Tag Archives: पत्रकारिता
आज पत्रकारिता दिवस है
इतिहास में आज का दिन | Today’s History | Today’s day in history | आज का इतिहास 30 मई | आज पत्रकारिता दिवस है आज के ही दिन 30 मई 1826 को “उदन्त मार्तंड” नामक प्रथम हिन्दी समाचारपत्र का प्रकाशन हुआ था। इसके संपादक युगल किशोर शुक्ल थे। वे अपने को ‘सुकुल’ लिखते थे। यह साप्ताहिक अखबार था और इसका …
Read More »फिलिस्तीन की शिरीन अबू अक्लेह की हत्या : निशाने पर निर्भीक पत्रकारिता
Shireen Abu Akleh’s killing: fearless journalism on target गोलू-मोलू मीडिया से इतर वाली पत्रकारिता से जुड़ी तीन खबरें आयी हैं। 11 मई को फिलिस्तीन के जेनिन शहर में इजरायली फौजों द्वारा की जा रही जबरिया बेदखली को कवर कर रहीं अल जज़ीरा की वरिष्ठ और जानीमानी पत्रकार शिरीन अबू अक्लेह को गोली मार दी गयी (Shireen Abu Akleh: Al Jazeera …
Read More »लघु पत्रिकाएँ : वैकल्पिक पत्रकारिता का स्वप्न
वैकल्पिक मीडिया की आवश्यकता क्यों है? Small Magazines: The Dream of Alternative Journalism दिनेशपुर, उत्तराखंड में अखिल भारतीय लघु पत्र-पत्रिका सम्मेलन (All India Small Paper-Magazine Conference at Dineshpur, Uttarakhand) का आयोजन हो रहा है। कुछ समय पूर्व पलाश विश्वास ने पत्रकारिता और साहित्य के संपादन संबधों की चर्चा की थी जिसमें मूल बात यह थी कि रघुवीर सहाय और सव्यसाची …
Read More »News 18 द्वारा देश में सांप्रदायिक एजेंडा चलाने के खिलाफ अवकाशप्राप्त आईपीएस का मुकेश अंबानी को खुला पत्र
मुकेश अंबानी के नाम एक पत्र – संदर्भ पत्रकारिता नई दिल्ली, 02 मई 2022. मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाले News 18 द्वारा देश में सांप्रदायिक एजेंडा चलाने के खिलाफ अवकाशप्राप्त आईपीएस विजय शंकर सिंह ने मुकेश अंबानी के नाम एक खुला खत लिखा है। सिंह ने कहा कि यह पत्र टीवी चैनल News 18 के मालिक, मुकेश अंबानी के नाम …
Read More »पत्रकारों की हत्याओं को लेकर मेक्सिको में आक्रोश
Assassination of journalists sparks outrage in Mexico तीन पत्रकारों की हत्या (The assassination of three journalists) के बाद भड़की हिंसा और अपराधियों को सज़ा देने की मांग करते हुए मेक्सिको के 65 शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये हैं। 25 जनवरी को इस महीने तीन साथी पत्रकारों की हत्या के विरोध में सैकड़ों पत्रकार मैक्सिको भर में सड़कों पर …
Read More »पत्रकारिता की दयनीय हालत के लिए पत्रकार भी कम दोषी नहीं
गोदी मीडिया और पप्पू मीडिया की हरकतों को देखते हुए पत्रकारिता की गिरती हालत पर रोज चर्चा (Discussion on the deteriorating condition of journalism) होती है। लेकिन यह गिरावट एक दिन में नहीं आ गई है न एक दिन में पत्रकारिता की मौत हुई है। पत्रकारिता की गिरावट के कारणों की समीक्षा (A review of the reasons for the decline …
Read More »पत्रकार सुरक्षित रहेंगे, तभी गणतंत्र सुरक्षित रहेगा
Journalists will be safe only then the republic will be safe “पृथ्वी पर मीडिया का सबसे शक्तिशाली अस्तित्व है। उनके पास निर्दोष को अपराधी बनाने और दोषी को निर्दोष बनाने की शक्ति है, क्योंकि वे जनता के दिमाग को नियंत्रित करते हैं “- मैल्कम एक्स पत्रकारों की सुरक्षा क्यों जरूरी है? पत्रकारों की सुरक्षा कैसे? आज, पूरे विश्व में मीडिया …
Read More »हिन्दी भाषा एवं साहित्य अध्ययन की समस्याएं
शिथिल हुए हैं हिंदी भाषा में शुद्ध-अशुद्ध के मानदंड बीसवीं सदी की दहलीज लांघ कर आज हम इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं। यह मात्र कैलेंडर के पन्ने पलटने की क्रिया नहीं, अपितु हमारी समूची मानसिकता, हमारे भाव विश्व, बुद्धि-जगत एवं हमारे नजरिये में चल रही मंथन प्रक्रिया का आधुनिक युग के परिप्रेक्ष्य में बहुआयामी अवलोकन करने का समय …
Read More »जानिए स्वाधीनता संघर्ष में पत्र-पत्रिकाओं की भूमिका क्या है
आजादी की लड़ाई में मीडिया की भूमिका | आजादी की लड़ाई में पत्रकारिता का योगदान (Role of media in freedom struggle | Contribution of journalism in freedom struggle) स्वतंत्रता संग्राम में हिंदी पत्रकारिता का योगदान pdf स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी पत्रकारिता की भूमिका | स्वतंत्रता संग्राम और पत्रकारिता (Role of Hindi Journalism in Freedom Struggle. Freedom Struggle and Journalism) हमारे …
Read More »खिलता हुआ इंद्रधनुष और भावनाओं की राजनीति
Blooming Rainbow and the Politics of Emotions पलाश विश्वास दफ्तर से बसन्तीपुर लौटते हुए हरिदासपुर से गांव के रास्ते पैदल चलते हुए हल्की बूंदाबांदी और सांझ की धूप में हिमालय की छनव में आसमान के एक छोर से दूसरे छोर तक अर्धचन्द्राकार इंद्रधनुष खिलते दिखा। मेरे मोबाइल से ज़ूम नहीं जो सकता, फिर भी सिर्फ दृष्टि के भरोसे नौसिखिए हाथों …
Read More »आपातकाल के बाद साहित्यिक पत्रिकाएं मेनीपुलेशन और प्रमोशन का अस्त्र बन गयीं
अव्यवस्थित लोकतंत्र और साहित्यिक पत्रकारिता आजादी के बाद साहित्यिक पत्रकारिता का परिदृश्य- Scenario of Literary Journalism after Independence. आजादी के बाद का साहित्यिक पत्रकारिता का परिदृश्य तकरीबन इकसार रहा है। पहले भी पत्रिकाओं का प्रकाशन निजी पहल पर निर्भर करता था, आज भी यही दशा है। पहले भी साहित्यिक पत्रिकाएं निकलती और बंद होती थीं, यही सिलसिला आज भी जारी …
Read More »श्रीमान हम आपको इस आलेख के कोई पैसे नहीं दे सकते !
“श्रीमान हम आपको इस आलेख के कोई पैसे नहीं दे सकते। सहयोग के लिए सम्पादक के धन्यवाद सहित सादर।“ किसी स्वतंत्र पत्रकार के लिए उसके किसी आलेख पर यह जवाब अब आम हो चुका है। स्वतंत्र पत्रकार ही नहीं किसी न किसी संस्थान से जुड़े बहुत से पत्रकार भी कोरोना के दौरान अपनी नौकरी खोने के बाद अब उस दिन …
Read More »सीपेजी ने जारी की चुनावों पर काम कर रहे पत्रकारों के लिए पत्रकार सुरक्षा गाईड
CPJ released Journalist Safety Guide for Journalists working on elections CPJ की ओर से भारतीय राज्यों के चुनावों पर काम कर रहे पत्रकारों के लिए सुरक्षा गाईड पत्रकार सुरक्षा गाईड कई भाषाओं में उपलब्ध है न्यूयॉर्क, 08 मार्च, 2021- असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुदुच्चेरी में होने जा रहे राज्यसभा चुनावों और उनसे पहले होने वाली गतिविधियों पर काम …
Read More »बहुत ही स्वाभिमानी और सशक्त व्यक्तित्व के स्वामी हैं मशहूर गीतकार संतोष आनंद
मशहूर गीतकार संतोष आनंद 21/02/2021 को इंडियन आइडल के शो (Famous lyricist Santosh Anand on Indian Idol show on 21/02/2021) पर आए थे। वह अपनी ज़िंदगी से जुड़े कुछ भावुक पल दर्शकों के साथ साझा करते हुए भावुक हो गए। गायिका नेहा कक्कड़ (Singer Neha Kakkar) ने भेंट स्वरूप 5 लाख रुपए देने को कहा तो संतोष जी ने कहा, …
Read More »अधिक खतरनाक होता है कम वेतन पाने वाला पत्रकार
Low paid journalist is more dangerous : Vijay Shankar Singh पत्रकारों को कम वेतन नहीं देना चाहिए। कम वेतन पाने वाला पत्रकार अधिक खतरनाक हो सकता है। कभी यह रोचक निष्कर्ष निकाला था, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने। कार्ल मार्क्स पर उनकी यह एक रोचक टिप्पणी है। यह कथन जॉन एफ केनेडी के ओवरसीज प्रेस क्लब न्यूयॉर्क में …
Read More »गांधी अब ओटीटी पर भी दिखने चाहिए : अजय ब्रम्हात्मज
एक दिवसीय वेबिनर में बोले फिल्म समीक्षक अजय अजय ब्रम्हात्मज, गांधी सिनेमा से कभी नहीं होंगे ख़ारिज़ महात्मा गांधी की 73वीं पुण्य तिथि पर जनसंचार विभाग ने किया याद, महात्मा गांधी और हिन्दी सिनेमा पर हुई परिचर्चा मंदसौर विश्वविद्यालय ने बापू को किया याद, पत्रकारिता विभाग ने आयोजित किया हिन्दी सिनेमा और महात्मा गांधी पर वेबिनार देश और दुनियाँ के …
Read More »संभव है उद्यम से उन्नति, जानिए कैसे
Sambhav Hai Udyam Se Unnati: motivational article in Hindi जब मैं इकनॉमिक टाइम्स (Economic Times), बिजनेस स्टैंडर्ड या योर स्टोरी में पढ़ता हूं कि फलां-फलां स्टार्ट-अप कंपनी (start-up company) को 20 करोड़ की सीड फंडिंग मिल गई या फंडिंग के दूसरे राउंड में फलां-फलां कंपनी ने लाखों डालर की धनराशि प्राप्त की है तो मुझे बहुत खुशी होती है। अक्सर …
Read More »जनसरोकारी विमर्श एवं पत्रकारिता के पुरोधा और प्रणेता थे ललित सुरजन
Lalit Surjan was the leader and pioneer of public advocacy and journalism भारतीय मीडिया और विशेषकर अविभाजित मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता जगत के लिए ललित सुरजन जी का अवसान एक ऐसी क्षति है, जिसकी भरपाई हाल-फिलहाल में सालों तक मुश्किल दिखती है। ललित सुरजन लोकतांत्रिक, जनसरोकारी पत्रकारिता के लिए केवल एक पुरोधा, मार्गदर्शक ही नहीं रहे, बल्कि अपनी वैचारिक, …
Read More »हिन्दू-मुस्लिम एकता और आज़ादी के नायक – मौलाना मोहम्मद अली जौहर
Maulana Mohammad Ali Jauhar – the hero of Hindu-Muslim unity and freedom 10 दिसंबर मौलाना मोहम्मद अली जौहर की जयंती पर विशेष : 10 December special on the birth anniversary of Maulana Mohammad Ali Jauhar “दौर-ए-हयात आएगा क़ातिल क़ज़ा के बाद, है इब्तिदा हमारी तिरी इंतिहा के बाद।” मौलाना मोहम्मद अली जौहर { Muhammad Ali Jauhar (10 December 1878 – …
Read More »शिमला डायरी : पीछे छूट गई धूल को समेट लाया कौन खानाबदोश
‘शिमला डायरी’ (Shimla diary) अपने समय और समाज की एक ऐसी साहित्यिक-सांस्कृतिक डायरी और दस्तावेज है, जिसका एक अहम हिस्सा हिंदी पत्रकारिता (Hindi journalism) की दुनिया है। इसका विहंगम अवलोकन किया है चर्चित कवि और पत्रकार प्रमोद कौंसवाल (journalist Pramod Kaunswal) ने, जिन्होंने काफी समय तक चंडीगढ़ में रहते हुए खुद शिमला, चंडीगढ़ और पंजाब की पत्रकारिता की दुनिया को बहुत …
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