Supreme Court refuses to hear arguments against Shaheen Bagh, questions raised over working of Central Government and Delhi Police
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नई दिल्ली, 26 फरवरी 2020. सर्वोच्च न्यायालय ने फिलहाल शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दलील सुनने से इनकार करते हुए बुधवार को कहा कि राजधानी में इस समय माहौल ठीक नहीं है। गौरतलब है कि सीएए को लेकर दिल्ली में हुई हिंसा में मरने वालों की संख्या 21 हो गई है।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ ने निर्देश के बिना पुलिस के कोई भी काम करने में असमर्थ होने की बात का जिक्र किया, जिसके परिणामस्वरूप 23 फरवरी को भड़की हिंसा ने बड़ा रूप ले लिया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत पर ही उठाए सवाल
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प्राप्त जानकारी के अनुसार जब जस्टिस जोसेफ ने अमेरिका और ब्रिटेन में पुलिस के कामकाज का हवाला दिया, तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर कहा कि अगर दिल्ली पुलिस को अपने पश्चिमी समकक्षों के अनुसार काम करना है, तो 'अदालतें हस्तक्षेप करने वाली पहली होंगी।'
मेहता ने न्यायमूर्ति जोसेफ की टिप्पणी पर भी आपत्ति जताई और तर्क दिया कि एक पुलिसकर्मी 'निजी गोली' से फायरिंग में पहले ही मर चुका है और पुलिस उपायुक्त पर क्रूरतापूर्वक हमला किया गया। उन्होंने अदालत से कहा, "यह पुलिस बल पर दोष लगाने का समय नहीं है।"
The apex court postponed the hearing till 23 March.
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शीर्ष अदालत ने सुनवाई 23 मार्च तक के लिए टाल दी। कोर्ट ने पिछले चार दिनों में दिल्ली पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए, जब उत्तर-पूर्वी के अन्य क्षेत्रों में गोकुलपुरी, जाफराबाद, मौजपुर, सीलमपुर, चांद बाग में व्यापक हिंसा फैल गई।
अदालत ने दिल्ली पुलिस को कानून के शासन में विश्वास पैदा करने के लिए पेशेवर रूप से काम करने की अनुमति देने के लिए उचित कदम नहीं उठाने पर केंद्र पर भी सवाल उठाया।
न्यायमूर्ति जोसेफ ने जानमाल के नुकसान पर नाराजगी जताई। उन्होंने अपने आचरण में पुलिस को अधिक प्रभावी और पेशेवर बनाने के लिए प्रकाश सिंह मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के कार्यान्वयन का हवाला दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि जो हुआ वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और यह नहीं होना चाहिए। हम शाहीन बाग मामले के दायरे में विस्तार नहीं कर रहे हैं और लोग इस मामले में अलग-अलग याचिका दायर कर समाधान मांग सकते हैं।