So the RSS pracharaks now started doing brokerage too!
संघ मतलब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दावा है कि वह व्यक्ति निर्माण का कारख़ाना है. वह राष्ट्र सेवा के लिए व्यक्तियों के चरित्र निर्माण का काम करता है, इस काम में उसके करोड़ों स्वयंसेवक, पदाधिकारी और प्रचारक तथा विस्तारक लगे हुये हैं. कईं लोग यक़ीन भी करते हैं कि वास्तव में विगत एक दशक से इन्होंने काफ़ी लोगों का चरित्र निर्माण करके राष्ट्र निर्माण में अतुल्य योगदान दे दिया होगा. समय-समय पर चरित्र निर्माण के कारख़ाने के उत्पाद राष्ट्र, समाज और देश दुनिया के सामने विभिन्न माध्यमों से प्रकट होते रहते हैं.
ताज़ा मामला राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम जी भाईसाहब से जुड़ा हुआ है।
मीडिया में वायरल वीडियो में जयपुर में सफ़ाई करने वाली कम्पनी का भुगतान करवाने की एवज में तक़रीबन बीस करोड़ के लेन देन की सेटिंग करवाने में उनकी उपस्थिति पर लोग आश्चर्यचकित हैं, क्योंकि इससे पहले लोगों को चरित्र निर्मित पूज्य पादों पर संदेह तो रहा है, पर इस प्रकार के आर्थिक भ्रष्टाचार को लेकर वे संघ का नाम रोशन करेंगे, ऐसी अपेक्षा नहीं रही होगी.
आरएसएस में क्षेत्रीय प्रचारक बड़ी ऊँची चीज़ होती है.
क्षेत्रीय का मतलब किसी क्षेत्र विशेष के नहीं, सैंकड़ों तहसील व ज़िला प्रचारकों, दर्जनों विभाग प्रचारकों और तीन प्रांत प्रचारकों के ऊपर भारती भवन को सुशोभित करने वाले क्षेत्रीय प्रचारक जी ! भले ही उनके नाम के आगे संघ सुप्रीमो की तरह ‘परम पूज्य’ नहीं लगता हो, पर वे भी ‘पूज्य व श्रद्धेय’ तो होते ही है और बाक़ायदा कहे लिखे भी जाते रहते हैं.
पूज्य भाईसाहब निम्बा राम प्रदेश के तपते रेतीले धोरों की उपज हैं, फलौदी को उनका मूल स्थान होने का गौरव हासिल है और बाड़मेर को उनकी कर्मभूमि होने का दंभ है, जोधपुर के प्रांत प्रचारक थे, जब पूर्व क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गा दास को घुमंतू कार्य प्रमुख बनाया गया तो उनके जाने से आई रिक्ति को निम्बाराम से भरा गया.
जानकार लोग बताते हैं कि वे भले ही चितपावन ब्राह्मण नहीं है,पर जांगिड़ ब्राह्मण तो हैं, जो राजस्थान में पिछड़े वर्ग में शुमार होते हैं. इसलिए उनको क्षेत्रीय प्रचारक का दायित्व देकर संघ ने सामाजिक समरसता की मिसाल क़ायम करते हुए खुद ही अपनी पीठ थपथपाई.
मौक़ा मिला तो अब पूज्य भाईसाहब ने संघ का नाम रोशन करने में कोई कसर न छोड़ी. अपनी सीमा से भी आगे बढ़कर उन्होंने संघ की छवि में चार चाँद लगा दिये हैं.
अब तक आरएसएस के राजनीतिक विरोधी यह कहते नहीं अघाते थे कि वह सांस्कृतिक की आड़ में राजनीतिक संगठन है और उसके स्वयंसेवकों से लेकर प्रचारक तक जमकर राजनीति करते हैं. संघ ने सदैव इस बात का सम्पूर्ण बेशर्मी से खंडन किया और कहा कि उसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं हैं.
अब यह अलहदा बात है कि संघ के स्वयंसेवक पिछले सात दशक से जनसंघ से लेकर भाजपा तक के लिए बेगार करते आए हैं और पूज्य प्रचारक तो बाक़ायदा संगठन मंत्री बने बैठे ही हैं, मंत्री संतरी तो अनगिनत बने हैं. हालाँकि देखने पर आरएसएस आकंठ पॉलिटिक्स में डूबा हुआ है, फिर भी साफ़ झूठ बोलने में उसका कोई सानी नहीं हैं.
संघ के प्रचारकों पर सत्तालोलुप होने के आरोप तो अब आम बात है, लेकिन ताज़ा डवलपमेंट क़ाबिले गौर है.
राजनीति करते-करते अब संघ प्रचारक दलाली पर उतर आये हैं, पूज्य प्रचारक करोड़ों के सेटिंग करवाते हुए वीडियोवासी हो चुके हैं.
क्षेत्रीय प्रचारक निम्बा राम महाराष्ट्र मूल की कम्पनी बीवीजी का अटका हुआ सैंकड़ों करोड़ रुपया दिलवाने के लिए किये जा रहे लेनदेन को फ़ाइनल करवाते हुए वीडियो में नज़र आते हैं. हालाँकि आरएसएस ने वीडियो में काट छाँट करके प्रचारक व संघ की छवि ख़राब किए जाने की आशंका जताई है.
गौरतलब है कि जयपुर नगर निगम की महापौर पद से हटाई सौम्या गुर्जर के पति राजा राम और बिवीजी कम्पनी के संदीप चौधरी के मध्य कमीशन की राशि को फ़ाइनल करवाने क्षेत्रीय प्रचारक पहुँचे थे.
लोग सोशल मीडिया पर पूछ रहे हैं कि क्या आरएसएस के प्रचारकों का यह काम है ? कुछ लोग इन्हें ऋषि तुल्य जीवन यापन करने वाले देवपुरुष तक बता रहे हैं, लेकिन हिंदुत्ववादी संगठनों पर अब इस तरह के आक्षेप बढ़ते जा रहे हैं. जयपुर में हुई इस दलाली के प्रकरण पर मुक़दमा दर्ज हो चुका है और हंगामा मचा हुआ है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने प्रचारक की करतूत से लगे कलंक को धोने में लगा ही हुआ है कि अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट तीर्थ क्षेत्र ने ज़मीन ख़रीद में बड़ा खेला कर दिया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ मंदिर ट्रस्ट ने दस मिनट पहले दो करोड़ रुपए में बेनामा हुई एक ज़मीन को मात्र दस मिनट बाद ही साढ़े अठारह करोड़ रुपए में ज़रिए रजिस्टर्ड एग्रिमेंट ख़रीद लिया. महज़ दस मिनट में ज़मीन के भाव साढ़े सोलह करोड़ बढ़ जाना लोगों को पच नहीं रहा है. लोग इसे बड़ा घोटाला बता रहे हैं, क्योंकि बेनामा करवाने में और रजिस्टर्ड एग्रिमेंट करवाने में राममंदिर ट्रस्ट के लोग शामिल हैं. ट्रस्ट के कर्ता धर्ता चंपत राय ने इन आरोपों पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है और बोले हैं कि हम पर सौ साल से आरोप लग रहे हैं, पहले भी गांधी हत्या का आरोप लगा है.
कुलमिलाकर वे कोई जवाब इस भूमि ख़रीद घोटाले पर नहीं देंगे और न ही संघ अपने क्षेत्रीय प्रचारक के विरुद्ध कोई कार्यवाही करेगा. कोयले की दलाली में यहाँ सबके हाथों पर कालिख लगी हुई है. सब स्वयंसेवक ‘स्वयं की सेवा’ के महान काम में लगे हैं. देश को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, शीघ्र ही भारत इसी भाँति ‘परमवैभव’ पर पहुँच जायेगा. भरोसा रखिये.
– भंवर मेघवंशी
लेखक पूर्व स्वयंसेवक व सामाजिक कार्यकर्ता हैं।
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