अशिक्षित और अक्ल के अंधे न्यूज़ चैनलों को तो जमातियों के थूकने और मूतने के फर्जी वीडियो दिखाने से ही फुरसत नहीं..

hastakshep
09 Apr 2020
अशिक्षित और अक्ल के अंधे न्यूज़ चैनलों को तो जमातियों के थूकने और मूतने के फर्जी वीडियो दिखाने से ही फुरसत नहीं..

आत्मा को सब्जीमंडी में तलाशता समाज | Society seeks soul in vegetable market

आत्मा-परमात्मा, आस्था-अनास्था, देह, देह से परे, शरीर एक पिंजरा है, सर्व शक्तिमान, क्या लेकर आया है क्या ले कर जाएगा वाले इस समाज को अक्सर विपरीत परिस्थितियों में मसक्कली की तरह फड़फड़ाते और डोलते देखा है.. तब आध्यात्म से लिपा पुता यह समाज इस कदर इहलौकिक हो जाता है कि चितकबरा नज़र आने लगता है..

अपने छज्जे पर खड़े हो कर ताली बजाने को कहो तो सड़कों पर निकल जुलूस निकालने लगते हैं.. घर की मुंडेर पर दिया जलाने को कहो तो आतिशबाजी करने लगते हैं.. अफ़वाहें फैलाने में उस्ताद चैनल बिना व्याख्या किये कोई सरकारी आदेश निकाल दें तो देश भर का नागरिक आपदा पीड़ित हो भुखमरी का शिकार हो जाता है..और पागलों जैसा व्यवहार करता है..जैसे कल हॉट-स्पॉट और सील जैसे दो शब्द सुनते ही सब जगह बदहवासी फैल गयी और सड़कों पर भीड़ उमड़ पड़ी..कोरोना का डिस्टेंसिंग वाले सिद्धांत पर मिट्टी डाल सब ख़रीदारी करने सड़कों पर निकल पड़े, जैसे अगली सुबह किसी के घरों में अन्न का दाना न होगा..

कल शाम सड़कों पर मेले का दृश्य था..

एक फोन आया तो यही देखने की तमन्ना लेकर बाइक उठाई और निकल पड़ा..

यह देख कर और अफसोस हुआ लेकिन आश्चर्य नहीं कि भीड़ माध्यम वर्ग की औरतों से लबरेज थी.. मरद की अकल पर भरोसा नहीं था, तो दुपहिया और चौपायों पर खुद भी सवार.. एक-एक दुकान पर 30-30 की भीड़.. जैसे कोरोना नहीं, सब भुखमरी का शिकार होने वाले हैं..

जैसा राजा वैसी प्रजा को सम्पूर्ण अर्थ दे दिया है गरीबों के लिए बैंक में पहुंचे 500-500 रुपयों ने..

Rajeev mittal राजीव मित्तल वरिष्ठ पत्रकार हैं। Rajeev mittal राजीव मित्तल वरिष्ठ पत्रकार हैं।

लुभाने का कोई भी तरीका राजा हाथ से जाने नहीं देना चाहता, चाहे वो कितना भी बदतरीन क्यों न हो, और प्रजा भेड़ की तरह कूच कर देती है.. बैंकों में डाले गए 500 रुपये ने कोरोना से बचाव के सारे नियम कानून ध्वस्त कर दिए हैं.. और गरीबी में आटा गीला कर रहे हैं हमारे अशिक्षित और अक्ल के अंधे न्यूज़ चैनल, जिन्हें यह अव्यवस्था से कोई मतलब नहीं, क्योंकि उन्हें तो जमातियों के थूकने और मूतने के फर्जी वीडियो दिखाने से ही फुरसत नहीं..

ऐसे में "राम नाम सत्त है' से सटीक कोई वाक्य नहीं..

राजीव मित्तल

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