Special on International Women’s Day
आया,
उड़ा-उड़ा,
एक अदद
वुमन्स डे……!!!
अब ये
लौट भी तो नहीं सकती
ये खनकती हुयी
तमाम दिलचस्प औरतें
दरअसल
बेहद खोखली हैं,
जो बड़े शौक़ से
ज़मीन छोड़ कर
उड़ी थी,
बदलाव की
हवाओं संग,
दूर आसमां तक
हो आने को,
नीलेपन से ऊबी
ये औरतें सोचती थीं,
इक सतरंगी आसमां हैं
इस
आसमान
के पीछे,
मगर अब
जब देखती हैं
नीचे
तो डर जाती हैं,
यह औरतें
लिखना चाहती
थीं,
अपना ‘वुजूद’
सतरंगी सलेट पर,
जुगनई सितारों से,
उन्हें सचमुच
यक़ीन था
उनके आसमां
पर भी
इक चाँद
उतरेगा
इन्हीं सय्यारों से,
जो चमका देगा,
उनकी लकीरों की
रात,
बस यहीं
ख़्वाबों जैसी बात,
ली हुयीं
तमाम उड़ी-उड़ी
औरतों के हिस्से में
आया,
उड़ा-उड़ा,
एक अदद
वुमन्स डे……!!!
डॉ. कविता अरोरा

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