Sunderlal Bahuguna should live for 100 years, the people of the country should be equipped with environmental consciousness
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राजीव नयन बहुगुणा से जून महीने में अपने पिता पर लिखने को कहा है। चिपको सन्त सुंदरलाल बहुगुणा जीवन भर पर्यावरण जागरूकता के लिए काम करते रहे।
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पर्यावरण जागरूकता सबसे जरूरी काम है, जिसकी गैरमौजूदगी ही कोरोना महामारी, कोरोना राजनीति और कोरोना बिज़नेस की असल वजह है।
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हिमालय में ग्लेशियर सूखने की वजह से गंगोत्री में बनते मरुस्थल देखकर करीब एक दशक से पृथ्वी और प्रकृति के संकट के मद्देनजर उन्होंने अन्न छोड़ दिया है।
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उनका आन्दोलन जमीन इतना जरूरी लगता है कि 2014 में कोलकाता से देहरादून पहुंच कर उनका इंटरव्यू सिर्फ इसलिए किया था, क्योंकि बड़े पैमाने पर चिपको आंदोलन के साथी एनजीओ के जरिये विदेशी फंड के बदले पहाड़ के सत्यानाश करने लगे हैं, जिनमें हमारे अनेक प्रिय साथी भी शामिल है।
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Sunderlal Bahuguna (सुन्दरलाल बहुगुणा) Indian environmentalist
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हमारे विचार से हर सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता को बहुगुणा जी की तरह पर्यावरण कार्यकर्ता होना चाहिए।
वे सुंदरलाल बहुगुणा इस वक्त गम्भीर रूप से अस्वस्थ हैं। सौ साल के होने वाले हैं बहुत जल्द, यह बेहद चिंता की बात है।
राजीव नयन दाज्यू का गुस्सा वाजिब है।
एक व्यक्ति की राजनीतिक महत्वाकांक्षा की भारी कीमत चुकाने को बेमौत मौत और तबाही के शिकंजे में हैं इस देश के 138 करोड़ लोग।
हस्तक्षेप परिवार की ओर से सुंदरलाल बहुगुणा के स्वस्थ होने की कामना करते हैं, हम और उम्मीद करते हैं कि वे सौ साल तक जरूर जियें और देश की जनता पर्यावरण चेतना से लैस हो।