सड़क और बाजार में ही पैदा होते हैं भाषा और विचार हाय हिन्दू ! बाय हिन्दू! पीएम नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा (Appreciation of PM Narendra Modi) न करने से भक्तगण नाराज हो जाते हैं, कहते हैं सड़क छाप लिखते हो! गोया ! सड़क सबसे फालतू चीज है! अब भक्तों को कौन समझाए भाषा और विचार सड़क और बाजार में ही …
Read More »Tag Archives: नागरिक चेतना
जब पं. नेहरू के मंच से कांग्रेस के खिलाफ भाषण देकर एनडी तिवारी बन गए थे विधायक
कैसे चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं से मिले बिना, उनसे संवाद किये बिना लोग चुनाव जीत जाते हैं? कैसे बड़ी-बड़ी रैली, रोड शो, विज्ञापन और आईटी सेल के जरिये चुनाव प्रचार में मतदाताओं से सम्पर्क किये बिना चुनाव नतीजे तय होते हैं? कैसे होती है कारपोरेट फंडिंग और विदेशी फंडिंग, पार्टियों और उम्मीदवार के करोड़ों के खर्च का क्या हिसाब …
Read More »65 साल बाद भी जीवंत और प्रासंगिक बाबा साहब
Babasaheb still alive and relevant even after 65 years क्या सिर्फ दलितों के नेता थे डॉ. अंबेडकर? 1956 में आज ही के दिन – 6 दिसंबर को – नहीं रहे थे बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर; मगर कमाल ही है उनका व्यक्तित्व और कृतित्व, जिसके चलते वे आज साढ़े छः दशक बाद भी न सिर्फ जीवंत और प्रासंगिक है बल्कि …
Read More »डॉ राम मनोहर लोहिया और वर्तमान किसान आंदोलन
Dr. Ram Manohar Lohia and the current farmers’ movement : Vijay Shankar Singh यदि आज डॉ लोहिया जीवित होते? कल्पना कीजिए, यदि आज डॉ लोहिया जीवित रहते तो, साल भर से हो रहे किसान आंदोलन में, उनकी क्या भूमिका रहती। लोहिया को जानने वाले और उस कुजात गांधीवादी के लेखों, भाषणों का अध्ययन करने वाले एकमत से यही कहते कि, …
Read More »हिटलर के देश में मार्क्सवादियों की जीत और कन्हैया का कांग्रेसी हो जाना
Marxists victory in Hitler’s country and Kanhaiya Kumar becoming Congressman. बिल्कुल PM Modi की तरह अहंकार में थीं angela merkel. कन्हैया कुमार को भाजपा ने ‘पोलिटिकल पंचिंग बैग’ के रूप में तैयार किया, हैरान मत होइए कि हिटलर के देश में कम्युनिस्ट सरकार बना सकते हैं। गर नहीं बना पाये, तो संसद में ताक़तवर प्रतिपक्ष के रूप में प्रस्तुत हो सकते हैं। …
Read More »उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 : मोदी-शाह से पिंड छुड़ाकर योगी का साथ देगा आरएसएस !
Uttar Pradesh Assembly Election 2022: RSS will support Yogi by getting rid of Modi-Shah! अपनी स्थापना 1925 से ही आरएसएस हिन्दू हित का ढकोसला-राग गाता रहा है, लेकिन इसे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जैसे हिन्दुत्व के संवाहक मनीषियों का व्यक्तित्व और कृतित्व कभी अच्छा नहीं लगा। इसके उलट इसे हिटलर और मुसोलिनीकी नस्लीय नीति अच्छी …
Read More »तिरंगे पर कब्जे की लड़ाई
स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस पर शासक-वर्ग का तिरंगा-प्रेम देखते बनता है। तिरंगे के साथ वह जैसे खुद लहराने लगता है। तिरंगा अब भारत के शासक-वर्ग की ताकत का प्रतीक है। दोनों एक-दूसरे में घुल-मिल गए हैं। (2011 का यह लेख हिंदी मासिक ‘युवा संवाद’ में छपा था। तब से लेकर अब तक सत्ता के गलियारों में तिरंगे का कारोबार …
Read More »अगस्त क्रांति और भारत का शासक वर्ग : आजादी की इच्छा का विस्फोट
(राम पुनियानी ने भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं सालगिरह के मौके पर – ‘हाउ टू रिवाइव द स्पिरिट ऑफ़ क्विट इंडिया मूवमेंट (‘How to Revive the Spirit of Quiet India Movement’)’ – (पीपल्स वोइस, 21 अगस्त 2017) लेख लिखा। लेख का हिंदी अनुवाद भी प्रकाशित हुआ। इस लेख में पुनियानी जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘मन की बात’ और …
Read More »कोविड-19 : नागरिकों की ठोड़ी पर झूलते मास्क और हवा में लटकी सरकार
कुछ ऐसी ही है कोरोना की दूसरी लहर से जीतने की अजब-गजब कहानी कोरोना महामारी की पहली लहर (first wave of corona pandemic) में भारतीय हवा में लाठियां भांज रहे थे और दूसरी लहर में ‘अश्वत्थामा’ की मिथकीय कहानी की तरह खुद को अजर-अमर मानकर निश्चिंत पड़े रहे। संक्रमित होने के डर संग अपनों की मौत का पल-पल डर, प्लाज्मा …
Read More »मेरा जन्मदिन कुलीन वर्ग के लिए एक दुर्घटना ही है
एक बड़े सच का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि मार्टिन जान को मेरी याद तो है लेकिन पलाश विश्वास को वे पहचान नहीं पा रहे। दरअसल उत्तराखंड और झारखंड में लोग मुझे पलाश नाम से ही जानते रहे हैं, किसी विश्वास को वे नहीं जानते, क्योंकि राजकिशोर संपादित परिवर्तन में नियमित लिखने से पहले तक मैं पलाश नाम से …
Read More »मोदीजी ! बिहार में सरकार तो बन गई पर कोरोना के मुफ्त टीके का क्या हुआ ?
Mr Modi! The government formed in Bihar, but what happened to Corona’s free vaccine? चुनावों और सरकारी तंत्र से कोरोना तथा राजनीति से मुफ्त टीका का वादा गायब Corona with elections and government machinery and the promise of free vaccine disappeared from politics अब यह पूरी तरह साफ हो गया है और दिनोंदिन स्पष्ट होता जा रहा है कि हमारी …
Read More »वैदेही हुई, द्रौपदी हुई, झाँसी की रानी हुई पर मुझे सावित्रीबाई होना है
मंजुल भारद्वाज का नया नाटक ‘लोक-शास्त्र सावित्री’ समता का यलगार ! मेरे पुराने मित्र मंजुल भारद्वाज का जब फोन आया कि २७ मार्च २०२१ को सुबह ११:३० थाना के गडकरी रंगायतन में ‘लोक-शास्त्र सावित्री’ का मंचन है, तुम्हें आना है। मैं उलझन में थी कि कोरोना काल में पब्लिक की भीड़ में जाना सही होगा कि नहीं? पता नहीं नाटक …
Read More »सौदेबाज़ समाजवादी लोहिया को भारत-रत्न देने की मांग करके मृत्योपरांत उनका अपमान कर रहे.
कृपया लोहिया के लिए भारत-रत्न नहीं!! 23 मार्च डॉ. राममनोहर लोहिया (23 मार्च 1910-12 अक्तूबर 1967) का जन्मदिन होता है। इस अवसर पर होने वाले आयोजनों में कुछ लोग उन्हें भारत-रत्न देने की मांग सरकार से करते हैं। इस बार भी किसी कोने से यह मांग दोहराई जा सकती है। इस संबंध में मैंने मई 2018 में एक टिप्पणी लिखी …
Read More »नेपाल में संसद भंग : कैश माओवाद की स्वाभाविक परिणति है ओली आख्यान
Parliament dissolution in Nepal: Oli narrative is the natural culmination of cash Maoism बीते जनवरी महीने में नेपाल की संसद को जबरिया भंग करते हुए ही नेपाल में हिटलर (Hitler in Nepal !) के ओली आख्यान का जन्म हुआ है. इस आख्यान का नाम खड्ग प्रसाद ओली उर्फ़ केपी ओली (Khadga Prasad Sharma Oli commonly known as K. P. Sharma …
Read More »आंदोलनजीविता : आंदोलन का प्रजातंत्र
समाज में आंदोलन का महत्व | Importance of movement in society आंदोलन समाज में सुधार के लिए प्रेरित करते हैं या नीतिगत निर्णयों के प्रति एक सशक्त असहमति व्यक्त करते हैं। मूल रूप से लोकतंत्र में आंदोलन का उद्गम इन्हीं कारणों पर आधारित होता है। समाज में हमेशा से आंदोलन होते रहे हैं। अगर हम इतिहास में देखें तो 7वीं …
Read More »आन्दोलनजीविता और किसान आंदोलन 2020-21 : चैतन्यता का प्रमाण है आन्दोलनजीविता
AndolanJeevita and Farmers Movement 2020-21 By Vijay Shankar Singh किसान आंदोलन 2020 की सबसे बड़ी उपलब्धि (The biggest achievement of Kisan movement 2020) यह है कि, इसने धर्म केंद्रित राजनीति जो 2014 के बाद, जानबूझकर जनता से जुड़े मुद्दों से भटका कर, सत्तारूढ़ दल भाजपा और संघ तथा उसके थिंक टैंक द्वारा की जा रही है को लगभग अप्रासंगिक कर …
Read More »तो मितरों के लाभ के लिए बिना उचित विचार विमर्श के ही यह कृषि कानून बना दिए गए ?
Were these agricultural laws made without proper discussion? : Vijay Shankar Singh कृषि कानूनों में संवैधानिक अंतर्विरोध जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है और छन-छनकर नई सूचनाएं आ रही हैं, उनसे यह स्पष्ट होता जा रहा है कि तीनों नए कृषि कानून बिना उचित विचार विमर्श के ही बना दिए गए। एक वेबसाइट में प्रकाशित आरटीआई के उत्तर से प्राप्त …
Read More »नवउदारवादी/वित्त पूंजीवादी व्यवस्था के घोड़े की गर्दन पर किसानों की गिरफ्त!
Peasants’ neo-liberal / finance capitalist gripped on horse neck! प्रत्येक व्यवस्था की अपनी अन्तर्निहित गतिकी (डाइनामिक्स) होती है, जिसके सहारे वह अपना बचाव और मजबूती करते हुए आगे बढ़ती है। भारत में निजीकरण-निगमीकरण (Privatization-corporatisation in india) के ज़रिये आगे बढ़ने वाली नवउदारवादी/ वित्त पूंजीवादी व्यवस्था, जिसे नव-साम्राज्यवाद की परिघटना (The phenomenon of neo-imperialism) से जोड़ा जाता है, भी इसका अपवाद …
Read More »समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द से संघ को दिक्कत क्यों है?
संविधान की आत्मा हैं समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द Why does the RSS have problems with the words socialism and secularism? उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस ने प्रदेश में तीन जनवरी को संविधान में किए गए बयालीसवें संशोधन- 42nd amendment made in the constitution (जिसमें संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्दों को जोड़ा गया था) को आम जनता के बीच …
Read More »अमित शाह जी टैगोर का राष्ट्रवाद, आरएसएस का राष्ट्रवाद नहीं है !
Amit Shah ji Tagore’s nationalism is not RSS’s nationalism!! – Vijay Shankar Singh अगले साल बंगाल में चुनाव हैं। वहां राजनीतिक गतिविधियां तेज हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी बंगाल के नियमित दौरे पर हैं। अपने एक दौरे में अमित शाह ने कहा कि वे रवीन्द्रनाथ टैगोर के सपनों का बंगाल बनाना चाहते हैं। …
Read More »वर्चुअल रूप में शुरू हुआ भारत का अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव
India’s international science film festival started in virtual form नई दिल्ली, 22 दिसंबर: कोविड-19 के प्रकोप के कारण बड़े आयोजन भी अब वर्चुअल रूप में आयोजित हो रहे हैं। विज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से हर साल आयोजित होने वाला इंटरनेशनल साइंस फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया– International Science Film Festival of India (आईएसएफएफआई)-2020 भी इस बार वर्चुअल मंच …
Read More »