Book Review of The Disruptor: How Vishwanath Pratap Singh Shook India Book by Debashish Mukerji in Hindi | देबाशीष मुखर्जी की पुस्तक द डिसरप्टर: हाउ विश्वनाथ प्रताप सिंह शुक इंडिया की समीक्षा हिंदी में विश्वनाथ प्रताप सिंह जिन्हें अधिकांश लोग वीपी सिंह के नाम से जानते हैं, वह 7 अगस्त 1990 के बाद से भारत के उन चुनिंदा राजनेताओं में …
Read More »Tag Archives: पुस्तक समीक्षा
लपूझन्ना : उस्ताद और शागिर्द की एक खूबसूरत कहानी
पुस्तक समीक्षा एक उस्ताद के लिए उसके शागिर्द की तरफ़ से लिखी खूबसूरत कहानी है लपूझन्ना। लेखक अपने बचपन की याद अब तक नहीं भुला सके हैं और उन यादों में लेखक का ख़ास दोस्त भी है, ये वो ख़ास दोस्त है जो हम सब की ज़िंदगी में कभी न कभी तो रहा ही है और उसको हम हमेशा याद …
Read More »‘गहन है यह अन्धकारा’: पुस्तक समीक्षा
समुद्र की लहरों की तरह ही किताब भी भावनाओं के उतार चढ़ाव से भरी पड़ी है, किताब पढ़ते ऐसा लगता है मानो लेखक पाठकों को ‘अश्विन’ की कैरम बॉल फेंक रहे हैं। इस लघु उपन्यास को एक बार पढ़, आप अमित श्रीवास्तव को फिर से जरूर पढ़ना चाहेंगे। हिंदी के प्रोफेसर प्रसिद्ध कवि शिरीष कुमार मौर्य ने पुस्तक की शुरुआत …
Read More »देहलीला से देहगान तक की सच्ची अभिव्यक्ति : अन्या से अनन्या
प्रभा खेतान की आत्महत्या अन्या से अनन्या : पुस्तक समीक्षा तकरीबन एक महीने पहले अन्या से अनन्या पढ़ी और आज जाकर कुछ लिखने का प्रयास कर रहा हूँ। एमए के दौरान इस आत्मकथा को पढ़ाने वाले प्रोफेसर से पहला प्रश्न मेरा यही था कि ऐसी औरत को पढ़ेंगे अब हम ? ऐसी औरत का मतलब मेरा सीधा सीधा वही था …
Read More »दूबधान : समय और समाज का हलफनामा
उषा किरण खान का कथा संग्रह ‘‘दूबधान’’ : पुस्तक समीक्षा उषा किरण खान अपनी कहानियों के लिए जानी जाती हैं। गांँव की हसीन भंगिमाएं, इनकी कहानी की पहचान है। ‘‘दूबधान’’की 24 कहानियाँ समय और समाज की सच्चाई का हलफ़नामा हैं, तो दूसरी ओर कहानियाँ, नई जमाने को हैरान भी करती हैं। क्यों कि, कहानी की सभी महिलाएं गाँव की पुरानी …
Read More »पुस्तक समीक्षा : महफ़िल लूटना चाहते हैं तो मुक्तक रट लीजिए
मुक्तक क्या है हिंदी साहित्य में व्यवस्थित रूप से मुक्तकों को लिखने की परंपरा का विकास रीतिकाल में हुआ। इस दौर में कबीरदास, रहीम तथा मीरा बाई ने कई मुक्तक अथवा छंद लिखे। कविता का वह संक्षिप्त रूप जो दोहा अथवा मुक्तक शैली या विधा में लिखा जाए उसे मुक्तक कहा जाता है। कबीर आदि के बाद वर्तमान में यह …
Read More »लापता पैर : विमर्शों, कल्पनाओं और यथार्थ के मिश्रण से उपजी कहानियाँ
पुस्तक समीक्षा | Book review हिंदी कथा साहित्य में हिंदी कहानी का आरंभ माधवराव स्प्रे की कहानी ‘एक टोकरी भर मिट्टी’ से आरम्भ हुआ माना जाता है। यह कहानी सन् 1901 में प्रकाशित हुई थी। हिंदी की पहली कहानी को लेकर हालांकि अलग-अलग विद्वानों का अलग-अलग मन्तव्य है। हिंदी कहानियों के क्रम में लघु कथा की अगर बात करें तो …
Read More »प्रश्न पानी से नहीं धुलते : नए विमर्श पैदा करती कहानियां
Stories creating new discourses सन 1803 में इंशा अल्लाह खान कृत कहानी “रानी केतकी की कहानी” को हिंदी की पहली कहानी (First story of hindi) कहा जाता है। इसके बाद धीरे-धीरे इस कला में परिवर्तन होने लगा और कहानियां एक नया आयाम स्थापित करने लगीं। अकहानी, सचेतन कहानी, नई कहानी, साठोत्तरी कहानी आदि जैसे कई बदलाव इस विधा में हमें …
Read More »शिमला डायरी : पीछे छूट गई धूल को समेट लाया कौन खानाबदोश
‘शिमला डायरी’ (Shimla diary) अपने समय और समाज की एक ऐसी साहित्यिक-सांस्कृतिक डायरी और दस्तावेज है, जिसका एक अहम हिस्सा हिंदी पत्रकारिता (Hindi journalism) की दुनिया है। इसका विहंगम अवलोकन किया है चर्चित कवि और पत्रकार प्रमोद कौंसवाल (journalist Pramod Kaunswal) ने, जिन्होंने काफी समय तक चंडीगढ़ में रहते हुए खुद शिमला, चंडीगढ़ और पंजाब की पत्रकारिता की दुनिया को बहुत …
Read More »अदिति गुलेरी और उनकी कविताएं : बात सिर्फ बचपन की नहीं परिवार की भी है….
अदिति गुलेरी और उनकी कविताएं : बात सिर्फ बचपन की नहीं परिवार की भी है…. हाल ही में हिमाचल प्रदेश धर्मशाला से सुप्रसिद्ध परिवार की होनहार बिटिया डा. अदिति गुलेरी का प्रथम काव्य संग्रह ‘बात वजूद की‘ मेरे पास आया जिसे स्वयं अदिति ने भेजा और प्रतिक्रिया की उम्मीद भी रखी। किसी भी लेखक की यह मंशा हमेशा रहती है …
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