चंपारण सत्याग्रह कब हुआ? Champaran Satyagraha in Hindi चंपारण सत्याग्रह पर टिप्पणी : कल्पना पांडे इस अप्रैल मे चंपारण के किसान आंदोलन को 105 वर्ष पूर्ण हुए। खेती के कॉर्पोरेटाइजेशन या कंपनीकरण (corporatization of farming) और शोषण की संगठित लूट के खिलाफ चले आंदोलन की कई मांगों की जड़ें चंपारण तक पहुंची मिलेंगी। इसके पहले विद्रोह हुए थे परंतु इस …
Read More »Tag Archives: किसान आंदोलन
हिंदुत्व की राजनीति, विदेशी पूंजी और कारपोरेट की लूट के खिलाफ देशभक्ति की भावना विकसित करने की जरूरत
आइपीएफ प्रदेश हेडक्वार्टर की बैठक का सारांश व निर्णय There is a need to develop a sense of patriotism against Hindutva politics, foreign capital and corporate loot. Summary and decision of IPF state headquarters meeting लखनऊ, 17 अप्रैल 2022.आइपीएफ ने कहा है कि वित्तीय पूंजी और कारपोरेट पूंजी के हित में उदार अर्थनीति के परिणामस्वरूप बेकारी, मंहगाई, कृषि संकट, विषमता …
Read More »मजदूर हड़ताल का संदेश : एक धक्का और दो!
मजदूरों की देशव्यापी दो दिनी हड़ताल का संदेश क्या है? | What is the message of the workers’ nationwide two-day strike? देश भर में करोड़ों मजदूरों की दो दिन की हड़ताल और उसके साथ-साथ देश के बड़े हिस्से में किसानों तथा खेत मजदूरों के ग्रामीण बंद के प्रति, मोदी सरकार के लगभग पूरी तरह से अनदेखा ही करने की मुद्रा …
Read More »क्या किसान आंदोलन ने भाजपा की मदद की ?
क्या जन आंदोलनों का नेतृत्व राजनीतिक सवालों से उदासीन रह सकता है ? Arun Maheshwari on UP election and Kishan Aandolan (यूपी सहित पांच राज्यों के चुनाव से उठने वाले प्रश्न | Questions arising from the elections of five states including UP) तमाम दलीलों को सुन कर बहुत सोचने के बावजूद पंजाब और यूपी के चुनाव परिणाम और उनमें किसान …
Read More »राजनीतिक षड़यंत्र का हिस्सा बुल्ली बाई ऐप!
नफरत की आग हमारे भविष्य को खाक कर दे, इससे पहले हमारे समाज को जाग जाना चाहिए Bully Bai App Part Of Political Conspiracy! नया वर्ष राजनीतिक तौर पर कई अशुभ और घृणात्मक अभियानों की सूचना के साथ शुरू हुआ। एक ओर तथाकथित धर्म संसद से एक धर्म विशेष के अनुयायियों के नरसंहार के आव्हान (calls for massacre of followers …
Read More »किसानों को टारगेट कर मोदी विधानसभा चुनाव के लिए इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं!
By targeting farmers, Modi is playing the emotional card for the assembly elections! प्रधानमंत्री संविधान की रक्षा को बनाये गये तंत्रों को दबाव में लेकर जो चाह रहे हैं, कर रहे हैं। जिन प्रधानमंत्री ने अपनी ही सरकार और अपनी ही पार्टी में किसी की कोई हैसियत नहीं रहने दी है, जिन प्रधानमंत्री ने लोगों से थाली तक बजवा दी, …
Read More »सरकार के विरोध में सत्यपाल मलिक : क्या ये समाजवादी तेवर हैं ?
Satyapal Malik in opposition to the government: Is this a socialist attitude? तीन विवादास्पद कृषि-कानूनों के सरकार द्वारा वापस ले लिए जाने के बावजूद मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के तेवर (Meghalaya Governor Satya Pal Malik’s attitude) नरम नहीं पड़े हैं। दो जनवरी को हरियाणा के चरखी दादरी शहर में एक सामाजिक समारोह में बोलते हुए उन्होंने बताया कि जब …
Read More »भारत की राजनीति में संविधान एक टोटका भर रह गया है, अकेले अखिलेश नहीं हरा सकते भाजपा को
यूपी चुनाव पर डॉ. प्रेम सिंह से बात-चीत (Conversation with Dr. Prem Singh on UP elections) राजेश कुमार बहुआयामी लेखक और सोशलिस्ट पार्टी (भारत) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रेम सिंह नवंबर 2021 के अंतिम सप्ताह में निजी काम से लखनऊ में थे। इत्तफाक से मैंने उन्हें फोन कर लिया और आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव के बारे में उनसे कुछ सवाल …
Read More »एक ध्रुवीय पूंजीवादी वर्चस्व पर जनतांत्रिक जीत है किसान आंदोलन!
Peasant movement is a democratic victory over polar capitalist domination. – Manjul Bhardwaj 1990 के दशक में दो ध्रुवीय विश्व और गुटनिरपेक्ष व्यवस्था को रौंद कर पूंजीवादी व्यवस्था ने पूरे विश्व में अपना एकछत्र वर्चस्व कायम किया. सबसे बड़ी त्रासदी है ‘मार्क्सवाद’ के नाम पर चीन में पूंजीवाद का तानाशाही राज (The dictatorial rule of capitalism in China) जिसने ‘जनता’ …
Read More »क्या धीरे-धीरे अप्रासंगिक होती जा रही है संसद?
Is Parliament slowly becoming irrelevant? : Vijay Shankar Singh संसद के शीतकालीन सत्र पहले ही दिन क्यों निलंबित किए गए 12 राज्यसभा सदस्य? संसद् के शीतकालीन सत्र के प्रथम दिन ही राज्यसभा के 12 सदस्य निलंबित कर दिए गए। इस पर पूरे देश में तीखी प्रतिक्रियाएं हो रही हैं। प्रश्न उठ रहे हैं कि क्या संसद शनैः-शनैः अप्रासंगिक होती जा …
Read More »किसान आंदोलन : सुनहरे अक्षरों में दर्ज होगी किसानों की जीत
स्थगित हुआ किसान आंदोलन तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध एक वर्ष से भी अधिक समय तक चल रहे किसान आंदोलन को स्थगित कर दिया गया है (Farmer’s movement suspended)। केंद्र में काबिज भाजपा सरकार ने किसानों को लिखित में कई आश्वासन दिए हैं। इसे किसानों और लोकतंत्र की बड़ी जीत (Big victory for farmers and democracy) के रूप में जा …
Read More »News of the week : गुमराह करती गुमराह सरकार | सप्ताह की बड़ी खबर
News of the week : गुमराह करती सरकार ! कृषि कानून | किसान आंदोलन | सप्ताह की बड़ी खबर कृषि कानूनों पर सरकार का जबर्दस्त यू टर्न (Government’s tremendous U turn on agricultural laws) ये मान लिया था कि किसान आंदोलन समाप्त हो जाएगा. सरकार ने एमएसपी पर कोई गारंटी नहीं दी. अजय मिश्र टेनी अभी भी मोदी सरकार का …
Read More »वे तो शहीद हुए हैं, मरा तो कुछ और है !! निर्लज्ज धूर्तता को मौजूदा हुक्मरान अपनी चतुराई मानते हैं…
किसान आंदोलन में शहादत देने वाले (Martyrs in the Peasant Movement) तो इतने सबल थे कि निरंकुश हठ का अहंकार तोड़ गए। बाकी सब भी ध्वस्त करेंगे। कृषि मंत्री के चुनिंदा स्मृति-लोप की क्रोनोलॉजी Chronology of selected amnesia of Agriculture Minister तीन कृषि कानूनों की वापसी (withdrawal of three agricultural laws) के लिए लड़ते-लड़ते किसान आंदोलन में शहीद (Martyr in …
Read More »डाटालेस नादान सरकार
कानून वापसी हो गई पर नहीं हुई किसानों की घर वापसी देशबन्धु में संपादकीय आज | Editorial in Deshbandhu today तीन कृषि कानूनों की वापसी का विधेयक (Bill to withdraw three agricultural laws) संसद में पारित करवा कर केंद्र सरकार ने यह मान लिया था कि अब एक साल से आंदोलनरत किसान अपने घरों को लौट जाएंगे। लेकिन कानून वापसी …
Read More »जानिए पीएम की बदनाम तीन किसान बिल वापसी की घोषणा का आंतरिक सत्य क्या है
Farm laws explained: Know what is the inner truth of PM’s infamous Three Kisan Bill return announcement? कृषि कानून के वो कौन से विवाद थे कि मोदी सरकार की तपस्या फेल हो गई? नरेंद्र मोदी की मानसिकता जनविरोधी और किसान विरोधी है। आज 80 करोड़ लोग बिना खाए रहते हैं भारत में। आखिर क्यों वापस लिए गए कानून? नरेंद्र मोदी …
Read More »कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का ऐलान : एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो!
किसानों के संघर्ष के आगे झुक गई मोदी सरकार Modi government bowed before the farmers’ struggle आखिरकार, किसानों के संघर्ष ने मोदी सरकार को झुकने को मजबूर कर दिया है। गुरु पर्व के मौके पर, राष्ट्र के नाम एक विशेष संबोधन के जरिए, प्रधानमंत्री मोदी ने न सिर्फ तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का ऐलान किया …
Read More »कृषि कानूनों का निरस्तीकरण : उप्र-पंजाब में चुनाव को देखते हुए राजनीतिक फैसला
कृषि कानूनों का निरस्तीकरण : उत्तर प्रदेश और पंजाब में आगामी चुनाव को देखते हुए राजनीतिक फैसला Repeal of agricultural laws: Political decision in view of upcoming elections in Uttar Pradesh and Punjab प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद में पारित तीन कुख्यात कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा (Announcement to repeal agricultural laws) निश्चित रूप से किसान आंदोलन और …
Read More »जनदबाब में काले कृषि कानूनों की हुई वापसी की घोषणा – आइपीएफ
Announcement of withdrawal of black agricultural laws in public pressure – IPF लखनऊ 19 नवम्बर 2021, भारी जनदबाब में प्रधानमंत्री मोदी को तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी है। यह किसान और आम जनता के आंदोलन की जीत है इसने एक बार फिर जनता की प्रभुता को देश में स्थापित किया है। लेकिन मोदी सरकार …
Read More »किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत
Historic victory of the peasant movement आज सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने जब तीन कृषि कानून वापिस लेने की घोषणा (Announcement to withdraw three agricultural laws) की तो आंदोलकारी किसानों के चेहरे विश्वास और ख़ुशी से चमक उठे। पिछले एक वर्ष से अनगिनत विपदाओं, भीषण सर्दी, गर्मी और अब फिर सर्दी के चक्र से मुकाबले और मीडिया …
Read More »रानी कमलापति या आदिवासियों का धृतराष्ट्र आलिंगन !! पुरानी है आदिवासियों से भाजपा की नफरत
BJP’s hatred of tribals is old संघी कुनबे को भारत के मुक्ति आंदोलन के असाधारण नायक बिरसा मुण्डा की याद (Remembering Birsa Munda, an extraordinary hero of India’s liberation movement) उनकी शहादत के 122वे वर्ष में आयी। अंग्रेजो से लड़ते हुए और इसी दौरान आदिवासी समाज को कुरीतियों से मुक्त कराते हुए महज 24 साल की उम्र में रांची की …
Read More »क्यों कांग्रेस के शीर्ष पर ‘गांधी’ परिवार का कोई विकल्प दूर-दूर तक नजर नहीं आता?
गंभीर अनिश्चितताओं को खुद न्यौत लिया है कांग्रेस ने | Congress itself has invited serious uncertainties अचरज की बात नहीं है कि पंजाब सरकार में पिछले ही महीने हुए उलट-फेर पर कई टिप्पणीकारों ने अपनी इस धारणा को दोहराया था कि कांग्रेस, आत्मघात की प्रवृत्ति से ग्रस्त नजर आती है। विधान सभाई चुनाव से चंद महीने पहले, मुख्यमंत्री बदलने और …
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