निष्प्राण देह बनकर रह गई है हिंदी कविता
Hindi poetry has become a dead body कितनी ही सुंदर हो, कितने ही जेवरात सजे हों, सेज फूलों से लबालब लदी फन्दी हो, अगरबत्ती और चंदन की खुशबू हो, लेकिन उसकी सड़ांध सही नहीं जाती। हिंदी कविता में तत्सम शब्दों का, विशुद्धता का, भाषिक दक्षता का, बाजार की ब्रान्डिंग का, अमेज़न की मार्केटिंग का, इंटरनेट …