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डॉ. कफील और आज़म खान सहित तमाम बेगुनाह सियासी और समाजी नेताओं को रिहा करे सरकार: शाहनवाज़ आलम
शाहनवाज़ आलम ने दी आज़म खान को जन्मदिन की बधाई
सभी देशवासियों सहित उत्तर प्रदेश की जनता को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं: शाहनवाज़ आलम
लखनऊ, 14 अगस्त 2020। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने आज़ादी की पूर्व संध्या पर समस्त प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए देश में लोकतंत्र की रक्षा और संविधान के बताये रास्ते पर चलने की शपथ हर प्रदेशवासी को लेने की बात कही।
श्री आलम ने जारी बयान में आजादी की पूर्व संध्या पर डॉ कफील खान, आज़म खान सहित प्रदेश की जेलों में बंद तमाम बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को रिहा करने की मांग की।
शाहनवाज़ आलम ने आज़म खान को उनके जन्मदिन पर बधाई दी और आज़म खान के मसले पर समाजवादी पार्टी की चुप्पी पर भी दुख व्यक्त किया और कहा कि अखिलेश यादव जी को भाजपा के डर से अपनी पार्टी के लिए 30 साल क़ुर्बान करने वाले नेता से दूरी नहीं बनानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हो सकता है इस डर की वजह उनकी अपनी जातिगत जनाधार का भाजपाकरण भी हो जिससे वो डर रहे हों कि आजम खान का सवाल उठाने पर वो नाराज़ हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि भाजपा तो आज़म खान को मुसलमान होने की सज़ा दे ही रही है लेकिन अखिलेश यादव उन्हें मुसलमान होने की सज़ा क्यों दे रहे हैं ?
शाहनवाज आलम ने कहा कि हम एक धर्म परायण समाज हैं इसलिए सपा अगर हर ज़िले में परशुराम जी की मूर्ति बनवाती है तो इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन सवाल उठता है कि आजम खान के लिए हर ज़िले में धरना भी तो सपा दे सकती थी। आखिर ऐसा करने से अखिलेश यादव को कौन रोक रहा है? क्या अमित शाह और मोदी के सामने वो पूरी तरह आत्म समर्पण कर चुके हैं ?
Shahnawaz Alam congratulated Azam Khan on his birthday
कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने अपने बयान में कहा कि आज लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। प्रदेश के विश्वविद्यालयों से लोकतंत्र और संविधान प्रदत्त अधिकारों के तहत आवाज़ उठाने वाले छात्र नेताओं को जेलों में डाला जा रहा है। प्रदेश की योगी सरकार और भाजपा एक ख़ास तरह का भारत बनाना चाहती है, जिसका सपना उन्होंने 90 साल पहले देखा था। और जो भी इस ख़ास तरह के सपने में बाधक हुए उनको महात्मा गांधी की तरह मारा गया या उनकी मुखबरी कर के उनको जेलों में भेजने का काम किया गया। आज उसी हिंदुत्ववादी सपने को पूरा करने के लिए मुखर मुस्लिम आवाज़ों को क़ैद किया जा रहा है।