ईडब्ल्यूएस यानी सवर्ण आरक्षण : हिन्दू आरक्षण व्यवस्था क्या है? जिन सवर्णों को नया आरक्षण सुलभ कराया गया है, उनकी गरीबी का एक बार ठीक से जायजा लेने पर किसी का भी सर चकरा जायेगा.
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डायवर्सिटी मैन के नाम से विख्यात एच.एल. दुसाध जाने माने स्तंभकार और लेखक हैं।
श्री दुसाध अब तक 65 से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं। इनका पूरा लेखन सामाजिक न्याय और दलित राजनीति पर केंद्रित रहा है। 20 अक्टूबर, 1953 को देवरिया जिले के नरौली गाँव में जन्मे एच एल दुसाध की औपचारिक शिक्षा केवल हायर सेकंडरी (11वीं) तक ही है, लेकिन अनुभव से प्राप्त ज्ञान के बल पर वे देश के बड़े-बड़े विद्वानों के समकक्ष बैठते हैं और विचारों तथा तर्कों में तो उनका कोई सानी दिखता ही नहीं। इन्होंने आर्थिक और सामाजिक विषमताओं से जुड़ी गंभीर समस्याओं को संबोधित ‘ज्वलंत समस्याएं श्रृंखला’ की पुस्तकों का संपादन, लेखन और प्रकाशन किया है। सेज, आरक्षण पर संघर्ष, मुद्दाविहीन चुनाव, महिला सशक्तिकरण, मुस्लिम समुदाय की बदहाली, जाति जनगणना, नक्सलवाद, ब्राह्मणवाद, जाति उन्मूलन, दलित उत्पीड़न जैसे विषयों पर डेढ़ दर्जन किताबें प्रकाशित हुई हैं।
बीडीएम का हस्ताक्षर अभियान : बहुजन-मुक्ति की अभिनव एक परिकल्पना
Signature Campaign of Bahujan Diversity Mission: An Innovative Vision of Bahujan Liberation कोई आयोजन, कोई घटना, कोई आह्वान महज कुछ घंटों या दिनों तक ही
मुश्किल है किसी और का माता प्रसाद होना
अरुणाचल के पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद के निधन पर एच एल दुसाध की टिप्पणी HL Dusadh’s comment on the death of former Arunachal Governor Mata
शांति स्वरूप बौद्ध : ढह गया आंबेडकरी आंदोलन का एक और स्तम्भ !
इतिहास पुरुष शांति स्वरूप बौद्ध का आकस्मिक निधन विगत ढाई महीनों से कोरोना के दहशत भरे माहौल में लिखते-पढ़ते भारी राहत के साथ दिन