राज्य की ईवी नीतियों को जमीनी प्रभाव के लिए बेहतर कार्यान्वयन तंत्र की आवश्यकता

hastakshep
20 Feb 2023
राज्य की ईवी नीतियों को जमीनी प्रभाव के लिए बेहतर कार्यान्वयन तंत्र की आवश्यकता

state ev policies need better implementation mechanisms for on the ground impact

भारत में ई-मोबिलिटी की शुरुआती सफ़लता का श्रेय किसे दिया जा सकता है?

पिछले 5 वर्षों में कितने राज्यों ने ईवी नीतियां जारी की हैं?

नई दिल्ली, 20 फरवरी 2023. क्लाइमेट ट्रेंड्स द्वारा किए गए एक अध्ययन, 'राज्य इलेक्ट्रिक वाहन नीतियों और उनके प्रभाव का विश्लेषण' ('Analysis of State Electric Vehicle Policies and Their Impact') ने 21 मापदंडों के आधार पर इन राज्य ईवी नीतियों की व्यापकता का आंकलन किया है। इन मापदंडों में लक्ष्य और बजट आवंटन, मांग पक्ष और विनिर्माण प्रोत्साहन शामिल हैं, और बेड़े के विद्युतीकरण, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर  (अवसंरचना) जनादेश और रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

क्या कहती है रिपोर्ट

रिपोर्ट में उन 8 नीतियों की प्रगति का भी विश्लेषण किया गया है जो दो साल या उससे अधिक समय से सक्रिय हैं। यह बताता है कि उनमें से कोई भी ईवी पैठ, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर या निवेश के अपने लक्ष्यों को पूरा करने के ट्रैक पर नहीं है।

राज्यों की ईवी नीतियों के कार्यान्वयन में अंतराल

क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने कहा कि - “देश भर में तेज़ी से डीकार्बोनाइज़ेशन प्राप्त करने में प्रमुख स्तंभों में से एक ई मोबिलिटी विस्तार होने के साथ, राज्य ईवी नीतियों की सफ़लता भारत के कार्बन कटौती लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण और आवश्यक है। यह एक अच्छा संकेत है कि अधिकांश भारतीय राज्यों में ईवी नीतियां हैं, लेकिन ज़ीरो एमिशन परिवहन के लिए एक सफ़ल परिवर्तन उनके डिज़ाइन और कार्यान्वयन की प्रभावशीलता पर निर्भर है। यह एक राष्ट्रीय परिवहन विद्युतीकरण लक्ष्य होने पर भी निर्भर है, जो वर्तमान में भारत में मौजूद नहीं है। हमारे अध्ययन से पता चलता है कि कुछ राज्य नीतियों में व्यापक डिज़ाइन हैं जो ईवी बिक्री, विनिर्माण और समग्र पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को संतुलित करते हैं। कार्यान्वयन में अंतराल हैं, जिससे ऑन -ग्राउंड इम्पैक्ट धीमा हो जाता है, जिसे नीति मूल्य श्रृंखला में हितधारकों के बेहतर विनियमन, बेहतर निगरानी, तंत्र और क्षमता निर्माण के माध्यम से संबोधित करने की आवश्यकता है।"

"हमारे अध्ययन का उद्देश्य राज्यों के बीच सहकर्मी से सहकर्मी सीखने की सुविधा प्रदान करना, नीति डिज़ाइन और कार्यान्वयन में अंतराल की पहचान करना और नीतियों को संशोधित किए जाने पर इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए सलाह प्रदान करना है।" अर्चित फुर्सुले, रिसर्च एसोसिएट, ई-मोबिलिटी, क्लाइमेट ट्रेंड्स ने कहा।

aarti khosla
aarti khosla

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष-

सबसे व्यापक नीतियां : महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब 21 मापदंडों में से 13 से 15 के बीच मापदंडों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं, जिससे वे सबसे समग्र नीतियां बन जाती हैं।

सबसे कम व्यापक नीतियां : अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, केरल और उत्तराखंड अपनी नीतियों में 21 परिभाषित मापदंडों में से 3 से 7 के बीच की पेशकश करते हैं, जो उन्हें सबसे कम व्यापक बनाता हैं।

सबसे मज़बूत मांग पक्ष प्रोत्साहन : महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब 21 मापदंडों में से 13 से 15 के बीच मापदंडों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं, जिससे वे सबसे समग्र नीतियां बन जाती हैं।

सबसे कमज़ोर मांग पक्ष प्रोत्साहन :  अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, केरल और उत्तराखंड अपनी नीतियों में 21 परिभाषित मापदंडों में से 3 से 7 के बीच की पेशकश करते हैं, जो उन्हें सबसे कम व्यापक बनाता है।

सबसे मज़बूत विनिर्माण प्रोत्साहन : नौ राज्य और केंद्र शासित प्रदेश - दिल्ली, ओडिशा, बिहार, चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान और मेघालय - मांग पक्ष प्रोत्साहन के 8 रूपों में से 5 से 6 की पेशकश करते हैं।

सबसे कमजोर मांग पक्ष प्रोत्साहन : नौ राज्य - आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, केरल - केवल एक या दो मांग पक्ष प्रोत्साहन प्रदान करते हैं।

सबसे मजबूत विनिर्माण प्रोत्साहन : राज्य की औद्योगिक नीति में दिए गए प्रोत्साहनों के अलावा, ईवी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए विशेष समर्थन के साथ तमिलनाडु, हरियाणा और आंध्र प्रदेश में सबसे मजबूत आपूर्ति पक्ष प्रोत्साहन हैं।

केवल 9 राज्यों ने चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना अनिवार्य किया :  9 राज्यों -चंडीगढ़, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, दिल्ली, महाराष्ट्र, मेघालय, लद्दाख, ने नए आवासीय भवन, कार्यालय, पार्किंग स्थल, मॉल आदि में  चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना अनिवार्य  किया है।

केवल 8 राज्यों के पास बेड़े के विद्युतीकरण के लिए विशिष्ट लक्ष्य हैं : महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक, असम, मध्य प्रदेश, मणिपुर, अंडमान और निकोबार के पास अंतिम मील डिलीवरी वाहन, एग्रीगेटर कैब, सरकारी वाहन जैसे बेड़े के विद्युतीकरण के लिए विशिष्ट लक्ष्य हैं।

राज्य की नीतियों का प्रभाव : आठ राज्यों- आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और दिल्ली , ने अक्टूबर 2020 से पहले अपनी नीतियां जारी कीं और कोई भी अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ट्रैक पर नहीं है ।

ईवी पैठ लक्ष्य से कम है: मध्य प्रदेश का लक्ष्य 2026 तक सभी नए पंजीकृत वाहनों का 25% इलेक्ट्रिक होना है, लेकिन नीति जारी होने के बाद से इसकी वर्तमान पैठ कुल वाहन बिक्री का 2.2% है। 2024 तक 25% के अपने लक्ष्य के मुक़ाबले दिल्ली की ईवी पैठ 7.2% है। तमिलनाडु में कोई परिभाषित लक्ष्य नहीं है, लेकिन ईवी पैठ पंजीकृत वाहनों का सिर्फ़ 2.02% है।

सार्वजनिक परिवहन का विद्युतीकरण पिछड़ा : सभी 8 राज्यों में, इलेक्ट्रिक बसों की पहुंच नीतिगत लक्ष्यों से काफ़ी कम है। तमिलनाडु का लक्ष्य 5% बसों का इलेक्ट्रिक होना है, लेकिन अभी तक कोई ई-बस ऑनग्राउंड नहीं है। केरल ने 2025 तक 6,000 बसों का लक्ष्य रखा है, लेकिन ग्राउंड पर केवल 56 हैं।

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ धीमी है : दिल्ली, उच्चतम चार्जिंग स्टेशनों और पॉइंटों के साथ, 30,000 चार्जिंग स्टेशनों के अपने 2024 के लक्ष्य का केवल 9.6% ही बना पाया है। अन्य सभी 7 राज्यों में, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डाटा सार्वजनिक और अर्ध-सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों को सिर्फ़ 100 से 500 के बीच ही दिखाता है।

ग्रीन ज़ोन पर कोई प्रगति नहीं : सात राज्यों ने या तो अपनी स्मार्ट सिटी पहल या आदि के तहत ग्रीन ज़ोन बनाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन अभी तक इस पर कोई प्रगति नहीं हुई है।

रिपोर्ट में राज्यों को ईवी बिक्री और समग्र ईवी पारिस्थितिकी तंत्र की वृद्धि के साथ-साथ 2030 तक एक दीर्घकालिक दृष्टि रखने के मद्देनज़र अधिक व्यापक और अच्छी तरह से संतुलित बनाने के लिए अपने नीतिगत डिज़ाइनों का पुनर्मूल्यांकन करने की सलाह की गई है। रिपोर्ट कैब एग्रीगेटर्स, लास्ट माइल डिलीवरी सर्विस और ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए शासनादेश के माध्यम से बेड़े के विद्युतीकरण पर अधिक ध्यान देने की भी सलाह देती है। सार्वजनिक परिवहन का विद्युतीकरण शून्य उत्सर्जन परिवहन के लिए महत्वपूर्ण होगा, और सभी नीतियों को अपने बस विद्युतीकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तंत्र बनाने चाहिए। और अंत में, 2 साल या उससे अधिक समय से सक्रिय नीतियों में ऑन ग्राउंड प्रगति की कमी, अधिक प्रभाव प्राप्त करने और नीतियों को सही करने और संशोधित करने के अवसरों को पहचानने के लिए नीति कार्यान्वयन की निगरानी की आवश्यकता पर यह प्रकाश डालती है।

State EV policies need better implementation mechanisms for on-the-ground impact

अगला आर्टिकल