लेख के शीर्षक में राजनीतिक पराजय से आशय देश पर नवसाम्राज्यवादी गुलामी लादने वाली राजनीति के खिलाफ खड़ी होने वाली राजनीति की पराजय से नहीं है. वह पराजय पहले ही हो चुकी है. क्योंकि देश के लगभग तमाम समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के दावेदार नेता और बुद्धिजीवी नवसाम्राज्यवाद विरोधी राजनीति के विरोध में हैं. 1991, जब नई आर्थिक नीतियां लागू …
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