बल्लीमारान की चूड़ी वाली तंग गली में.. इन दिनों खनक नहीं है .. बाज़ार में लड़कियों की धनक नहीं है… ज़रा ज़रा से बहाने मेंहदी लगवाने .. भइया पक्का रचेगी ना .. करती हुई बातें … शगुनों वाली औरतों की जमातें .. काशीदा दुपट्टे कानों के झूलते बाले .. वो रौनक़ों के उजाले.. सब ग़ायब हैं … पाँच रूपये के …
Read More »