Nandkishore Acharya’s play ‘Bapu’ is a prelude to the discussion of power (बापू को श्रद्धार्घ्य से शुरू हुआ यह नया साल क्या आगे के नये संघर्ष की दस्तक है !) नटरंग पत्रिका के मार्च 2006 के अंक में प्रकाशित नंदकिशोर आचार्य जी के ‘बापू’ नाटक को पढ़ कर कोई यदि उस पर आरएसएस की सांप्रदायिक और कपटपूर्ण विचारधारा (Communal and …
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