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स्पिटिंग कोबरा : काटता नहीं जहर की बौछार करता है ये साँप

जानिए एक विनाशकारी खरपतवार गाजर घास के बारे में

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Spitting cobra facts in Hindi | स्पिटिंग कोबरा फैक्ट्स हिंदी में | Snake Facts in Hindi

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हमने साँप के बारे में कई बातें सुनी हैं। अलग-अलग प्रजाति के साँपों के अलग-अलग व्यवहार। स्पिटिंग कोबरा भी उनमें से एक है। कोबरा की विभिन्न प्रजातियों में से यह एक ऐसा साँप है जो अपने विषदन्त के जरिए जहर को आगे यानी सामने की ओर फेंकता है। इसीलिए इन्हें स्पिटिंग कोबरा कहा जाता है, मतलब जहर को स्प्रे या जहर की बौछार करने वाला साँप।

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अफ्रीका में स्पिटिंग कोबरा की प्रमुख प्रजातियाँ | Major Species of Spitting Cobra in Africa

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अधिकांश स्पिटिंग कोबरा नाजा प्रजाति के होते हैं। ये अधिकतर दक्षिण अफ्रीका (Snakes of Africa) और दक्षिणपूर्वीय एशिया के घास के मैदानों, खेतों और जंगलों में पाए जाते हैं। अफ्रीका में स्पिटिंग कोबरा की सात प्रमुख प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें रेड स्पिटिंग कोबरा (Red spitting cobra), मोजाम्बिक स्पिटिंग कोबरा (Mozambique Spitting Cobra), ब्लैक-नेक्ड स्पिटिंग कोबरा (black-necked spitting cobra) और जब्रा स्पिटिंग कोबरा (Jabra Spitting Cobra) उल्लेखनीय हैं।

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एशिया में स्पिटिंग कोबरा की प्रजातियाँ | Species of Spitting Cobra in Asia

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इसी तरह एशिया में भी स्पिटिंग कोबरा (Reptiles of Asia) की 7 विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें इक्वेटोरियल स्पिटिंग कोबरा, फिलीपिन स्पिटिंग कोबरा, इंडोचाइनीज स्पिटिंग कोबरा व इंडोनेशियन स्पिटिंग कोबरा उल्लेखनीय हैं।

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स्पिटिंग कोबरा विष कैसे स्प्रे करते हैं? | How do you spray spitting cobra venom?

अब यह समझते हैं कि स्पिटिंग कोबरा जहर को किस तरह बाहर निकालते हैं। इसके लिए स्पिटिंग कोबरा अपनी विष ग्रन्थि (venom gland) को बस सिकोड़ते हैं जिससे जहर उनके विषदन्त में आ जाता है और फिर विषदन्त (venomous) में सामने की तरफ बने छिद्रों से जहर तेजी-से बाहर निकल जाता है। वैसे सभी साँपों में ऐसा होता है। स्पिटिंग कोबरा में स्प्रे करने की प्रवृत्ति, उनके विषदन्तों के आकार में परिवर्तन और सिर की मांसलता में परिवर्तन के प्रति अनुकूलन का परिणाम है।

अन्य साँपों से स्पिटिंग कोबरा में क्या फर्क होता है ? | What differentiates a spitting cobra from other snakes?

अन्य साँपों से इतना फर्क होता है कि स्पिटिंग कोबरा के विषदन्त ऐसी खास जगह पर होते हैं कि जहर महज बाहर निकलने की बजाय तेज धार के रूप में बाहर निकलता है। विषदन्त के छिद्र जितने छोटे और गोल होंगे, जहर उतनी ही तेजी-से बाहर निकलेगा। इस पिचकारी की गति इतनी तेज होती है कि आप समझ ही नहीं पाते कि अचानक आपसे क्या आकर टकराया।

कितनी होती है स्पिटिंग कोबरा की लम्बाई

स्पिटिंग कोबरा लम्बाई में 3 से 9 फीट तक बढ़ सकते हैं। स्प्रे करने के समय ये अपने फन को फैलाकर उठ जाते हैं। ये न सिर्फ 6.6 फीट तक अपने जहर को स्प्रे कर सकते हैं बल्कि लगातार 40 बार अपने जहर की जल्दी-जल्दी बौछार भी कर सकते हैं। स्पिटिंग कोबरा का दूर का निशाना दस में से कम-से-कम आठ बार अचूक होता है।

स्पिटिंग कोबरा के जहर की घातकता (The lethality of spitting cobra venom) | Is the venom of a spitting cobra different from that of other snakes?

क्या स्पिटिंग कोबरा का जहर अन्य साँपों के जहर से अलग होता है? हाँ, ऐसा माना जाता है कि स्पिटिंग कोबरा का जहर अन्य कई साँपों के जहर से ज़्यादा दर्दनाक होता है। कोबरा साँपों का विष (cobra snake venom) कई यौगिकों का एक मिश्रण है। लेकिन स्पिटिंग कोबरा के विष में कोशिकाओं के लिए काफी खतरनाक माने जाने वाले सायटोटॉक्सिन (cytotoxin), अन्य साँपों की तुलना में ज़्यादा होते हैं। इस वजह से जहर की बौछार जब ऊतकों पर पड़ती है तो उनको काफी नुकसान पहुँचा सकती है। स्पिटिंग कोबरा, किंग कोबरा (जो इन कोबरा का दूर का रिश्तेदार है) जितने जहरीले तो नहीं होते लेकिन इनके सायटोटॉक्सिन काफी खतरनाक हो सकते हैं।

काटने की बजाय स्पिटिंग कोबरा जहर स्प्रे क्यों करते हैं? | Why do spitting cobras spray venom?

इसके दो कारण हैं। पहला और प्रमुख कारण है आत्मरक्षा जो सभी जीवों की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। खुद को बचाने के लिए हम सभी कोई-न-कोई तरीका अपनाते ही हैं। उसी तरह स्पिटिंग कोबरा भी आत्मरक्षा के लिए जहर की बौछार करते हैं। स्पष्ट रूप से यह उनकी बेहद प्राकृतिक और स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है। अण्डे से बाहर निकलने के तुरन्द बाद से ही स्पिटिंग कोबरा ज़हर स्प्रे करने में सक्षम हो जाते हैं। हालाँकि इनके बच्चे तुलनात्मक रूप से छोटे आकार व छोटे विषदन्त और कम दूरी तक ही ज़हर की बौछार कर पाने की क्षमता की वजह से बहुत ज़्यादा असुरक्षित होते हैं। पर ये काटने की बजाय शिकारी पर ज़हर स्प्रे क्यों करते हैं? इसका जवाब तो पता नहीं। लेकिन ये साँप कुछ डेढ़ करोड़ साल पहले विकसित हुए, लगभग उसी समय जब अफ्रीका और एशिया में वानर (एप्स) का जैव-विकास हो रहा था।

ये कोबरा विष की एक धार न थूककर, बौछार करते हैं। चूँकि ज़्यादातर शिकारियों की ऊँचाई और स्पिटिंग कोबरा द्वारा फन उठाकर फैलाने पर इनकी ऊँचाई लगभग एक बराबर हो जाती है, इस वजह से शिकारी की आँखें ज़्यादातर इनका निशाना बन जाती हैं जो कि शरीर का एक अत्यन्त नाज़ुक अंग हैं।

अगर एक बार स्पिटिंग कोबरा का जहर आँखों में चला गया तो ज़हर में मौजूद सायटोटॉक्सिन और न्यूरोटॉक्सिन शिकार की आँखों में अत्यन्त तेज़ दर्द तो पैदा करेंगे ही, साथ ही शिकार को स्थाई या अस्थाई रूप से अन्धा भी कर देंगे। इस वजह से शिकार को स्पिटिंग कोबरा से दूर हटना ही पड़ेगा।

मनुष्य के सन्दर्भ में भी स्पिटिंग कोबरा द्वारा जहर की बौछार करने के बाद यदि तुरन्त इसका इलाज न करवाया जाए तो मनुष्य भी हमेशा के लिए अंधा हो सकता है। इससे ही अन्दाजा लगाया जा सकता है कि स्पिटिंग कोबरा का जहर कितना तेज़ और खतरनाक होता है। वैसे इसका जहर त्वचा के लिए हानिकारक नहीं होता पर ये आँख के अलावा नाक या कटी हुई त्वचा में चला जाए तो भी काफी नुकसानदेह माना जाता है। अगर इनके सामने कोई बड़ा शिकारी आ जाए तो इनको भागने के लिए पर्याप्त समय चाहिए होगा। तब वे शिकारी पर ज़हर की बौछार करके उसे अस्थाई रूप से अंधा कर देते हैं और वहाँ से भाग निकलते हैं। इस काउंटर अटैक की वजह से शिकारी से खुद को बचाने का पर्याप्त मौका मिल जाता है।

एशियाई स्पिटिंग कोबरा के प्रमुख शिकारी नेवले होते हैं, वहीं अफ्रीकी देशों में पाए जाने वाले स्पिटिंग कोबरा के मुख्य शिकारी सिक्रेटरी बर्ड (अफ्रीका में पाया जाने वाला एक बहुत बड़ा पक्षी जो अक्सर खुले घास के मैदानों में पाया जाता है) और मॉनिटर लिज़र्ड होते हैं।

स्पिटिंग कोबरा द्वारा शेर पर ज़हर की बौछार करके, शेर से खुद को बचाते हुए भी देखा गया है। विष थूकने का दूसरा कारण है शिकार करना। स्पिटिंग कोबरा मेंढक, छिपकली, पक्षी, पक्षियों के अण्डे, चूहे, अन्य साँप और कीड़े खाते हैं। दरअसल, ये इतने शक्तिशाली नहीं होते कि शिकार के गले को दबोचकर और उसकी साँसें रोककर उसे मार डालें। इनके विषदन्त भी छोटे होते हैं और अगर ये अपने शिकार को काटते हैं तो इन्हें अपने शिकार को बहुत मज़बूती से पकड़ना होगा, तब तक जब तक कि शिकार मर न जाए। इस संघर्ष के दौरान अगर शिकार को थोड़ी-सी भी ढील मिल गई तो वो स्पिटिंग कोबरा पर ही पलट वार करके उसे मार सकता है। भले ही फिर शिकार उसके ज़हर से बाद में खुद मर जाए, पर तब साँप को उससे क्या फायदा होगा! इसलिए स्पिटिंग कोबरा के लिए यह जरूरी होता है कि वह अपने शिकार को जल्द-से-जल्द निष्क्रिय कर दे और ऐसा वह उसे अन्धा करके करता है। तो इस तरह स्पिटिंग कोबरा के जहर के दो उपयोग होते हैं - शिकार को मारने के लिए और खुद को बचाने के लिए।

वैसे तो कोबरा की सभी प्रजातियों के साँप प्रतिरक्षा के लिए जहर की बौछार नहीं कर सकते, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि एशिया में पाए जाने वाले कोबरा (जो स्पिटिंग कोबरा नहीं माने जाते) की कुछ प्रजातियाँ भी संकट की घड़ी में कभी-कभी स्पिटिंग कोबरा जैसा व्यवहार प्रदर्शित करती हैं। यानी ये साँप अपना बचाव करने के लिए दूर से ही ज़हर की बौछार कर देते हैं। इनके अलावा चीन में पाए जाने वाले काफी जहरीले मेंग्शन पिटवाइपर सटीकता से ज़हर स्प्रे करने के लिए विशिष्ट रूप से जाने जाते हैं।

पारुल सोनी

(मूलतः देशबन्धु में 27 मार्च 2018 को प्रकाशित)

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