शिथिल हुए हैं हिंदी भाषा में शुद्ध-अशुद्ध के मानदंड बीसवीं सदी की दहलीज लांघ कर आज हम इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं। यह मात्र कैलेंडर के पन्ने पलटने की क्रिया नहीं, अपितु हमारी समूची मानसिकता, हमारे भाव विश्व, बुद्धि-जगत एवं हमारे नजरिये में चल रही मंथन प्रक्रिया का आधुनिक युग के परिप्रेक्ष्य में बहुआयामी अवलोकन करने का समय …
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द साउंड ऑफ फ्रेंडशिप : वार्म वेवलेंथ इन ए कोल्ड, कोल्ड वॉर
भारत व रेडियो बर्लिन इंटरनेशनल के रिश्तों पर आधारित फिल्म ‘द साउंड ऑफ फ्रेंडशिप..’ के मुख्य किरदार अरविन्द श्रीवास्तव से एक साक्षात्कार -शहंशाह आलम आज समकालीन कविता के महत्वपूर्ण कवि अरविन्द श्रीवास्तव से मुलाकात और बातचीत इस अर्थ में भी महत्वपूर्ण है कि अभी 19 अक्टूबर को बर्लिन स्थित प्रसारण भवन ‘फंखाउस’ में भारत-जर्मन मित्रता (Indo-German friendship) और रेडियो बर्लिन …
Read More »हिंदी आम लोगों की भाषा नहीं है : जस्टिस काटजू का लेख
हिंदी लोगों की भाषा नहीं है जस्टिस मार्कंडेय काटजू हिंदी एक कृत्रिम रूप से बनाई गई भाषा है, और लोगों की भाषा नहीं है। आम आदमी की भाषा (भारत के बड़े हिस्से में) हिंदुस्तानी है (जिसे खड़ी बोली भी कहा जाता है)। हिंदुस्तानी और हिंदी में क्या अंतर है? एक उदाहरण देने के लिए, हिंदुस्तानी में हम कहते हैं उधर …
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