सकती) और जब मैंने राम मंदिर बनाने की बात कही भारतीय लोगों की वास्तविक समस्याओं जैसे गरीबी, बेरोजगारी, बाल कुपोषण, आसमान छूती कीमतों, स्वास्थ्य देखभाल की कमी, आदि से जनता का ध्यान हटाने के लिए सिर्फ एक नौटंकी और भटकाव की रणनीति थी, ज्यादातर मुसलमानों ने ताली बजाई और आकाश में मेरी प्रशंसा की।
लेकिन जब मैंने शरीयत, बुर्का, मदरसों और मौलानाओं की तरह मुसलमानों को पिछड़ा रखने वाली चीजों की निंदा की, तो ज्यादातर मुसलमानों ने मुझे गंदी गालियां दीं, यहां तक कि मुझे इस बात की परवाह भी नहीं थी कि मैं उनके दादा की उम्र का हूं।
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जब मैं हिंदू कट्टरवाद की निंदा करता हूं, तो ज्यादातर मुसलमान तालियां बजाते हैं। लेकिन जब मैं मुस्लिम कट्टरवाद की निंदा करता हूं तो वे गाली देते हैं। अधिकांश मुसलमानों के अनुसार, धर्मनिरपेक्षता एकतरफा यातायात होना चाहिए। हिंदू कट्टरवाद की निंदा जरूर की जानी चाहिए, लेकिन जैसे ही आप मुस्लिम कट्टरवाद की निंदा करते हैं, आप सांप्रदायिक हो जाते हैं।
आप जस्टिस काटजू की मूल पोस्ट निम्न लिंक पर पढ़ सकते हैं –