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दूसरे राज्यों में काम पर जाने की अनुमति मांगना असंवैधानिक, राष्ट्रीय एकता को करेगी खंडित आरएसएस की विचारधारा – दिनकर

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hastakshep
26 May 2020
पुलिस स्टेट बनाने के खिलाफ जाग उठा भाजपा विधायकों का जमीर, उप्र विधानसभा में हंगामा, कार्यवाही बुधवार तक स्थगित

Seeking permission to go to work in other states is unconstitutional, fragmented RSS ideology for national unity – Dinkar

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आएसएस-भाजपा की सरकारें अब तक की सबसे क्रूर, निर्मम व अमानवीय सरकारें साबित हुई हैं

26 मई 2020: प्रदेश के मजदूरों को दूसरे राज्यों में काम पर ले जाने से पहले सरकार से अनुमति लेने का मुख्यमंत्री का फरमान संविधान के विरूद्ध है। उत्तर प्रदेश में बनाया गया कामगार (सेवायोजन एवं रोजगार) कल्याण आयोग भी हाईकोर्ट की लखनऊ खण्ड़पीठ द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार से प्रवासी मजदूरों को दिए जाने वाले लाभ की सूचना शपथपत्र पर देने की पृष्ठभूमि में बनाया गया है जिससे सरकार हाईकोर्ट में बच सके। सच्चाई यह है कि कल प्रदेश की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार द्वारा जारी शासनादेश में कहा गया है कि प्रवासी श्रमिक को महज एक बार ही एक हजार रूपए और पंद्रह दिन का बारह सौ पचास रूपए की राशन किट दी जायेगी। सरकार के इन निर्णयों के बाद तो प्रवासी श्रमिकों के सामने जिंदा रहने का ही संकट पैदा हो जायेगा। वर्कर्स फ्रंट सहमना ताकतों के साथ मिलकर इसका प्रतिवाद करेगा और कल किसान संगठनों द्वारा आयोजित राष्ट्रीय विरोध का भी समर्थन करेगा।

यह बातें वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने प्रेस को जारी अपने बयान में कहीं।

उन्होंने कहा कि रविवार को पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने प्रवासी आयोग की घोषणा करते हुए कहा कि अब उत्तर प्रदेश से अन्य राज्यों में जाने वाले श्रमिकों को सरकार से इजाजत लेनी होगी। यह संविधान के मौलिक अधिकार अनुच्छेद 19 का उल्लंधन है जिसके तहत भारत के हर नागरिक को देश में कहीं भी बसने, व्यापार करने, आने-जाने का अधिकार है। यदि यही नियम अन्य राज्य भी बना दें तो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड़, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के श्रमिकों के सामने आजीविका का बड़ा संकट उत्पन्न हो जायेगा। इसी तरह गुजरात की भाजपा सरकार ने वहां से आने वाले मजदूरों के खिलाफ कार्यवाही करने का आदेश दिया है।

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दिनकर कपूर Dinkar Kapoor अध्यक्ष, वर्कर्स फ्रंट  उन्होंने कहा कि भाजपा जिस आरएसएस के साथ नाभिनाल से जुड़ी हुई है वह कभी भी भारत की संघीय व्यवस्था और संविधान में विश्वास नहीं करता। आरएसएस-भाजपा की सरकारों के इस तरह के मनमाने, संविधान विरूद्ध और विधि विरूद्ध आदेशों से देश की एकता खंडित हो जायेगी।

उन्होंने कहा कि महज घोषणाओं के अलावा ‘वन डिस्ट्रिक  वन प्रोडेक्ट योजना‘ के तहत लघु , मझोले और कुटीर उद्योग के लिए अभी तक सरकार ने कुछ नहीं किया। केन्द्र सरकार के 20 लाख करोड़ के आर्थिक सुधार पैकेज में भी महज लोन की बात हुई यहां तक कि कर्ज माफ करने और ईएमआई वसूली पर रोक तक की छोटी सी मांग भी नहीं मानी गयी। जबकि यह क्षेत्र न सिर्फ जीडीपी में सबसे ज्यादा अंशदान देता है बल्कि रोजगार भी सबसे ज्यादा सृजित करता है। जैसी कि कई जिलों से रिपोर्ट मिल रही है प्रदेश में मनरेगा में कराए काम की भी मजदूरी का भुगतान नहीं हो रहा है। ऐसे में प्रवासी मजदूरों को मात्र एक हजार रूपए और पद्रह दिन की राशन किट की एक बार ही मदद करना उनके परिवारों को भूखों मरने के लिए छोड़ देगा। अब यह साफ हो गया है कि आएसएस-भाजपा की सरकारें अब तक की सबसे क्रूर, निर्मम व अमानवीय सरकारें साबित हुई हैं

उन्होंने मजदूरों से अपील की कि इस सरकार के संविधान विरूद्ध फैसलों के खिलाफ राजनीतिक प्रतिवाद में उतरें।

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