Advertisment

कचरे से कंचन: स्टील कचरे से बना डाली टिकाऊ सड़क

author-image
hastakshep
31 Mar 2022
New Update
कचरे से कंचन: स्टील कचरे से बना डाली टिकाऊ सड़क

Advertisment

Sustainable road using steel waste

Advertisment

मजबूत सड़कें बनाने में हो रहा स्टील अपशिष्ट का उपयोग

Advertisment

नई दिल्ली, 31 मार्च: हर साल देश भर में विभिन्न संयंत्रों से निकला करीब 1.90 करोड़ टन स्टील अपशिष्ट आमतौर पर लैंडफिल में चला जाता है। यह स्टील अपशिष्ट (Steel slag) अब ‘कचरे से कंचन’ की कहावत चरितार्थ कर रहा है। स्टील अपशिष्ट का उपयोग ऐसी मजबूत सड़कें बनाने में हो रहा है, जिन्हें  सड़क परिवहन को सशक्त बनाने के साथ ही साथ स्टील अपशिष्ट  के निपटान  के एक सुरक्षित विकल्प के रूप में भी देखा जा रहा है।

Advertisment

सूरत के हजीरा औद्योगिक क्षेत्र में स्टील कचरे से बनी सड़क

Advertisment

गुजरात के सूरत शहर में हजीरा औद्योगिक क्षेत्र में पायलट परियोजना (Pilot Project at Hazira Industrial Area in Surat City, Gujarat) के अंतर्गत ऐसी एक किलोमीटर लंबी सड़क तैयार की गयी है। स्टील कचरे से इस सड़क का निर्माण (road construction from steel waste) वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की घटक प्रयोगशाला सीएसआईआर-केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई), नीति आयोग, और आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील (एएमएनएस) इंडिया की पहल पर आधारित है।

Advertisment

यह परियोजना भारत सरकार के अपशिष्ट से उपयोगी उत्पाद बनाने से संबंधित स्वच्छ भारत अभियान से मेल खाती है।

Advertisment

पायलट परियोजना के अंतर्गत निर्मित इस सड़क में छह लेन हैं। यह सड़क सौ प्रतिशत प्रसंस्कृत स्टील धातुमल (Slag) के उपयोग से बनायी गई है, जो सामान्य सामग्री को प्रतिस्थापित करती है।

सीएसआईआर के मुताबिक, स्टील सामग्री के उपयोग से सड़क की मोटाई में भी 30 फीसदी कमी आयी है। माना जा रहा है कि यह नया तरीका सड़कों को मानसून में होने वाले नुकसान से बचा सकता है। इस परियोजना की सफलता के साथ भविष्य में मजबूत सड़कों के निर्माण में स्टील कचरे के उपयोग को बढ़ावा मिल सकता है।

सीएसआईआर-सीआरआरआई के वैज्ञानिक बताते हैं - गुजरात के हजीरा पोर्ट पर करीब एक किलोमीटर लंबी यह सड़क पहले कई टन वजनी ट्रकों की आवाजाही के कारण खराब स्थिति में थी। पूरी तरह स्टील कचरे से सड़क बनने के बाद अब 1,000 से अधिक ट्रक हर दिन कई टन भार लेकर गुजरते हैं, लेकिन सड़क जस की तस बनी हुई है। वे कहते हैं कि इस प्रयोग से लगभग 30 प्रतिशत कम लागत में राजमार्गों और अन्य सड़कों को मजबूत बनाया जा सकता है।

https://twitter.com/shekhar_mande/status/1507890775928963075

पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं स्टील कचरे के पहाड़ (Mountains of steel waste have become a big threat to the environment)

एक अनुमान है कि वर्ष 2030 तक देश में स्टील अपशिष्ट का उत्पादन बढ़कर पाँच करोड़ टन तक पहुँच सकता है। इस्पात संयंत्रों के आसपास स्टील कचरे के पहाड़ बन गए हैं, जो पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा है।

निरंतर बढ़ते स्टील कचरे को देखते हुए नीति आयोग के निर्देश पर, इस्पात मंत्रालय की ओर से एएमएनएस को कई साल पहले इस कचरे के उपयोग से जुड़ी एक परियोजना दी गई थी। इसके बाद वैज्ञानिकों ने सूरत में एएमएनएस स्टील प्लांट में स्टील कचरे को संसाधित किया और स्टील कचरे से गिट्टी तैयार की, जिसका उपयोग सड़क निर्माण में किया जा रहा है।

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे ने इस संबंध में किए गए अपने एक ट्वीट में कहा है कि

“सीएसआईआर के लिए औद्योगिक कचरे को उपयोगी उत्पाद के रूप में देखना एक उच्च प्राथमिकता वाला शोध क्षेत्र है। ऐसी ही एक परियोजना अब प्रदर्शित की गई है, जिसका बड़े पैमाने पर विस्तार किया जा सकता है।”

(इंडिया साइंस वायर)

https://twitter.com/MORTHIndia/status/1507979061280198658

Topics: Steel slag, Road, Waste to Wealth, CSIR, CSIR-CRRI, Bituminous, Hazira, Surat, NITI AYOG, AMNS India, R&D, Steel Ministry, TATA STEEL, JSW Steel, NHAI, Road Transport, Highways

Advertisment
सदस्यता लें